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गन्ना एवं चीनी उत्पादन के साथ एथनॉल और शीरा उत्पादन में भी उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर

प्रदेश के गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने चीनी, एथनॉल एवं शीरा उत्पादन में यूपी को प्रथम स्थान प्राप्त करने पर किसान, समिति अध्यक्ष और प्रतिनिधियों को बधाई दी है।

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Sudhakar Shukla
गन्ना शोध परिषद में समितियों की मीटिंग

गन्ना शोध परिषद में समितियों की मीटिंग

बरेली,वाईबीसंवाददाता

गन्ना शोध परिषद, शाहजहाँपुर में यूपी के गन्ना मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी की अध्यक्षता में गन्ना विकास परिषद एवं चीनी मिल प्रबंधन, सहकारी गन्ना समितियों के अध्यक्ष एवं चीनी मिल समितियों के उपाध्यक्षों की बैठक हुई। इसमें गन्ना राज्य मंत्री संजय गंगवार, आयुक्त, गन्ना एवं चीनी तथा निबन्धक सहकारी गन्ना एवं चीनी मिल समितियाँ, प्रबन्ध निदेशक सहकारी चीनी मिल संघ, गन्ना समितियों के अध्यक्षगण, चीनी मिल समितियों के उपाध्यक्ष व गन्ना विकास विभाग के अधिकारी शामिल हुए। इसमें यूपी के गन्ना मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने गन्ना एवं चीनी, एथनॉल एवं शीरा उत्पादन में उत्तर प्रदेश को प्रथम स्थान प्राप्त करने पर किसान, समितियों के नवनिर्वाचित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं प्रतिनिधियों को बधाई दी।

उन्होंने बताया कि चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग उत्तर प्रदेश के लगभग 46.50 लाख गन्ना किसान एवं उनके 2.30 करोड़ परिवारों की आजीविका समेत 10 लाख व्यक्तियों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि बीते 08 वर्षों में रू.2,89,445 करोड़ गन्ना मूल्य का रिकॉर्ड भुगतान किया जा चुका है। यह विगत 22 वर्षों में हुए  2,13,520 करोड़ भुगतान से रू.75,925 करोड़ अधिक है। वर्ष 2017 से पूर्व जहाँ कुल एथनॉल का उत्पादन 42 करोड़ लीटर प्रतिवर्ष था। अब 180 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन कर आयल कम्पनियों को आपूर्ति किया जा रहा है। तेल के आयात पर देश की निर्भरता कम हुई है। विगत 08 वर्षों में चीनी उद्योग में रू.6,924 करोड़ के निवेश से उद्योग को गति मिली है। प्रदेश की कुल जी.डी.पी. में गन्ने का योगदान 4.19 प्रतिशत तथा गन्ना एवं चीनी का सम्मिलित योगदान 8.45 प्रतिशत है।

गन्ना राज्य मंत्री संजय सिंह गंगवार ने कहा कि गन्ना समितियाँ अपने भवनों का जीर्णोद्धार कराने, समितियों के सहयोग से संचालित विद्यालयों व महाविद्यालयों का सुदृढ़ीकरण व उच्चीकरण कराने, शिक्षा संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु नये विद्यालयों व महाविद्यालयों की स्थापना कराने तथा समितियों के सहयोग से संचालित चिकित्सालयों को सुदृढ़ कर उनमें चिकित्सीय सुविधाओं के सुधार व बढ़ोत्तरी हेतु अपना अमूल्य सहयोग प्रदान करें। महिला सशक्तीकरण हेतु किये जा रहे प्रयासों में गन्ना विभाग द्वारा नवाचार के रूप में गन्ना सीडलिंग उत्पादन हेतु 3000 महिला स्वयं सहायता समूहों का गठन कराकर एक सार्थक पहल की गई है, जिसमें लगभग 58,000 महिलायें 08 से 10 करोड गन्ना सीडलिंग प्रतिवर्ष तैयार कर उसकी बिक्री से धनार्जन का कार्य कर रहीं हैं। बरेली जिले की अन्नपूर्णा व वैष्णवी, बिजनौर जिले की यदु एवं मुजफ्फरनगर जिले की गंगा महिला स्वयं सहायता समूह 10 से 15 लाख रूपये प्रतिवर्ष का व्यवसाय कर रहे हैं, जिससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो रही है। वहीं गन्ना फसल में रोग एवं कीटों की रोकथाम एवं अच्छी पैदावार हेतु ड्रोन दीदी की सेवायें लेकर उर्वरकों एवं कीटनाशक रसायनों का 350 ड्रोन से छिड़काव भी कराया जा रहा है।

गन्ना आयुक्त द्वारा लाभांश वितरण के विषय में विस्तृत रूप से बताया गया कि समितियों की ऊर्जावान सामान्य निकाय एवं प्रबन्ध कमेटी एक कदम आगे बढ़कर गन्ना समितियों के लाभांश वितरण हेतु कार्यवाही करें तथा अधिनियम, नियमावली एवं समिति उपविधियों में दी गयी व्यवस्था के अनुसार लाभांश का वितरण कर सदस्य कृषकों को लाभान्वित करें। समितियों के सुदृढ़ीकरण हेतु गन्ना विकास विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयासों में भारत सरकार के संकल्प एवं शासन की मंशानुरूप सहकार से समृद्धि को साकार करने हेतु बहु-उद्देशीय समिति के रूप में कार्य करते हुए सदस्य कृषकों की उन्नति के लिये हर सम्भव प्रयास करने की अपील की गई। कहा कि सहकारी समितियाँ प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केन्द्र, जन सेवा केन्द्र, पेट्रोल पम्प, एल.पी.जी. आउटलेट, गन्ने से सम्बन्धित कुटीर उद्योग, कृषक प्रशिक्षण को बढ़ावा एवं राष्ट्रीय स्तर की समितियों की सदस्यता प्राप्त कर बहुआयामी बन सकती हैं।  आयुक्त द्वारा यह भी बताया गया है कि गन्ने की उत्पादकता बढ़ाने हेतु प्रजाति बदलाव एवं बीज बदलाव कार्यक्रम चलाये जा रहें हैं, प्रत्येक समिति क्षेत्र के कृषकों हेतु मृदा स्वास्थ्य परीक्षण की कार्ययोजना लागू की जाये, उत्तम गन्ना बीज की उपलब्धता हेतु प्रत्येक समिति क्षेत्र में कम से कम एक उन्नतशील गन्ना बीज संवर्धन केन्द्र की स्थापना की जाये, प्राकृतिक एवं जैविक कृषि का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार एवं वास्तविक रूप से प्रचलन कराने हेतु उत्कृष्ट कार्य योजना तैयार कर व्यापक रूप से गोष्ठियां आयोजित करायी जायें व कृषकों को प्रशिक्षित किया जाये, जल संरक्षण की दिशा में ड्रिप इरीगेशन हेतु प्रत्येक समिति स्तर पर लक्ष्य निर्धारित कराते हुए गन्ने की खेती में ड्रिप इरीगेशन आधारित कृषि व्यवस्था लागू की जाये, डिजिटल तकनीक के माध्यम से केन्द्र एवं राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं से कृषक सदस्यों को अधिक से अधिक लाभांवित किया जा सके, जिससे गन्ना किसानों के साथ-साथ समितियों की आय में सार्थक वृद्धि होगी और समितियाँ अपने उद्देश्यों को पूर्ण कर गन्ना किसानों के लिये लाभकारी सिद्ध हो सकें।

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आयुक्त एवं निबन्धक द्वारा बताया गया कि सभी गन्ना समितियों में आई.टी. सेल की स्थापना की गयी है, जिसमें कम्प्यूटर हार्डवेयर एवं सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराये गये हैं। प्रत्येक समिति में इन्क्वायरी टर्मिनल स्थापित किये गये हैं, जिसमें गन्ना कृषक कार्यालय कार्य दिवस में आकर अपनी समस्याओं का निराकरण करा सकते हैं। गन्ना समितियों में पूर्व से कार्यरत ऐसे कर्मचारी जिन्हें कम्प्यूटर का ज्ञान नहीं था, को कम्प्यूटर प्रशिक्षण प्रदान कराकर उक्त कार्य में दक्ष बनाया गया। गन्ना समितियों में कम्प्यूटराईजेशन से उनके 20-20 वर्षों से लम्बित संतुलन पत्र अद्यावधिक कराये जा चुके हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था को और मजबूत करने के उद्देश्य से समितियों की सामान्य निकाय को बजट स्वीकृति का अधिकार दिया गया है।

निबन्धक द्वारा यह अपेक्षा भी की गई कि समितियों को नई सामान्य निकाय व प्रबन्ध कमेटी के सदस्यो का उपयोग कर समितियाँ स्वयं को और सुदृढ़ करेंगीं तथा विभागीय कार्मिक एवं समिति पदाधिकारी मिलकर एक टीम के रूप में कार्य करते हुए संस्था व उसके सदस्यों के सर्वागीण विकास का हरसम्भव प्रयास करेगी। कार्यक्रम में सांसद अरूण सागर, उपाध्यक्ष इफ्को बलवीर सिंह, जिला सहकारी बैंक के सभापति डी.पी.एस. राठौर, निदेशक, शोध संस्थान वी.के. शुक्ल, अपर गन्ना आयुक्त (समितियाँ) डा. वी.बी. सिंह, अपर गन्ना आयुक्त (कय) विश्वेश कनौजिया, प्रबन्ध निदेशक सहकारी गन्ना समिति संघ सत्येन्द्र सिंह एवं विभागीय अधिकारी तथा शोध परिषद के वैज्ञानिक उपस्थित थे।  

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