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कोई भी ज्ञान तभी सार्थक है, जब वह हमारे मस्तिष्क में समाहित हो: डॉ पांवड़े

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईवीआरआई), इज्जतनगर में हृदय रोग विज्ञान (Cardiology) विषय पर पाँच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया।

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Sudhakar Shukla
आइवीआरआई में कृषि संबंधी आधुनिक खेती कराने के लिए पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर

A five-day special training program on Cardiology started at the Indian Veterinary Research Institute (ICAR-IVRI), Izzatnagar

आईसीएआर-आईवीआरआई में हृदय रोग विज्ञान पर प्रशिक्षण शिविर 

वाईबीएन संवाददाता बरेली। 

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईवीआरआई), इज्जतनगर में हृदय रोग विज्ञान (Cardiology) विषय पर पाँच दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हो गया। कार्यक्रम का उद्घाटन कोर्स निदेशक एवं वन्यजीव तथा पॉलीक्लिनिक प्रभारी डॉ. एम. पी. पावड़े ने किया। अपने उद्घाटन संबोधन में उन्होंने कहा कि “पुस्तक में जो विद्या है वह तभी सार्थक है, जब वह हमारे मस्तिष्क में सक्रिय रहे। जैसे हमारी माताएँ रोज़ चाकू को तेज करती हैं, वैसे ही हमें भी अपने ज्ञान को निरंतर अद्यतन करते रहना चाहिए।”. उन्होंने कहा यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन करने के साथ- साथ और उन्हें हृदय से सम्बंधित विभिन्न रोगों को पहचानने और उनके उपचार के तरीके सीखने का उत्कृष्ट अवसर प्रदान करेगा। इस अवसर पर औषधि विभागाध्यक्ष डॉ. डी. बी. मंडल ने कहा कि किसी भी रोग के उपचार से अधिक महत्वपूर्ण उसका सटीक निदान है। उन्होंने कहा कि “असली विशेषज्ञ वही है जो समस्या की जड़ को पहचान सके।” उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे केवल प्रमाणपत्र प्राप्ति तक सीमित न रहें, बल्कि ज्ञान और दृष्टिकोण को विकसित करने का प्रयास करें। शल्य चिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ. किरनजीत सिंह ने कहा कि किसी भी प्रमाणपत्र का वास्तविक मूल्य तभी है जब उसके पीछे ठोस व्यावहारिक ज्ञान और सकारात्मक दृष्टिकोण हो। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रशिक्षण का पूरा उपयोग करने, विशेषज्ञों से संवाद बढ़ाने और व्यावहारिक अनुभव अर्जित करने की सलाह दी।

हृदय रोग के लक्षण पशुओं और जानवरों में एक समान: डॉ मेहरोत्रा 

डॉ. संजीव मेहरोत्रा (जानपादिक रोग विभाग) ने कहा कि हृदय रोगों के कई लक्षण मनुष्यों और पशुओं में समान होते हैं — जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप या हृदय विकार। उन्होंने कहा कि “यह क्षेत्र अत्यंत विशिष्ट और उभरता हुआ है, इसलिए हमें विभिन्न स्रोतों से जानकारी लेकर अनुभव प्राप्त करना चाहिए।” कार्यक्रम समन्वयक डॉ. अखिलेश कुमार ने बताया कि प्रशिक्षण के अंतर्गत प्रतिभागियों को श्वानो के हृदय रोगों के निदान एवं उपचार से संबंधित इकोकार्डियोग्राफी, ईसीजी, बायोमार्कर्स, डॉप्लर तकनीक, थोरैसिक रेडियोग्राफी और पोषण प्रबंधन जैसे विषयों पर सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम युवा पशु चिकित्सकों को आधुनिक निदान तकनीकों से परिचित कराएगा और उन्हें वास्तविक क्लिनिकल निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करेगा। इस अवसर पर डॉ. यू. के. डे (औषधि विभाग) ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया। संचालन डॉ. अखिलेश कुमार ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रघुवरन द्वारा किया गया।

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