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गांव हरगोविंदपुर निवासी सुखराम के लिए शुक्रवार का दिन शुक्रानों से भरा था। घर में मांगलिक गीतों के साथ खुशियों की गूंज थी तो घर के हर सदस्य में उमंग। इस उत्साह की वजह थी बेटे सूरज पाल को दूल्हे के लिबास में देखना। बैंड और डीजे की खुशनुमा धुनों के बीच सूरज पाल को दुल्हन लाने के लिए बदायूं रवाना किया गया लेकिन उम्मीदों के परवान चढ़ने से पहले ही सूरज अस्त हो गया। रास्ते में हुए भीषण हादसे में सूरज, उसकी बहन कोमल समेत आठ बरातियों की जान चली गई।
सूरज की उम्र महज 20 साल थी। नाम के मुताबिक वह परिजनों की सेवा से अक्सर में घर में खुशियों की चमक बिखेरता रहता था। उससे बेहतर भविष्य की उम्मीदें लगाए परिवार के सदस्य शुक्रवार की धूमधाम को भी अंजाम तक पहुंचाने के सपने बुन रहे थे। बहनों और बुआओं की ठिठोली तथा सभी बड़ों की दुआओं के बीच वह बरात से लेकर घर से विदा हुआ था। रिश्तेदारों के अलावा सूरज के दोस्तों का
जमघट में भी बरातियों में शामिल था। यही वजह थी कि गांव हरगोविंदपुर से बरातियों को लेकर 11 गाड़ियां रवाना हुई थीं। इनके सबके बाद आगे बढ़ी वह बोलेरो जिसमें दूल्हा बने सूरज व परिवार के बच्चों समेत कुल 10 लोग सवार थे। घर में भाभी लाने का ख्वाब संजोए 15 वर्षीय कोमल भी दूल्हा बने भाई की बोलेरों में ही बैठी थी। सभी को बदायूं के गांव सिरसौल में बरात लेकर पहुंचना था। वहां कन्या पक्ष को बरात का बेताबी से इंतजार था।
मेरठ-बदायूं रोड पर जब बोलेरो पहुंची तो एक धमाके के बीच सभी के सपने चूर हो गए। अचानक बेकाबू हुई बोलेरो एक कॉलेज की दीवार में जा घुसी। तेज टक्कर के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई बोलेरो से एक-एक कर आठ लोग बाहर निकाले गए लेकिन शवों के रूप में। दूल्हा, उसकी बहन, रिश्तेदारों के दो मासूम बच्चों समेत आठ लोगों की जान जा चुकी थी। संवाद
भीषण हादसे से सुखराम पर टूटा दुखों का पहाड़
पिछले कुछ दिनों से बेटे सूरज की शादी के उत्साह में भरे सुखराम के लिए जो शुक्रवार दिन भर खुशियों के उपहार दे रहा था, उसकी शाम सबसे ज्यादा भारी पड़ गई। दूल्हा बने बेटे की गाड़ी हादसे का शिकार होने से उन्होंने बेटे सूरज, बेटी कोमल समेत कई अपनों को खो दिया। हालात से टूटे सुखराम के आंसू थम नहीं पा रहे थे। उनके घर में मांगलिक गीतों की जगह सिसकियों और चीखों ने घेर ली थी। गांव का हर शख्स भी अवाक और सन्न रह गया।