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मक्का लदी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के कारण बरेली- मथुरा हाईवे पर कृषि उत्पादन मंडी समिति के सामने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की कतार के कारण रोडवेज बसों के अलावा ट्रक और छोटे यात्री वाहन भी फंस गए। ऐसे में हाईवे पर दोनों ओर करीब तीन किलोमीटर तक वाहनों की कतार लग गई।
बरेली-मथुरा हाईवे से सटे मंडी समिति परिसर के सामने मक्का लदी ट्रैक्टर- ट्रॉलियों की वजह से जाम की शुरुआत रविवार सुबह करीब आठ बजे हुई। मंडी में गल्ला प्रतिष्ठानों तक मक्का लदी ट्रैक्टर- ट्रॉलियां हाईवे किनारे के धर्मकांटों पर तौल को आने-जाने लगीं, बेतरतीब खड़े वाहनों की वजह से जाम लग गया।
कासगंज, मथुरा, आगरा, अलीगढ़ और एटा तो दूसरी ओर बदायूं और बरेली आने-जाने वाली रोडवेज बसों के अलावा ट्रक और कारें भी जाम में फंस गईं। शुरुआती तीन घंटों तक यात्री वाहनों को निकलने का मौका नहीं मिल पाया। पूर्वाह्न करीब 11 बजे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की संख्या में कमी आने के बाद ही आवागमन सुचारू हो पाया।
इस दौरान पुलिसकर्मियों को बड़ी मशक्कत करने पड़ी। करीब तीन किलोमीटर तक सफर करने में उन्हें एक घंटे का समय लग गया। इसे लेकर सबसे ज्यादा दिक्कत कार और रोडवेज बसों में सवार यात्रियों को हुई। भीषण गर्मी की वजह से बच्चों समेत यात्री परेशान रहे।
बरेली और बदायूं की ओर से कासगंज के रास्ते मथुरा, एटा और आगरा के लिए जाने वाले वाहन सवार लोगों को जब यह पता लगा कि मंडी के सामने जाम लगा तो कई चालकों ने आंबेडकर चौराहे से वैकल्पिक मार्ग चुन लिया। मुजरिया होकर वितरोई मोड़ पर पहुंचने के बाद ही वाहन बरेली- मथुरा हाईवे पर पहुंचे। इस दौरान वैकल्पिक मार्ग पर वाहनों को करीब 15 किलोमीटर का सफर ज्यादा तय करना पड़ा।
मंडी के गल्ला व्यापारियों का कहना है कि मक्का की आवक करीब 20 दिन तक ज्यादा रहेगी। यहां मंडी में बदायूं जिले के अलावा पड़ोसी एटा जिले से भी किसान मक्का बेचने आते हैं। चूंकि, रेलवे का रैक प्वाइंट भी उझानी में है, इस वजह से पड़ोसी मंडियों के मुकाबले यहां मक्का का थोक भाव अधिक रहता है, किसान यही आकर माल बेचने का तरजीह देते हैं। मक्का लदी ट्रैक्टर- ट्रॉलियां भी रोजाना आएंगी। ऐसे में मक्का की आवक में गिरावट होने तक हाईवे पर बार- बार जाम लग सकता है।