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बरेली नगर निगम के नेशनल हाईवे किनारे रजऊ परसपुर स्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेशों को खारिज कर दिया है। इससे नगर निगम को 10 लाख रुपए का जुर्माना भरने से राहत मिल गई है, लेकिन नगर निगम को 62 दिनों का प्रतिदिन के एक-एक लाख रुपए के हिसाब से 62 लाख रुपए जुर्माने की राशि जमा करनी होगी।
नगर निगम ने बरेली-लखनऊ नेशनल हाईवे किनारे रजऊ परसपुर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगवाया था, लेकिन प्लांट में तमाम कमियां बताते हुए जुलाई 2013 में एनजीटी ने प्लांट को बंद करने का आदेश दिया था। इस पर नगर निगम सुप्रीम कोर्ट चला गया। सुप्रीम कोर्ट के स्टे पर प्लांट फिर शुरू हुआ और मार्च 2014 तक कूड़े का निस्तारण किया गया।
इस बीच रजऊ परस के आसपास रहने वाले ग्रामीणों ने प्लांट को लेकर एनजीटी में फिर याचिका दाखिल कर दी थी। इसके बाद एनजीटी ने प्लांट की कमियां दूर कर इसे शुरू करने के निर्देश देते हुए तत्कालीन मेयर और नगर आयुक्त पर पांच-पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया। साथ ही 28 मई 2013 से 17 जुलाई 2013 तक नगर निगम को एक लाख रुपये प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देने का आदेश दिया था।
नगर निगम ने 2018 में प्लांट को शिफ्ट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल किया था। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट को लेकर पूर्व मेयर डॉ आईएस तोमर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। उनका कहना था कि नगर निगम ने गुपचुप तरीके से सुप्रीम कोर्ट में याचिका वापस ले ली थी। नगर निगम की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र और शपथ पत्र भी दाखिल किया गया था। इसमें कहा गया था कि नगर निगम आगे मुकदमा चलाना नहीं चाहता है।
यह शपथ पत्र झूठा था, इसलिए पूर्व मेयर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उन्होंने मामले को दोबारा खोलने, सुनवाई करने और मेरिट पर फैसला करने की मांग की थी। पूर्व मेयर डॉ आईएस तोमर का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मेयर और नगर आयुक्त पर लगे पांच-पांच लाख के जुर्माने को माफ कर दिया है, लेकिन नगर निगम पर लगा जुर्माना देना होगा। वहीं, नगर आयुक्त संजीव कुमार मौर्य का कहना है कि अभी ऑर्डर आया नहीं है। इसका अध्ययन करने के बाद कुछ कहा जा सकता है।