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Bareilly News: ट्रेड मार्क विवाद: पेड़ छाप नवाब दूल्हा खां" के मामले में अन्तरिम निषेधाज्ञा जारी

बरेली के वाणिज्यिक न्यायालय में वादी मैसर्स ताज मोहम्मद खान को बड़ी जीत मिली है। ट्रेड मार्क "पेड़ छाप नवाब दूल्हा खां" के उपयोग मामले में न्यायालय ने आदेश दिया है कि प्रतिवादी को वादी द्वारा पंजीकृत ट्रेड मार्क के डिजाइन और रंग का उपयोग रोका जाए।

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Sanjay Shrivastav
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कोर्ट की डीएम को चेतावनी Photograph: (YBN)

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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

बरेली के वाणिज्यिक न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसमें वादी मैसर्स ताज मोहम्मद खान को बड़ी जीत मिली है। यह मामला ट्रेड मार्क "पेड़ छाप नवाब दूल्हा खां" के उपयोग से संबंधित है। न्यायालय ने आदेश दिया है कि प्रतिवादी इसरार मोहम्मद खान और अन्य को वादी द्वारा पंजीकृत ट्रेड मार्क के डिजाइन और रंग आदि का उपयोग तंबाकू उत्पादों के निर्माण, बिक्री, वितरण और विज्ञापन से रोका जाए।

बरेली में वाणिज्यिक न्यायालय का महत्वपूर्ण आदेश

इस मामले की सुनवाई के दौरान वादी ने न्यायालय में यह प्रार्थना की थी कि प्रतिवादी द्वारा ट्रेड मार्क की नकल की जा रही है, जिससे उनकी व्यावसायिक पहचान को खतरा उत्पन्न हो गया है। वादी का तर्क था कि वह "पेड़ छाप नवाब दूल्हा खां" का ट्रेड मार्क वर्ष 1993 से पहले से उपयोग में लाए हुए हैं, और इसके लिए आवश्यक पंजीकरण भी किया गया है। वादी के समक्ष इस मामले को उठाने का मुख्य कारण यह था कि प्रतिवादी अपने उत्पादों में वादी के ट्रेड मार्क की नकल करके जनता को धोखा दे रहे हैं और इससे वादी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच रहा है।

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ट्रेड मार्क का उपयोग वैध

न्यायालय में तर्कों का निपटारा करते हुए जज देव राज प्रसाद सिंह ने कहा कि वादी द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज और साक्ष्य यह प्रमाणित करते हैं कि उन्होंने उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किया है, और उनके ट्रेड मार्क का उपयोग वैध है। उन्होंने कहा,"यदि प्रतिवादी को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे वादी को अपूर्णीय क्षति होगी।" इसके अलावा, न्यायालय ने यह भी कहा कि वादी का प्रथमदृष्टया केस मजबूत है, और सुविधा का संतुलन भी वादी के पक्ष में है।

व्यापारिक ईमानदारी की रक्षा करता है आदेश

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यदि अस्थायी निषेधाज्ञा जारी नहीं की जाती, तो वादी की व्यावसायिक पहचान और आय को गंभीर नुकसान हो सकता है। यह आदेश प्रतिवादी के लिए एक चेतावनी है कि वे अपने व्यावसायिक संचालन में कानूनी सीमाओं का पालन करें। इस निर्णय के बाद, वादी के पक्ष के वकील ने न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया और कहा कि यह आदेश व्यापारिक ईमानदारी की रक्षा करता है। उन्होंने कहा, "यह निर्णय छोटे व्यवसायियों के लिए एक आशा की किरण है, जो अपने ट्रेड मार्क की रक्षा करने में लगे हैं।"

अगली सुनवाई 17 अप्रैल को होगी

वहीं, प्रतिवादी ने न्यायालय में आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि वे भी अपने अधिकारों की रक्षा करेंगे और न्यायालय में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे। उनका तर्क है कि उन्होंने व्यापार की शुरुआत बहुत पहले की थी और वे भी इस ट्रेड मार्क के वैध उपयोग का दावा करते हैं। अगली सुनवाई की तारीख 17 अप्रैल 2025 निर्धारित की गई है, जहां सभी पक्ष अपने-अपने तर्क प्रस्तुत करेंगे। 

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ट्रेड मार्क विवादों में महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है निर्णय 

इस मामले ने बरेली के व्यापारिक वर्ग में हलचल पैदा कर दी है, और सभी के लिए यह समझना जरूरी है कि कानून की सीमाओं का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है। इस प्रकार का मामला न केवल व्यावसायिक पहचान की रक्षा करता है, बल्कि व्यापारिक नैतिकता को भी बनाए रखता है। बरेली का यह निर्णय ट्रेड मार्क विवादों में एक महत्वपूर्ण मिसाल बन सकता है, और यह दर्शाता है कि न्यायालय ने व्यावसायिक ईमानदारी एवं अधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी गंभीरता दिखाई है।

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