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आंवला क्षेत्र में एक ब्लॉक के बीडीओ ने एक कर्मचारी को फोन करके हड़काया। आप ड्यूटी पर नियमित नहीं आते हैं। कर्मचारियों ने फिर भी बात नहीं सुनी तो बीडीओ ने मंत्री जी से उसी कर्मचारी की शिकायत की। उसमें कहा गया कि फलां कर्मचारी नियमित ड्यूटी पर नही आता है। मंत्री जी ने कर्मचारी को तुरंत बुलवा लिया।
डरा सहमा कर्मचारी अपने एक साथी के साथ मंत्री जी के दरबार में हाजिर हुआ। मंत्री जी बोले, तुम्हारी बहुत शिकायतें मिल रही हैं। रोज ब्लॉक में ड्यूटी पर क्यों नहीं जाते हो। तब कर्मचारी ने मंत्री जी को जवाब दिया कि जिस ब्लॉक में आप रोजाना ड्यूटी पर जाने की बात कर रहे हैं। वहां पर मेरी मूल तैनाती नहीं है। मूल तैनाती दूसरे ब्लॉक में है। जिस ब्लॉक की बात आप कर रहे हैं तो वहां अतिरिक्त चार्ज के तौर पर जब समय मिलता है तो ड्यूटी पर जाता हूं। मंत्री जी बोले, चलो तुम्हारी शिकायत आई थी। फिलहाल, तुम बीडीओ से मिल लेना। हड़बड़ाया हुआ कर्मचारी अपने विभाग के गोदाम प्रभारी के साथ बीडीओ साहब के दरबार में पहुंचा। अब बीडीओ साहब भी कहां चूकने वाले थे।
आप यहां ड्यूटी पर नहीं आते
उन्होंने तुरंत आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आप यहां ड्यूटी पर नहीं आते। चलो, कोई बात नहीं । अब फटाफट ₹5000 निकालो। मंत्री जी को देने हैं। कर्मचारी बोला, सर , अभी तो मेरे पास रुपए नहीं है। न हीं मैं रुपए लेकर नहीं आया हूं। बाद में दे देंगे। साथी गोदाम प्रभारी ने कहा कि क्यों आगे बात बढ़ाना। अभी निपटा दीजिए। ₹4000 मैं दे रहा हूं।
₹1000 का किसी तरह आप इंतजाम कर दीजिए। खैर, जैसे तैसे मिलकर ₹5000 का इंतजाम हुआ। बीडीओ साहब को दे दिए गए। रुपए जेब में पहुंचने के बाद बीडीओ साहब ने कहा कि चलो, कोई बात नहीं। अब तुम अपनी सुविधा के हिसाब से ड्यूटी पर आने-जाने का समय देख लेना। तुम्हारी बात ऊपर तक नहीं पहुंचेगी अगर तुम यह व्यवस्था नहीं करते तो मंत्री जी डीएम साहब से कह देते...। तुम्हारा नौकरी करना मुश्किल हो जाता।