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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। भीम आर्मी भारत एकता मिशन के पदधिकारियों ने सोमवार को कलेक्ट्रेट गेट पर धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने राष्ट्रपति संबोधित ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में जातिगत भेदभाव और सामंती मानसिकता से ग्रसित लोगों द्वारा लगातार अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार की घटनाएँ बढ़ रही हैं। वर्तमान सरकार इन घटनाओं को रोकने में विफल होती दिख रही है। इसके अलावा मथुरा में सांसद चंद्रशेखर आजाद के काफिले पर हुए हमले को लेकर भी उन्होंने आवाज उठाई।
मथुरा में कानून-व्यवस्था खतरे में
मथुरा जिले में हाल ही में हुई हिंसक घटनाओं ने क्षेत्र की कानून-व्यवस्था पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। थाना मॉट क्षेत्र के गांग सिर्रेला गाँव में वासुदेव बघेल नामक युवक की निर्मम हत्या कर दी गई, जिससे इलाके में तनाव व्याप्त है। वहीं, थाना रिफाइनरी क्षेत्र के करनायल गाँव में अनुसूचित जाति की बेटियों की शादी से पहले बारात पर हमला किया गया, जिसके कारण शादी को स्थगित करना पड़ा। इस हमले में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
इसी तरह, थाना सुरीर क्षेत्र के भगत सिंह नगलिया गाँव में चंद्रपाल और उनके परिवार पर हमला हुआ, जिसमें तीन लोग बुरी तरह घायल हो गए। इस बढ़ती हिंसा की घटनाओं से स्थानीय लोगों में भय और आक्रोश बढ़ रहा है।
सांसद के काफिले पर हमले से हड़कंप
मथुरा जिले में बढ़ती हिंसा को लेकर पीड़ित परिवारों से मिलने पहुंचे आजाद समाज पार्टी कांशीराम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भीम आर्मी के संस्थापक, सांसद एडवोकेट चंद्रशेखर आजाद पर हमला किया गया। 28 फरवरी को जब वे थाना सुरीर क्षेत्र में पीड़ित परिवारों से मुलाकात करने जा रहे थे, तभी पुलिस की मौजूदगी में असामाजिक तत्वों ने उनके काफिले पर सुनियोजित हमला कर दिया। इस हमले में कई कार्यकर्ताओं की गाड़ियों को नुकसान पहुँचा और कुछ लोग घायल हो गए। इसके बावजूद चंद्रशेखर आजाद ने अपने दौरे को जारी रखते हुए पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और प्रशासन से उनके लिए न्याय एवं सुरक्षा की माँग की। लेकिन जब वे लौट रहे थे, तब एक बार फिर पुलिस की मौजूदगी में हमला किया गया, जिससे इलाके में तनाव और बढ़ गया। इस हमले के बाद प्रशासन की निष्क्रियता और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सरकार की निष्क्रियता पर सवाल
लगातार हो रही इन घटनाओं से प्रदेश के गरीब और कमजोर वर्गों में भय और असुरक्षा की भावना गहरी होती जा रही है। असामाजिक तत्वों के बढ़ते दुस्साहस के सामने पुलिस प्रशासन असहाय नजर आ रहा है, जिससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि क्या सरकार ऐसे हमलों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी या नहीं। पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लगा रहे हैं, जबकि सामाजिक संगठनों और आमजन में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सरकार से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और कानून-व्यवस्था की सख्त बहाली की माँग लगातार तेज हो रही है, लेकिन अब तक ठोस कदम उठाए जाने के कोई संकेत नहीं मिले हैं।