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भाजपा जिला और महानगर अध्यक्ष: वर्चस्व की लड़ाई में विधायक पर भारी पड़े मेयर

कैंट विधायक नहीं बनवा पाए अपना महानगर अध्यक्ष, चेहरे पर दिखी मायूसी, कई और दिग्गज नेताओं के दांव हुए फेल, जिला अध्यक्ष पद पर भी चल रही थी तगड़ी खींचतान।

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Sudhakar Shukla
BJP District and Metropolitan President
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली। लंबे इंतजार के बाद भाजपा ने बरेली के जिला अध्यक्ष और महानगर अध्यक्ष पद पर नामों की घोषणा आखिरकार कर दी, इसमें बड़े नेताओं ने भी पर्दे के पीछे अपना जिला और महानगर अध्यक्ष बनवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दोनों अहम पदों के लिए भाजपा में अंदरखाने राजनीतिक वर्चस्व की जंग छड़ी हुई थी। जिला अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के वर्तमान सांसद छत्रपाल गंगवार और दूसरे राज्य में बड़े पद पर विराजमान दिग्गज नेता ने भी एड़ी-चोटी का जोर लगाया। 

वहीं महानगर अध्यक्ष पद पर अपना व्यक्ति बिठाने के लिए मेयर उमेश गौतम और कैंट विधायक संजीव अग्रवाल ने लखनऊ तक लॉबिंग की। अंत में बाजी सांसद छत्रपाल गंगवार और मेयर उमेश गौतम के हाथ लगी। राजनीति में अपनी बेटी को स्थापित करने में जुटे दूसरे राज्य के दिग्गज नेता और कैंट विधायक को पार्टी हाईकमान के निर्णय ने मायूस कर दिया। दोनों अहम पदों पर अपना व्यक्ति बिठाने के बाद भावी राजनीति भी फिलहाल इनके इर्दगिर्द ही घूमती दिख सकती है। 

भाजपा जिला अध्यक्ष पद पर काबिज हुए सोमपाल शर्मा मूलरूप से मीरगंज के रहने वाले हैं। भाजपा के वर्तमान सांसद छत्रपाल गंगवार ने इनके नाम की सिफारिश हाईकमान से की थी। सूत्रों के मुताबिक दूसरी ओर बरेली से कई बार सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके भाजपा के दिग्गज नेता, जो कि वर्तमान में एक दूसरे राज्य में उच्च पद पर विराजमान हैं, उन्होंने पूर्व जिला अध्यक्ष राजकुमार शर्मा को दोबारा जिला अध्यक्ष बनवाने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगाया था, मगर भाजपा संगठन के चुनाव में बाजी छत्रपाल गंगवार के हाथ लगी। सांसद अपना जिला अध्यक्ष बनवाने में कामयाब रहे। जबकि दिग्गज नेता की लॉबी कमजोर पड़ गई। पूर्व जिला अध्यक्ष की इस पद पर दोबारा ताजपोशी नहीं हो सकी। 

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बेटी को राजनीति में करना चाहते हैं स्थापित 

भाजपा के दिग्गज नेता सांसद का टिकट कटने के बाद अपनी सक्रिय राजनीति के अंतिम पड़ाव पर हैं। पार्टी ने उनको एक दूसरे राज्य में बड़े पद पर भेजकर उनका सम्मान जरूर बरकरार रखा है, मगर बरेली की राजनीति में उनकी स्थिति दिन पर दिन कमजोर पड़ती जा रही है। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि यह दिग्गज नेता अगला लोकसभा का चुनाव अपनी बेटी को बरेली से लड़ना चाहते हैं। इसके चलते वह पूर्व जिला अध्यक्ष राजकुमार शर्मा को दोबारा इसी पद पर बिठाकर दांव चलने की तैयारी में थे, मगर पार्टी स्तर पर यह दांव सफल नहीं हो पाया। 

वहीं दूसरी ओर बरेली जिला अध्यक्ष पद पर फरीदपुर के रहने वाले आरएसएस और भाजपा से जुड़े संजीव शर्मा की दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही थी, लेकिन उनका दांव भी खाली गया। सूत्रों के मुताबिक इसकी वजह यह मानी जा रही है कि उनके साथ स्थानीय स्तर पर भाजपा का कोई बड़ा नेता नहीं खड़ा था। इसलिए संजीव शर्मा को जिला अध्यक्ष नहीं बनाया गया। 

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महानगर अध्यक्ष पद पर भी थी तगड़ी रस्साकसी 

भाजपा में महानगर अध्यक्ष पद के लिए भी दो दर्जन से ज्यादा नाम चर्चा में थे। सूत्रों के मुताबिक कैंट विधायक संजीव अग्रवाल किसी और को महानगर अध्यक्ष बनवाने के लिए लॉबिंग कर रहे थे। वहीं कालीबाड़ी में रहने वाले एक दिग्गज नेता इस बार निष्क्रिय दिखे। कैंट विधायक की लॉबिंग फिलहाल काम नहीं आई। मेयर उमेश गौतम शुरू से ही अधीर सक्सेना के साथ मजबूती से खड़े थे। उनका अधीर सक्सेना को दोबारा भाजपा का बरेली महानगर अध्यक्ष बनवाने का दांव सफल रहा। पार्टी ने अधीर सक्सेना के नाम पर ही फिर से मुहर लगा दी।

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