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breaking news : नामचीन नेता समेत 25 उद्योगपतियों ने खरीदीं 2000 करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति ... इनकम टैक्स की नजर

शहर की राजनीति करने वाले एक नेताजी समेत 25 से अधिक उद्यमियों, रियल एस्टेट कारोबारी, सर्राफा व्यापारी, और शराब कारोबारियों ने मुखौटा किसानों के नाम बेनामी जमीन खरीदी है।

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Sudhakar Shukla
आयकर विभाग बरेली

आयकर विभाग बरेली

वाईबीएन संवाददाता बरेली।

शहर के हरुनगला, बड़ा बाईपास, रामपुर रोड, शाहजहांपुर रोड, बदायूं रोड, पीलीभीत रोड पर रिठौरा या उससे आगे और डोहरा क्षेत्र की जमीनों की अचानक रजिस्ट्री बढ़ गई है। शहर की राजनीति करने वाले एक नेताजी समेत 25 से अधिक उद्यमियों, नेताओं, रियल एस्टेट कारोबारियों, सर्राफा व्यापारियों और शराब कारोबारियों ने मुखौटा किसानों के नाम पर इन स्थानों पर महंगी जमीनें खरीदी है। नगर निगम से ताल्लुक रखने वाले एक नेताजी ने शाहजहांपुर रोड, बड़ा बाईपास रोड से लेकर लखनऊ, नोएडा और उत्तराखंड के देहरादून में दूसरे प्रदेश के नेताओं के साथ मिलकर जमीनों में हजारों करोड़ रुपए का बेनामी निवेश किया है। इन नेताजी पर आय से अधिक संपत्ति का एक मामला उच्च न्यायालय में भी लंबित है। बीते महीनों शासन से भी उनकी आय से अधिक संपत्ति की जांच आ चुकी है। हालांकि बार-बार उनकी जांच दब जाती है। मगर, भविष्य में उन पर शिकंजा कसना तय है।  

सूत्रों के अनुसार आयकर विभाग ने शहर के नामचीन शराब कारोबारियों, सर्राफा व्यापारियों और उद्योगपतियों की बेनामी जमीन खरीद पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। जांच में पता चला है कि इन लोगों ने मुखौटा किसानों के नाम से रजिस्ट्री कराकर करोड़ों की जमीन में निवेश करके अपनी संपत्तियां दबाकर करोड़ों रुपए की इनकम टैक्स की चोरी की है। आयकर विभाग को रजिस्ट्री कराने वाले किसान ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति लेन-देन निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है। ऐसे 25 से अधिक प्रभावशाली नामों की सूची तैयार की गई है, जिन्होंने 2004 से अब तक बड़ा बाईपास, फरीदपुर, हरुनगला और डोहरा क्षेत्र में करोड़ों की जमीन खरीदकर बेनामी संपत्ति बनाई है। हालांकि खुले तौर पर आयकर विभाग ने अपनी कार्रवाई की पुष्टि नहीं की। मगर, अंदरखाने बहुत कुछ चल रहा है। इसके नतीजे जल्द ही आने वाले दिनों में देखने को मिल सकते हैं। 

आयकर आयुक्त ने भेजी सूची, डीएम ने बनाई जांच कमेटी


सूत्रों के अनुसार बरेली के अतिरिक्त आयकर आयुक्त कृष्ण कुमार मिश्रा ने 30 सितंबर को डीएम अविनाश सिंह को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी। इसमें बड़ा बाईपास, फरीदपुर, हरुनगला, पीलीभीत रोड, रिठौरा, बदायूं रोड, रामपुर रोड पर बीते 20 साल से जमीन खरीदने वाले क्रेताओं के नाम जमीन के खसरा नंबर, गाटा संख्या, खरीदारों के नाम-पते, पिता का नाम और खरीद की तारीख दर्ज है। इस रिपोर्ट का मकसद यह है कि प्रशासन को जमीनों की मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने में कोई बाधा न आए। आयकर विभाग का पत्र मिलते ही डीएम ने एडीएम वित्त को विभिन्न नामों से खरीदी गई जमीन के मूल्यांकन की जिम्मेदारी सौंपी है। उसके बाद सदर तहसील का प्रशासन भी सक्रिय हो चुका है। एसडीएम सदर और तहसीलदार सदर को इन जमीनों की रजिस्ट्रियों की जांच करके सरकारी दरों पर उनकी मूल्यांकन रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए गए हैं।

 मुखौटा किसानों के नाम से खरीदी 2000 करोड़ की बेनामी संपत्ति 


आयकर विभाग की सूची में बरेली के आस-पास हाईवे पर महंगी जमीन की खरीदारी करने वालों में सोबरन सिंह, कन्हई लाल, भोले राम, छोटे लाल, झनकारी लाल, तोड़ी राम, दिनेश चंद, रमेश चंद्र, मोहन लाल, चरन खेमकरण, चंद्रपाल, रामपाल, राजाराम, उमाशंकर, होरीलाल, शिवचरन, गुरप्रीत सिंह, रघुनंदन, राजीव कुमार सहित कई नाम शामिल हैं। लेकिन ये सभी नाम एक तरह के मुखौटे हैं। इनके पीछे बिल्डर, कारोबारी, सफेदपोश नेता शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार शहर की राजनीति करने वाले नेताजी ने भी शाहजहांपुर रोड, बड़ा बाईपास रोड के अलावा देहरादून में महंगी जमीनें पद पर काबिज होने के बाद खरीदी हैं। उनके पार्टनर भी शहर के तमाम नामचीन कारोबारी हैं। सूत्रों के अनुसार चौकी चौराहा के आस-पास बेशकीमती शॉपिंग मॉल, हॉस्पिटल के अलावा आलीशान होटल में भी नेताजी की पार्टनरशिप है। नेताजी की जन्म कुंडली दो साल पहले एक नगर आयुक्त ने शासन को जांच के लिए भेजी थी। मगर, वर्तमान में उनकी फाइल दबी पड़ी है। फिलहाल, शहर के आस-पास महंगी जमीनों पर कब्जे और मौका मुआयने की जांच के आधार पर आने वाले दिनों में इन सबकी कुंडली तैयार की जायेगी। जमीन के खरीददारों में कुछ नाम सोने-चांदी के कारोबार और शराब के ठेकेदार, खनन नेटवर्क के कारोबार से जुड़े कारोबारी हैं। परसाखेड़ा और फरीदपुर के कुछ उद्योगपति भी इनमें शामिल हैं, जिन्होंने शाहजहांपुर रोड, बदायूं रोड और रामपुर रोड पर महंगी जमीनें खरीदीं। इनके नाम हालांकि अभी सामने नहीं आए हैं।

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प्रशासन में हलचल—बड़े नाम उजागर न करने का दबाव


सूत्रों का कहना है कि आयकर विभाग ने बड़ा बाईपास और हाईवे के आस-पास खरीदी जाने वाली जमीनों के 15 से अधिक गाटा नंबर चिन्हित कर लिए हैं।  अब इन पर 'बेनामी' का ठप्पा लगने की पूरी संभावना दिख रही है। जैसे ही मूल्यांकन रिपोर्ट डीएम कार्यालय से वापस आयकर विभाग जाएगी। उसके बाद इसी आधार पर वित्तीय और कानूनी होगी। सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में बेनामी जमीनों में करोड़ों रुपए का मुखौटा किसानों के नाम से निवेश करने वाले नेताजी, उद्यमी, शराब कारोबारी, लखनऊ सदन के दो माननीय, रियल एस्टेट कारोबारियों पर तगड़ा शिकंजा किसा जाएगा। एक माननीय ने विभिन्न नामों से पीलीभीत बाईपास रोड, डोहरा रोड और बदायूं रोड पर महंगी जमीनों में करोड़ों रुपए का निवेश किया है। वहीं एक दूसरे माननीय ने फरीदपुर में रामगंगा किनारे विभिन्न गांवों में 500 बीघा जमीन खरीदकर बेनामी संपत्ति इकट्ठा की है। प्रशासन पर बड़े नाम उजागर न करने का दबाव भी संभव है। 

फाइलें खुलीं तो हड़कंप तय, जमीनों पर लगेगा ‘बेनामी’ का टैग


नाम न छापने की शर्त पर एक आयकर अधिकारी ने बताया कि बेनामी संपत्ति अधिनियम के तहत इनकी संपत्ति कुर्क की जा सकती है। नाम बदलकर की गई रजिस्ट्री रद्द हो सकती है। खरीदार और मुखौटा दोनों पर दंडात्मक कार्रवाई भी संभव है। जिन्होंने विभिन्न नामों से बेनामी संपत्ति करके सरकार के साथ धोखाधड़ी की है। आने वाले दिनों में उन पर एफआईआर दर्ज होगी। उन पर अर्थदंड भी लगाया जा सकता है। बेनामी संपत्ति में उनका नाम उजागर होने पर इन नेताओं का राजनीतिक कैरियर भी प्रभावित हो सकता है। बरेली के कई कारोबारियों के अलावा राजनीतज्ञों के चेहरे भी बेनकाब हो जायेंगे। 

 (नोट: प्रशासन और आयकर विभाग में बेनामी संपत्तियों की खोजबीन का काम चल रहा है। मगर, प्रशासनिक या इनकम टैक्स के अधिकारियों द्वारा इस मसले पर खुलकर कुछ न बोलने से यंग भारत न्यूज इस खबर की पुष्टि नहीं करता। मगर, सूत्रों पर आधारित बेनामी संपत्तियों के खरीद के खुलासे के समाचार का अगला चरण जल्द ही आपको पढ़ने को मिलेगा। )

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