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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
विपक्षी दल कांग्रेस ने बजट को बताया राजनीतिक स्वार्थ
अजय शुक्ला, महानगर अध्यक्ष कांग्रेस कमेटी बरेली
बरेली। महानगर कांग्रेस कमेटी के कार्यवाहक अध्यक्ष अजय शुक्ला ने केंद्र सरकार के बजट को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि यह बजट बिहार और दिल्ली विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह जनता के लिए कल्याणकारी बजट नहीं है। यह बजट पूर्णतः राजनीतिक स्वार्थ का बजट जिसमें जुमलों की बौछार की गई है। किसानों के लिए एमएसपी तथा जो महंगाई 45 साल में सबसे उच्चतम स्तर पर पर है, बजट में उस पर कोई चर्चा नहीं की गई। बजट में महत्वपूर्ण क्षेत्र ,शिक्षा में 2.60% से 2.53%,परिवहन में 11.28% से 10.83%, ग्रामीण विकास में 5.51% से 5.26%, आईटी व दूरसंचार में 2.41% से 1.88% की कटौती की गई है। यह दर्शाता है कि मोदी सरकार का बजट आम आदमी, महिला, युवा, किसान, पिछड़ा दलित और आदिवासी विरोधी है। जनता इसका जवाब वोट के जरिए देगी।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ के० बी० त्रिपाठी
केंद्र के बजट से महिलाएं, किसान, युवा सब निराश
बरेली उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता डॉ के० बी० त्रिपाठी ने कहा कि यह किसी लोक कल्याणकारी सरकार का बजट नहीं बल्कि किसी चतुर बनिया का बजट है। इसमें सिर्फ गरीब - आम आदमी , युवाओं, किसानों का खून निकलने की तैयारी है। बजट में किसानों की एमएसपी पर बात तक नहीं की गई है। शिक्षा, स्वास्थ्य, ट्रांसपोर्ट , ग्रामीण विकास और IT & टेलीकॉम को आवंटन घटा दिया गया है। बेरोजगारी और मंहगाई के दौर में छोटी आय वालों को राहत नहीं दी गई है। टैक्स स्लैब में जिनकी आय 12 लाख,18 लाख 25 लाख तक है उनको छूट दी गई है , छूट भी उन्हें, जो आसानी से टैक्स दे सकते हैं।
यदि आपकी आय 12 लाख से कम है तो कोई राहत नही।अब ऐसे दौर में 12 लाख कौन कमा रहा है। जब बेरोजगारी- मंहगाई चरम पर है
आधारभूत जरूरत स्वास्थ्य को बजट का कुल 1.94 प्रतिशत मिला। इससे अंदाजा लगा लीजिए। मोदी सरकार लोगों के स्वास्थ्य और दवाइयों को लेकर कितनी लापरवाह है। वित्त मंत्री भाजपा की मंशा को परिलक्षित कर रही है। इनकी नीति से चारों इंजन कृषि ,निवेश,MSME, और निर्यात की बुरी हालत है। शिक्षा को पिछले बजट 2.60 % से घटाकर 2.53 % कर दिया। ट्रांसपोर्ट में भी घटाकर 11.28% से 10.83 % कर दिया, भारत 75 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में बसती है, जिसका बजट भी घटाकर 5.51 % से 5.26 % कर दिया। सरकार को सिर्फ उद्योगपतियों की चिंता है। उनही को लाभ पहुचाने का काम किया गया है। देश का आम आदमी अपने आप को ठगा महसूस कर रहा है ।
एमजेपी रोहिलखंड विश्वविद्यालय के शोध छात्र विशेष कुमार गंगवार
शिक्षा के लिए बजट मील का पत्थर
एमजेपी रोहिलखंड विश्वविद्यालय के शोध छात्र विशेष कुमार गंगवार का कहना है कि केंद्र सरकार के द्वारा वर्ष 2024-25 में लाया गया बजट शिक्षा के लिए बिल का पत्थर साबित होगा। बजट में अनुसंधान, नवाचार और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रावधान किए गए हैं। एक शोध छात्र के रूप में मैं पीएम अनुसंधान अध्येतावृत्ति योजना के तहत 10,000 शोध छात्रवृत्तियों के आवंटन का स्वागत करता हूं। यह कदम उन्नत तकनीकी अनुसंधान को बढ़ावा देगा और देश के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करेगा। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय भू-स्थानिक मिशन, कृषि के लिए जर्मप्लाज्म बैंक की स्थापना और ज्ञान भारतम मिशन जैसी पहल भारत को एक ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। ₹20,000 करोड़ का अनुसंधान एवं विकास के लिए आवंटन निजी क्षेत्र को नवाचार में भागीदारी के लिए प्रेरित करेगा। यह बजट न केवल शोधकर्ताओं के लिए संभावनाओं के द्वार खोलेगा, बल्कि देश के आत्मनिर्भरता अभियान को भी मजबूत करेगा, विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को शोध, अनुसंधान एवं नवाचार के माध्यम से निश्चित ही प्राप्त करेगा।"
कांग्रेस जिला अध्यक्ष मिर्जा अशफाक सकलैनी
उद्योगपतियों और अमीरों का बजट: कांग्रेस जिला अध्यक्ष
बरेली। केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस जिला अध्यक्ष मिर्जा अशफाक सकलैनी ने कहा कि केंद्र सरकार के इस बजट में आमिर और उद्योगपतियों का विषेश ध्यान रखा गया है। इस बजट से बरेली सहित पूरे उत्तर प्रदेश को निराशा मिली है। यह बजट सिर्फ और सिर्फ बिहार के चुनावो को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। बजट में बेरोजगार युवाओं के लिए कुछ भी नहीं कहा गया।
बढ़ती बेरोजगारी से पनपी निराशी भारत की सबसे बड़ी समस्या है। जातीय जनगणना देश की सबसे बड़ी मांग हैं, जिसमें वंचित समाज का हित निहित है। उसका ज़िक्र तक इस सरकार ने नहीं किया। सरकार को जवाब देना पड़ेगा। बजट में उच्च शिक्षा को ग्रामीण भारत तक पहुंचाने की कोशिश नहीं दिखती। न ही स्वास्थ्य के लिए कुछ विशेष है। कैंसर इस दौर की सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरी है। बजट में उत्तर प्रदेश के लिए कुछ नहीं है। केंद्र की मोदी सरकार अपने हर बजट में विकास को चुनावी राज्यों के हिसाब से परिभाषित करती है। यह विकास की परिकल्पना से धोखा है। यूपी का पीतल उद्योग, बर्तन उद्योग, चूड़ी उद्योग, चमड़ा उद्योग और मोदी जी जहां से चुनकर आते हैं। वहां बुनकरों के हालात पर बजट में कोई व्यवस्था नहीं दिखती है खेल को बढ़ावा देने के प्रति भी यह सरकार गंभीर नहीं दिखी। किसान आज भी एमएसपी की गारंटी के लिए दिल्ली की चौखट पर संघर्ष कर रहा है लेकिन उसके संघर्ष को भुला दिया गया है। यह पूरी तरह से युवा, किसान, दलित और पिछड़े वर्ग का विरोधी ,बजट है। बजट आम जनता के साथ छलावा और धोखा है, झूठा है। जनता के हितों से परे है।