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आवारा गायें जहां सड़क पर घूमकर चारा और पीने के पानी को तरस रही हैं। तमाम गायें किसानों के खेतों में रात में घुसकर फसलें खा जाती हैं। जब पशुपालन विभाग के अफसर गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता के सामने आंकड़े देने के लिए जुटे तो सब कुछ ऑल इज वेल था। सबने एक दूसरे की खूब तारीफ की।
अध्यक्ष गोसेवा आयोग श्याम बिहारी गुप्ता ने कहा कि गोसेवा आयोग बने हुए अभी छः माह हुए हैं। आयोग के सदस्य विभिन्न जनपदों में गौशालाओं का निरीक्षण व अनुश्रवण करने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि झांसी की कान्हा गौशाला आकर्षण का केन्द्र है वहां आमजन बच्चों के जन्मदिन और विवाह की वर्षगांठ पर जाते हैं। कहा कि गोशाला योजना को वास्तविक रूप से किसानों को समझाएं। ताकि किसान उसका लाभ ले सकें और वह गाय के गोबर से खाद व बायोगैस बना सकें। वन विभाग को बरसात के मौसम में वृक्षारोपण कराने के लिए कहा गया। सहभागिता योजना में किसको- कितने गोवंश दिए गए हैं, उसकी सूची प्रदर्शित करने की बात की गई। कितना भूसा दान में आया। इसका भी रिकार्ड भी रखा जाए। भूसे की कम पड़ने वाली मात्रा का टेण्डर किया जाए। पशुओं को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए उन्हें रेडियम बेल्ट पहनायी जाए। अध्यक्ष ने बताया कि गौशालाओं का निरीक्षण व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के उद्देश्य से किया गया है। प्रधान व सचिवों के पास काफी कार्य रहता है। गौशालाएं स्वयं सेवी संस्थाओं को सौंपी जाएं। गौशाला गाय का स्थान नहीं है। उसका स्थान किसान के आंगन में है। गौशालाओं को गौ आधारित प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण केन्द्र बनाया जाए।
अध्यक्ष गोसेवा आयोग श्याम बिहारी गुप्ता की अध्यक्षता में आज मुख्यमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना निराश्रित गोवंश संरक्षण, गोसेवा आयोग, मण्डल स्तरीय अनुश्रवण मूल्यांकन समिति की बैठक सर्किट हाउस में हुई। यहां गोसेवा आयोग के सदस्य महेश शुक्ल, सदस्य रमाकांत उपाध्याय, राजेश सिंह सेंगर, दीपक गोयल विधायक कैंट संजीव अग्रवाल, भाजपा महानगर अध्यक्ष अधीर सक्सेना, अधिकारियों में जिलाधिकारी अविनाश सिंह, मुख्य विकास अधिकारी जग प्रवेश, मुख्य वन संरक्षण अधिकारी, अपर निदेशक पशुपालन व सम्बंधित मण्डल स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे। अपर निदेशक पशुपालन ने बताया कि मण्डल में 621 गौशालाएं हैं। उनमें 60347 गोवंशीय पशु संरक्षित हैं। 22 वृहद गौ संरक्षण केन्द्र निर्माणाधीन हैं। वर्तमान में 32 वृहद गौ संरक्षण केन्द्र रुहेलखंड मण्डल में संचालित हैं।
गायों को खिलाने के लिए भूसा दान
अपर निदेशक पशुपालन ने बताया कि दान के माध्यम से बहुत से किसान गायों को खिलाने के लिए भूसा दें रहे हैं। भूसा और साइलेज का टेंडर भी हो गया है। गौशालाओं में चौकीदार व गोसेवकों की भी नियुक्ति की गयी है। अन्य व्यवस्थाएं भी की जा रही है। नंदी गोशालाएं भी बनवायी गयी हैं। बरेली में तीन, बदायूं में एक व शाहजहांपुर में तीन नंदी गोशालाएं है। गौशालाओं की बाउंड्रीवाल बनाने के लिए बजट दिलाने की अपील की गई। गोवंशीय पशुओं को भीषण गर्मी से पशुओं के बचाव के लिए किया गया।
महिला समूहों को प्राकृतिक खेती के अभियान से जोड़ें
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गोसेवा आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि कि उत्तर प्रदेश में 09 लाख 58 हजार स्वयं सहायता समूह हैं। इनमें 01 करोड़ 18 लाख सदस्य महिलाएं हैं। उनको प्राकृतिक खेती के राष्ट्रीय अभियान से जोड़ा जाना है। इसके लिए कृषि सखी की नियुक्ति की जा रही है। वह जीवामृत बनाएंगी। प्रकृति को बचाएंगी। उन्होंने कहा कि गौआधारित प्राकृतिक खेती करने वाले लोगों को प्रोत्साहित करके गौशालाओं में बायोगैस संयंत्र लगाए जाएं। निकट भविष्य में भोजन का संकट आने वाला है। खेती का रकबा हर साल कम हो रहा है। मनरेगा से पक्का कैटल शेड, यूरिन टैंक व नाद बना कर दिया जाए। गोसेवा आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि गाय बहुत उपयोगी है। मृत मृदा खेती को स्वस्थ और उपजाऊ बनाने के लिए गायों के गोबर और गौमूत्र की जरूरत है। उससे थाली में केमिकल मुक्त भोजन जाएगा। हर किसान के पास कम से कम एक गाय अवश्य होनी चाहिए। डीएम अविनाश सिंह ने आश्वस्त किया कि गोसेवा समिति के निर्देशों का शतप्रतिशत पालन सुनिश्चित कराया जाएगा। किसानों व स्वयं सहायता समूहों को जीवामृत बनाने का प्रशिक्षण दिलाकर गौशालाओं में वृक्षारोपण भी कराया जाएगा। आंवला के ग्राम खनगवां श्याम में गौशाला की संचालिका को गोबर से उत्कृष्ट उत्पाद बनाए जाने पर सम्मानित किया गया।
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