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रेपिस्ट डेंटिस्ट को 10 साल की सजा, नशे का इंजेक्शन लगा प्रापर्टी डीलर की पत्नी से किया था दुष्कर्म

बरेली के स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने दुष्कर्म के मामले में दोषी करार देते हुए दंत चिकित्सक को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 25 हजार रुपये का जुर्माना भी डाला है।

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Sanjay Shrivastav
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दुष्कर्मी को सजा
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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बरेली के स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज राघवेंद्र मणि त्रिपाठी ने दुष्कर्म के मामले में दोषी करार देते हुए दंत चिकित्सक को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 25 हजार रुपये का जुर्माना भी डाला है। डेंटिस्ट ने प्रॉपर्टी कारोबारी की पत्नी को नशीला इंजेक्शन लगाकर उस वक्त दुष्कर्म किया, जब वह अपने दांत का इलाज कराने गई थीं।

16 अक्टूबर 2021 को शाम चार बजे हुई थी घटना

एडीजीसी संतोष श्रीवास्तव ने बताया कि सैदपुर हाकिंस निवासी पीड़िता अपने दातों का इलाज कराने के लिए प्रकाश डेंटल क्लीनिक में नियमित रूप से जाती थीं। 16 अक्टूबर 2021 को शाम 04 बजे जब वह डॉ. रविंद्र के पास इलाज के लिए पहुंची तो डॉक्टर ने दांत उखाड़कर नया दांत लगाने की बात कहकर नशीला इंजेक्शन लगा दिया। इंजेक्शन का असर होने के बाद महिला बेसुध हो गई। उनकी बेहोशी की हालत का फायदा उठाकर डॉक्टर ने दुष्कर्म किया।

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डाक्टर ने अश्लील वीडियो बनाकर दी वायरल करने की धमकी

होश में आने पर आरोपी ने पीड़ित को धमकाया कि उसने वीडियो बना ली है, और अगर किसी को कुछ बताया तो वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा और जान से मार देगा। इस घटना के बाद महिला गहरे सदमे और तनाव में रही। कई दिन चुप रहने के बाद 03 नंबर 2021 को जब पति ने लगातार पूछताछ की तब पीड़िता ने आप बीती घटना बताई। इसके बाद महिला के पति ने थाना इज्जतनगर जाकर शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपी डेंटिस्ट के खिलाफ दुष्कर्म और नशा देकर छेड़छाड़ करने और धमकी देने की संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया।

यह केवल व्यक्तिगत अपराध नहीं, सामाजिक विश्वास का हनन है

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पुलिस ने विवेचना के बाद आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। शासकीय अधिवक्ता संतोष श्रीवास्तव ने अदालत में छह अहम गवाह प्रस्तुत किए। जिनके बयानों के आधार पर अदालत ने डाक्टर को दोषी पाया। न्यायाधीश ने कहा कि चिकित्सा जैसे पवित्र पेशे से जुड़ा व्यक्ति जब अपने पद का दुरुपयोग करता है तो यह केवल व्यक्तिगत अपराध नहीं होता, बल्कि सामाजिक विश्वास का भी हनन होता है। ऐसे मामलों में सख्त सजा देना जरूरी है, ताकि समाज में एक सशक्त संदेश जाए।

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