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डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय नैनीताल रोड बिलवा बरेली
बरेली, वाईबीएन संवाददाता । पहले से ही विवादों में घिरी नीरजा सिंह आखिर डीडी कृषि का चार्ज 15 दिन भी नहीं चला सकीं। शासन ने नीरजा सिंह से डिप्टी डायरेक्टर कृषि का चार्ज वापस ले लिया। बरेली में डिप्टी डायरेक्टर कृषि का चार्ज डीडी पीपी अमरपाल को सौंपा गया है। नीरजा सिंह से डीडी कृषि का चार्ज हटने से विभागीय कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है।
कृषि और भूमि संरक्षण विभाग में 22 करोड़ से ज्यादा धनराशि के घोटाले की जांच शासन स्तर पर चल रही है। इस मामले में पिछले माह पूर्व कार्यवाहक बीएसए संजय सिंह और डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह को निलंबित कर दिया गया था। उसके बाद कृषि निदेशालय के कुछ अधिकारियों की सांठगांठ से भूमि संरक्षण विभाग की डिप्टी डायरेक्टर नीरजा सिंह को डीडी कृषि का अतिरिक्त चार्ज मिल गया था।
सूत्रों के मुताबिक डीडी कृषि का चार्ज मिलते ही नीरजा सिंह ने सबसे पहले अपने दफ्तर के कुछ कर्मचारियों को टारगेट पर ले लिया। डीडी कृषि दफ्तर के बाबुओं पर विश्वास न करके भूमि संरक्षण विभाग के घाघ बाबू नरेश राजपूत को महत्वपूर्ण पटल दे दिए। मतलब, नरेश राजपूत की नियुक्ति भूमि संरक्षण में थी, लेकिन वह प्रतिदिन डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय में जाकर ऊपरी कमाई वाले काम में हद से आगे बढ़कर हस्तक्षेप करने लगे।
कृषि विभाग के सूत्रों का कहना है कि कार्यवाहक डिप्टी डायरेक्टर कृषि नीरजा सिंह का संरक्षण पाकर नरेश राजपूत ने कृषि विभाग के 50 लाख से अधिक बजट के टेंडर उनके खास ठेकेदार को देने की प्रक्रिया शुरू कर दी। इतना ही नहीं, डीडी कृषि के अतिरिक्त चार्ज पर रहते हुए 80 लाख से ज्यादा के पुराने बिल भी खोजे जाने लगे।
इन बिलों पर पुराने डिप्टी डायरेक्टर आपत्ति लगा चुके थे। उन बिलों को काटकर डेढ़ करोड़ से ज्यादा रकम के गोलमाल करने की तैयारी थी। इसकी भनक शासन को लग गई। तभी शासन ने अचानक नीरजा सिंह से डीडी कृषि का अतिरिक्त चार्ज वापस ले लिया। फिलहाल, नीरजा सिंह से कृषि का अतिरिक्त चार्ज हटने से विभागीय कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है।
कृषि और भूमि संरक्षण में 22 करोड़ के घपलेबाजों को जांच में दे दी थी क्लीनचिट
मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन के आदेश पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि और डब्लूडीसी योजना में हुए 22 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच सबसे पहले डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण के तौर पर नीरजा सिंह ने ही की थी। उस जांच में उन्होंने घोटालेबाजों को क्लीनचिट दे दी थी। उसके बाद मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल के आदेश पर जब इस मामले की टीएसी जांच हुई तो उसमें ये सब प्रथम दृष्टया दोषी पाए गए।
नीरजा सिंह की इस एक पक्षीय जांच को शासन स्तर पर संदेह की नजर से देखा जाता है। इस मामले में नीरजा सिंह पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। उन पर शासन कभी भी कार्रवाई कर सकता है।