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डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय बरेली, जहां बैठते थे घोटालेबाज अफसर-कर्मचारी
15 करोड़ से ज्यादा के घपले की जांच में पाए गए थे दोषी
बरेली। डिप्टी डायरेक्टर (कृषि) अभिनंदन सिंह और बरेली के पूर्व भूमि संरक्षण अधिकारी (दो महीने पहले जिनका ट्रांसफर बांदा कर दिया गया था) संजय सिंह को करोड़ों रुपए के सरकारी धन का घपला करने की जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर शासन ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। दोनों अधिकारियों को विभिन्न किसान योजनाओं में बाबू और अन्य अपने आधीनस्थ कर्मचारियों के जरिए 20 करोड़ से ज्यादा का घोटाला करने का दोषी पाया गया है। फिलहाल दोनों को लखनऊ मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है। यह कार्रवाई प्रमुख सचिव (कृषि) रविंद्र कुमार ने की। पूर्व बीएसए संजय सिंह वर्तमान में बांदा के बीएसए थे, जबकि अभिनंदन सिंह डिप्टी डायरेक्टर (कृषि) के पद पर बरेली में कार्यरत थे। इन दोनों ने आज लखनऊ मुख्यालय में जाकर अपनी उपस्थिति दर्ज भी करा दी। जांच में इन अधिकारियों के अलावा बरेली भूमि संरक्षण विभाग की महिला अधिकारी, पूर्व जिला कृषि अधिकारी, पूर्व जिला कृषि रक्षा अधिकारी,पूर्व जिला योजना सलाहकार अमित कुमार संधू समेत आधा दर्जन बाबुओं, गोदाम प्रभारियों और कुछ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की संलिप्तता मिली है। इन पर भी कड़ी कार्रवाई के आसार हैं।
प्रमुख सचिव (कृषि) जांच रिपोर्ट मिलने के बाद की कार्रवाई
पूर्व बीएसए संजय सिंह ने बरेली में तैनाती के दौरान किसानों के हित में चलाई जाने वाली पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि और डब्लूडीसी योजना के पक्के और कच्चे कामों में 15 करोड़ से ज्यादा धनराशि की निकासी कर ली। टीएसी जांच में इनके कामों की गुणवत्ता बेहद घटिया और निर्धारित मानक के विरुद्ध पाई गई। घोटाले में अन्य संलिप्तताएं भी पाई गईं। टीएसी जांच के दौरान टीम को पूर्व बीएसए संजय सिंह ने अभिलेख उपलब्ध न कराकर उनके साथ अभद्रता की। यहां तक कि जांच टीम के खिलाफ मंडलायुक्त और शासन को पत्र लिखे। हालांकि बाद में संजय सिंह के खिलाफ विभागीय जांच भी हुई। इस जांच में उनकी सीनियर अधिकारी डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण नीरजा सिंह ने पूर्व बीएसए के घोटाले पर पर्दा डालने की पूरी कोशिश की। यहां तक कि पूर्व बीएसए को बेदाग साबित कराने में नीरजा सिंह ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इसके चलते लखनऊ से घोटाले की जांच करने आई टीम की जांच के तरीके पर सवाल भी उठे। इस मामले की शिकायत पूर्व भाजपा विधायक राजेश कुमार मिश्रा पप्पू भरतौल ने डेढ़ साल पहले मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश से की थी। उसी शिकायत पर जांच आगे बढ़ी और दो अधिकारियों पर कार्रवाई के नतीजे तक पहुंची।
डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण की जांच मेंं घपलेबाजों को मिली थी क्लीनचिट
नीरजा सिंह की पूर्व बीएसए समेत अन्य घोटालेबाजों को बचाने की कोशिश कामयाब नहीं हुई। शासन ने पहले पूर्व बीएसए संजय सिंह को बरेली से हटाकर उनका बांदा ट्रांसफर किया। अब दो महीने बाद उनको निलंबित कर दिया गया। वहीं डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह ने विभिन्न सरकारी योजनाओं में घपला करने वाले अधिकारी और बाबुओं को अपना पूरा संरक्षण प्रदान किया। उन्होंने शासन और जांच टीम से मिलने वाले पत्रों की अनदेखी की। समय पर अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए। इसलिए शासन ने उनको कार्रवाई न करने का दोषी माना।
कृषि और भूमि संरक्षण विभाग में बरसों से हो रहे थे घोटाले
कृषि और भूमि संरक्षण विभाग में बीते पांच साल से घोटालों की बाढ़ आई हुई थी। बरेली से लखनऊ निदेशालय तक सब अपना हिस्सा लेकर करोड़ों की सरकारी रकम ठिकाने लगाते रहे। तमाम जांचें होने के बाद भी किसी पर कार्रवाई होती नहीं दिख रही थी। ऐसे में योगी सरकार के दो ईमानदार और तेज तर्रार अधिकारियों प्रमुख सचिव कृषि रविंद्र कुमार और कमिश्नर सौम्या अग्रवाल ने घोटाले की तह तक पहुंच कर उन पर कार्रवाई कराने में अहम भूमिका अदा की। कृषि और भूमि संरक्षण के दो अफसरों को निलंबन आदेश थमा दिया गया। इनमें पूर्व बीएसए संजय सिंह का तबादला इसी साल जून में बांदा हो चुका है। इनको बांदा भूमि संरक्षण अधिकारी के पद से निलंबित करके लखनऊ मुख्यालय अटैच कर दिया गया। जबकि डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह को बरेली से इसी पद से निलंबित करके लखनऊ मुख्यालय से अटैच किया गया है। दोनों पर कार्रवाई होने के बाद कृषि और भूमि संरक्षण विभाग के घपलेबाज बाबुओं का नंबर आएगा।
मोदी-योगी सरकार के मंसूबों पर घोटालेबाजों ने फेरा पानी
मोदी और योगी सरकार जहां दिन-रात मेहनत करके देश और प्रदेश के किसानों की आय दोगुनी करने में जुटी है। वहीं कृषि विभाग के घपलेबाज बाबू और अफसरों ने सरकार के तमाम मंसूबों पर पानी फेरते हुए बरेली में 15 से 20 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला करके ए या बी क्लास शहरों में अपनी आलीशान कोठियां खड़ी कर लीं। वर्ष 2022-23 में आत्मा, एनएफएसएम, किसान कल्याण, कृषि सब्सिडी, कृषि गोष्ठी में किसानों के नाश्ते और भोजन के लिए आई 25 लाख से ज्यादा की धनराशि तत्कालीन जिला कृषि अधिकारी धीरेंद्र चौधरी के कार्यकाल में कृषि विभाग के जिला योजना सलाहकार, बाबू, गोदाम इंचार्ज, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, पीपीओ, तत्कालीन डीएओ ने नियम विरूद्ध अपने निजी खाते में ट्रांसफर कर ली। उस समय से सीडीओ जग प्रवेश ने इस धनराशि की वसूली के आदेश दिए थे। मगर, डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह ने किसी घोटालेबाज से इस धनराशि की वसूली नहीं की। उल्टे घपलेबाज बाबू, गोदाम इंचार्ज और बाकी स्टाफ को पूरा संरक्षण प्रदान किया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कृषि और भूमि संरक्षण के जो बाबू कार्रवाई की जद में हैं, उनमें भूमि संरक्षण विभाग के घोटालेबाज बाबू मोहन सिंह भंडारी, कृषि विभाग में गिरीशचंद्र उर्फ पहाड़ी बाबू, प्रखर सक्सेना, बरेली से मेरठ स्थानांतरित हो चुके महाघपलेबाज बाबू शिवकुमार उर्फ बुलट राजा शामिल हैं। इनके अलावा कुछ अन्य बाबू और गोदाम इंचार्जों पर भी कार्रवाई हो सकती है।
अब अन्य घोटालेबाज अफसर-कर्मचारियों पर भी गिर सकती है गाज
बरेली के पूर्व कार्यवाहक भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्दि और डब्ल्यूडीसी योजनाओं में 15 करोड़ से ज्यादा के काम कराने के नाम पर सिर्फ खानापूरी की। सूत्रों के अनुसार इन्होंने इस धनराशि में से अधिकांश धनराशि अपने विभाग में बरेली में अवर अभियंता होने के बाद भी बदायूं से घोटालेबाज अवर अभियंता को अटैच करके कच्चे और पक्के काम कराने के नाम पर हड़प कर ली। मंडलायुक्त सौम्या अग्रवाल के आदेश पर टीएस ने इस घोटाले की जांच की थी। तब संजय सिंह ने तमाम पत्र लिखने के बाद भी जांच टीम को अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए। उसके बाद पिछले दिनों शासन से कृषि विभाग की टीम ने भी आंवला के कुछ गांवों में जाकर खानापूरी टाइप की जांच की। सूत्रों के अनुसार तमाम जांच रिपोर्ट में पूर्व बीएसए संजय सिंह को इन योजनाओं में 15 करोड़ रुपए से ज्यादा के घपले और वित्तीय अनियमितताओं का जिम्मेदार माना गया है। पूर्व बीएसए संजय सिंह की तमाम शिकायतों को देखते हुए जून 2025 में बुंदेलखंड के बांदा जिले में तबादला किया गया था। अब उनको प्रमुख सचिव कृषि के आदेश पर निलंबित कर दिया गया है। संजय सिंह के अलावा उनके विभाग के कुछ जेई, एई, सुपरवाइजर समेत अन्य कर्मचारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।
डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण पर भी हो सकती है कार्रवाई ...
शासन के निर्देश पर सबसे पहले भूमि संरक्षण घोटाले की जांच डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण नीरजा सिंह को दी गई थी। उन्होंने पूरे मामले की सही तरीके से जांच न करके पूर्व बीएसए संजय सिंह समेत उनके पूरे स्टाफ को बचाने में पूरा दिमाग लगाया। घोटालेबाज किस प्रकार से बचें, उन्होंने अपनी जांच कुछ इस तरह से करके इन सबको क्लीनचिट दी थी। जबकि उसके बाद टीएसी जांच में इन सबको बड़े घोटाले का जिम्मेदार ठहराया गया था। पूर्व बीएसए संजय सिंह और डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण नीरजा सिंह उत्तराखंड के रुद्रपुर में एक ही शहर से आकर नौकरी करते थे। दोनों के बीच काफी बेहतर तालमेल था। इसलिए, डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण ने अपने स्तर से हर मुमकिन कोशिश की कि करोड़ों के घोटाले में संजय सिंह को बेदाग साबित कर दें। मगर, उनकी कोशिश कामयाब नहीं हुई। जांच की खानापूरी करने में डिप्टी डायरेक्टर भूमि संरक्षण नीरजा सिंह पर भी देर-सबेर कार्रवाई होने के प्रबल आसार हैं।