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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
जिलाधिकारी अविनाश सिंह ने विगत दिवस देर शाम कलेक्ट्रेट सभागार में बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित विभिन्न कार्यक्रमों की विस्तृत समीक्षा की। बैठक के दौरान उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और छात्रों के समग्र विकास सुनिश्चित करने हेतु कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए।
बैठक में जिलाधिकारी ने शिक्षा पर सरकार द्वारा खर्च किए जा रहे बड़े बजट के बावजूद ड्रॉपआउट की समस्या पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इस समस्या का निदान किया जाना चाहिए और इस कार्य में समस्त एबीएसए (खंड शिक्षा अधिकारी) व शिक्षकगण विशेष ध्यान दें। जिलाधिकारी ने दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के प्राइमरी विद्यालयों में छात्र/छात्राओं और शिक्षकों की उपस्थिति की विशेष निगरानी करने और इसमें सुधार के प्रयास करने के निर्देश भी दिए।
बच्चों को विद्यालयों में दिए जाने वाले दूध की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारी ने लैक्टोमीटर की उपलब्धता कराने के निर्देश दिए। उन्होंने एक अभिनव पहल का सुझाव देते हुए कहा कि गांव के स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को पशुपालन हेतु प्रेरित किया जाए और उन्हीं से विद्यालयों में दूध की आपूर्ति कराई जाए। इससे न केवल स्वयं सहायता समूह सशक्त होंगे, बल्कि बच्चों को भी पौष्टिक आहार मिलेगा। इसी तर्ज पर, जनपद के कस्तूरबा विद्यालयों में भोजन के लिए आवश्यक मसालों आदि का क्रय भी स्वयं सहायता समूहों से करने का निर्देश दिया गया।
जिलाधिकारी ने विद्यालयों में कार्यरत रसोइयों के मानदेय के भुगतान की स्थिति के बारे में भी जानकारी ली। अवगत कराया गया कि जनपद में 6101 रसोइया कार्यरत हैं, जिनका मार्च 2025 तक का भुगतान हो गया है, और परिधान के रूप में साड़ी की धनराशि भी दे दी गई है। इस पर जिलाधिकारी ने समस्त एबीएसए को निर्देश दिए कि वे विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान रसोइयों का हालचाल भी पूछें, उनकी समस्याओं के बारे में जानकारी लें, और यह भी सुनिश्चित करें कि उन्हें मानदेय समय से मिल रहा है या नहीं।
बैठक में जिला विकास अधिकारी दिनेश कुमार यादव, जिला पूर्ति अधिकारी नीरज सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक अजीत सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय सिंह, समस्त एबीएसए सहित संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे। जिलाधिकारी के इन निर्देशों से बेसिक शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है।