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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। कृषि विभाग से रोटावेटर पर 43 हजार की सब्सिडी पाने के लिए बाबू द्वारा मांगी गई 5000 की रिश्वत के मामले में न्याय न मिलने पर पीड़ित किसान फिर से डीएम के जनता दरबार में पेश हुआ। डीएम से किसान ने कहा कि कृषि यंत्र पर सब्सिडी की पात्रता में चयन होने के बाद भी कृषि विभाग के बाबू प्रखर सक्सेना ने उनसे ₹5000 की रिश्वत मांगी। कर्मचारी कुलदीप ने डीडी कृषि के दफ्तर आकर प्रखर सक्सेना से एकांत में मिलने को कहा। इसकी शिकायत उसने शपथ पत्र देकर की। साथ ही अपने फोन की कॉल रिकॉर्ड भी दिखाई, जो कृषि विभाग के कर्मचारी कुलदीप उसे की थी। इसके बाद भी डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह ने अपने बाबू का पूरा बचाव करते हुए उल्टे उसे नोटिस भेज दिया।
पीड़ित किसान बोला, डीएम साहब, क्या आपके रहते किसानों को न्याय नहीं मिलेगा? क्या किसान इसी तरह से शोषण का शिकार होते रहेंगे? क्या बाबू से प्रताड़ित होकर किसान सरकार की सब्सिडी छोड़कर अपने घर पर बैठ जाएं। पीड़ित किसान की यह बात सुनकर डीएम रविंद्र कुमार भी दुखी हो गए। बाद में डीएम का पारा एकदम से चढ़ गया। प्रत्यक्षदर्शीयो के अनुसार डीएम ने पीड़ित किसान की बात को गौर से सुना और किसान से कहा कि आप निश्चिंत होकर घर जाओ। कृषि विभाग के बाबू पर हर हाल में कार्रवाई होकर रहेगी। इसके बाद डीएम ने बाबू प्रखर सक्सैना पर सख्त कार्रवाई के निर्देश कृषि विभाग को दिए। इसके बाद जिला अधिकारी ने किसान की बात को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी शेयर किया।
गांव शिवनगर नौगवां निवासी किसान चेतन्य प्रकाश ने कृषि यंत्र ( रोटावेटर) पर सब्सिडी के लिए कृषि विभाग में आवेदन किया था। उनका पात्रता में चयन भी हो गया था। इसके बाद डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह के कार्यालय से कर्मचारी कुलदीप ने उनको फोन करके कहा कि वह आकर के बाबू प्रखर सक्सैना से एकांत में मिल लो। सब्सिडी उनके खाते में पहुंच जाएगी। किसान जब डिप्टी डायरेक्टर कृषि के कार्यालय में बाबू प्रखर सक्सैना से मिलने पहुंचा तो बाबू ने ₹5000 का सुविधा शुल्क उससे मांगा। जब किसान ने इसका कारण पूछा, तो बाबू ने कहा कि जितने भी किसानों के खाते में सब्सिडी जाती है, उन सबको प्रति आवेदन ₹5000 सुविधा शुल्क डिप्टी डायरेक्टर कृषि के कार्यालय में देना पड़ता है। ऊपरी पैसा ऊपर तक जाता है। किसान के अनुसार बाबू का यह भी कहना था कि कृषि विभाग में सभी अधिकारियों के सुविधा शुरू का एक फिक्स रेट है। उसे सबका हिसाब देना पड़ता है। इसलिए वह बिना सुविधा शुल्क सब्सिडी किसी किसान के खाते में नहीं भेजता।