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महिलाओं की बीमारियों, उनके बेहतर इलाज और शोध कार्यों पर विशेषज्ञ देंगे अपना व्याख्यान

महिलाओं को स्वस्थ रखने में महिला फिजिशियन के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता। बीमारियों के उपचार के लिए किए जा रहे शोध कार्यों, अत्याधुनिक स्वास्थ्य तकनीकी की जितनी जानकारी महिला फिजिशियन को होगी।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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महिलाओं को स्वस्थ रखने में महिला फिजिशियन के योगदान को अनदेखा नहीं किया जा सकता। बीमारियों के उपचार के लिए किए जा रहे शोध कार्यों, अत्याधुनिक स्वास्थ्य तकनीकी की जितनी जानकारी महिला फिजिशियन को होगी। उतना ही बेहतर उपचार महिलाओं का हो सकता है। इसी सोच के साथ देश भर की महिला फिजिशयन को एक मंच पर लाने के लिए पिछले वर्ष 2024 में वूमन फिजिशियंस ऑफ इंडिया स्थापना की गई। इसी वूमन फिजिशियंस आफ इंडिया की पहली कांफ्रेंस 12 और 13 अप्रैल को बरेली स्थित एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में आयोजित की जा रही है। यह जानकारी आयोजन की ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी एवं एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग की एचओडी डा.स्मिता गुप्ता ने दी। 

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उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन आफ इंडिया (एपीआई) की बरेली शाखा के सहयोग से आयोजित इस दो दिवसीय कांफ्रेंस में पद्मश्री हासिल करने वाली पहली महिला फिजिशियन डा. अलका देशपांडेय और वूमन फिजिशियंस आफ इंडिया की चीफ पैट्रन डा.सरिता बजाज समेत तीन दर्जन से ज्यादा महिला फिजिशियन महिलाओं की बीमारियों, उनके बेहतर इलाज और शोध कार्यों पर व्याख्यान देंगी। इसके साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सक वर्कशाप भी शामिल होंगी और इलाज के तरीकों की भी जानकारी देंगी। मुंबई की फिजिशियन और एआई एक्सपर्ट डा.अनामिका सामंत वर्कशाप में चिकित्सा क्षेत्र में एआई की उपयोगिता के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान देंगी। इसके साथ ही गोरखपुर से आने वाली डा.माधवी सरकारी और डा. मीनाक्षी अवस्थी आईसीयू में टूडी इको के प्रयोग के बारे में, लखनऊ की डा.आनंदिता सेठ आईसीयू में पोकस के इस्तेमाल के बारे में जानकारी देंगी।

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इसके साथ ही डायबिटीज के क्षेत्र में नई टेक्नोलॉजी सीजीएम, इंसुलिन पंप और हाइपरटेंशन के लिए एबीपीएम पर भी व्याख्यान दिया जाएगा। कांफ्रेंस के दूसरे दिन रविवार को गर्भावस्था संबंधित विकार, मेंटल वेलनेस एवं पैलिएटिव केयर के साथ ही महिलाओं से संबंधित अन्य पहलुओं पर भी विशेषज्ञ अपना व्याख्यान देंगे। 

चिकित्सा क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका को समर्पित कांफ्रेंस, लैंगिक समानता को देगा बढ़ावा

डा.स्मिता ने कहा कि वूमन फिजिशियंस ऑफ इंडिया की इस पहली कांफ्रेंस एसआरएमएस की थीम स्वस्थ भविष्य के लिए चिकित्सा क्षेत्र में महिलाओं का सम्मान रखी गई है। वर्ष 2024 में तडा.निर्मल यादव (बरेली), डा.पद्माश्री गुलाटी (झांसी), डा.प्रेरणा कपूर (लखनऊ), डा.आभा गुप्ता (मेरठ), डा.स्मिता गुप्ता (बरेली), डा.जेबा सिद्दीकी (लखनऊ), डा.सीमा सेठ (बरेली), डा.अस्मिता देशमुख (नवी मुंबई), डा.अर्चना पाटे (नवी मुंबई), डा.एस लक्ष्मी बल (आंध्र प्रदेश), डा.अनामिका सामंत (मुंबई), डा.मीनाक्षी अवस्थी (गोरखपुर), डा.निधि मिश्रा (प्रयागराज) और डा.शक्ति कंसल (बरेली) ने इस संस्था की नींव रखी। पिछले वर्ष 100 महिला फिजिशियन के साथ स्थापित इस संस्था की सदस्य संख्या 700 से ज्यादा पहुंच गई है। वूमन फिजिशियंस ऑफ इंडिया की ओर से एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज को पहली कांफ्रेंस के आयोजन की जिम्मेदारी दी। यह कांफ्रेंस संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के पांचवें लक्ष्य लैंगिक समानता को भी पूरा कर रही है। क्योंकि इसका आयोजन महिला फिजिशियन की राष्ट्रीय संस्था वूमन फिजिशियंस ऑफ इंडिया की ओर से किया जा रहा है और इसमें सभी वक्ता महिला फिजिशियन ही हैं।

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