बरेली, वाईबीएन संवाददाता एसटीएफ ने बरेली के भमोरा इलाके में एक इंटरनेट कैफे पर फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के मामले का भंडाफोड़ कर एक शिक्षक और उसके भाई को गिरफ्तार कर लिया। आरोपियों की पहचान भमोरा थाना क्षेत्र के गांव खेड़ा निवासी देव सिंह और रवि सिंह के रूप में हुई है।
एसटीएफ ने मौके से दो लैपटॉप, तीन मोबाइल, एक आधार कार्ड, एक एटीएम कार्ड, 26 फर्जी जन्म प्रमाण पत्र, चार मृत्यु प्रमाण पत्र और 2000 रुपये नकद बरामद किए हैं। दोनों के खिलाफ थाना भमोरा में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है।
फर्जी वेबसाइट सॉफ्टवेयर और पोर्टल के माध्यम से बनाते थे प्रमाण पत्र
एसटीएफ के रमेश कुमार शुक्ला ने बताया कि पिछले काफी दिनों से बरेली के भमोरा इलाके में फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए जाने की सूचना मिल रही थी। यहां फर्जी वेबसाइट सॉफ्टवेयर और पोर्टल के माध्यम से फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए जा रहे थे। इसके अलावा फर्जी आधार कार्ड और पासपोर्ट बनाकर सरकारी योजनाओं का अवैध रूप से लाभ लिया जा रहा था। फर्जी कागजों पर जमीन-प्लाट का फर्जी बैनामा और वसीयत भी बनाई जा रही थी।
आरोपियों के खिलाफ भमोरा थाने में एफआईआर दर्ज
सटीक सूचना मिलने के बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए एक टीम गठित की गई। टीम ने मंगलवार को बरेली के भमोरा थाना क्षेत्र के देवचरा में दिलजीत इंटरनेट कैफे पर दबिश देकर दो भाइयों को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद दोनों को भमोरा थाने ले जाकर पूछताछ की गई। उनके खिलाफ धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है।
लंबे समय से फर्जी कागजात बना रहे थे आरोपी
पूछताछ में पता चला है कि आरोपी देव सिंह बरेली के देवचरा स्थित रामभरोसे लाल इंटर कॉलेज में इतिहास का अध्यापक है। वह अपने भाई के साथ मिलकर ऑनलाइन फर्जी जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का काम करता था। आरोपी फेसबुक के माध्यम से फर्जी पोर्टल पोर्टल बनवाते हैं, और फेसबुक के माध्यम से विभिन्न ग्रुप से जुड़कर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के विज्ञापन में अपना मोबाइल नंबर डालते हैं।
व्हाट्सएप के जरिए लोगों से करते थे संपर्क
आरोपी कुछ लोगों को व्हाट्सएप के माध्यम से जोड़ते हैं। उसके बाद पोर्टल का लिंक भेजकर रजिस्ट्रेशन और क्यूआर कोड भेजकर शुल्क जमा करते हैं। इसके बाद आवेदक जिस राज्य में रहता है उसी के अनुसार फर्जी प्रमाण पत्र बना देते हैं। इसके लिए किसी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होती है। पूछताछ में पता चला कि है कि उन्हें पिछले 3 साल में 28 लाख से अधिक रुपए भेजे जा चुके हैं।