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बरेली, वाईबीएन संवाददाता। उद्यान विभाग की बरेली मुरादाबाद मंडल की बागवानी उन्नयन गोष्ठी शनिवार को 11 बजे रुहेलखंड विश्वविद्यालय के अटल सभागार में प्रारंभ हुई। इसमें 50 प्रगतिशील किसानों को उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने सम्मानित किया। इनके अलावा उद्यान विभाग की गोल्डन जुबली पर 12 विभागीय अधिकारियों को भी सम्मानित किया गया ।
इस अवसर पर रिटायर्ड निदेशक उद्यान डॉक्टर आरके तोमर ने कहा कि किसान सब्जी, फल और फूल उत्पादन करके करोड़पति ही नहीं, अरबपति बन सकते हैं। बस, उनको जरूरत है सही मार्गदर्शन के साथ सही दिशा में मेहनत करने की। किसानों को परंपरागत खेती से हटकर उन्नयन खेती करनी चाहिए। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो केपी सिंह ने भी उन्नतशील खेती के तरीके पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि किसान कोई भी समस्या होने पर विश्वविद्यालय में संपर्क करें।
मुख्य अतिथि यूपी सरकार में उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने कहा कि उद्यान विभाग की 50 वर्षों की यात्रा बहुत शानदार थी। इस विभाग ने अपने खेती करने के नए दृष्टिकोण से किसानों की दशा और दिशा बदलकर रख दी। उन्होंने कहा कि पश्चिम के किसानों से पूरे यूपी के किसानों को सीखने की जरूरत है। पश्चिमी यूपी के किसानों ने यूपी सरकार का बहू सम्मान बढ़ाया है। उद्यान मंत्री ने कहा कि खेती में हमेशा नए प्रयोग करने की जरूरत है। बरेली में पहली बार ऐसी गोष्ठी हो रही है। पहले कृषि विभाग की तो गोष्ठी होती थी। लेकिन उद्यान विभाग की गोष्ठी हो रही है। अगर उद्यान विभाग की बताई औद्यानिक खेती की जाए तो किसानों की आय दो गुनी हो सकती हैं। कम क्षेत्रफल में कैसे अधिक उपज कैसे ले सकते हैं। हमे इस पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हापुड़ का किसान एक एकड़ खेत में एक सीजन में 15 लाख का शिमला मिर्च काट लेता है। मिर्जापुर का किसान एक एकड़ खेत में 20 लाख की स्ट्राबेरी काट रहा है। उन्होंने कहा कि एक एकड़ खेत में धान मात्र 40 हजार का होता है। लेकिन गुलाब की खेती, मसाला की खेती, हल्दी की खेती करके किसान अपनी आमदनी बढ़ाएं। उद्यान मंत्री ने कहा कि उन्होंने विभाग सम्हालने के बाद खेती में तमाम नवाचार किए हैं। बाजार में आम की फसल गुणवत्ता में सबसे बेहतर हो। किसान को उसका दाम दो गुना मिले। अपनी रूस यात्रा का जिक्र करते हुए उद्यान मंत्री ने कहा कि यूपी का आम रूस और अमेरिका में भी बड़े चाव से खाया जाता है। किसान अपने मोबाइल में गूगल सर्च करके आम की नई प्रजातियां पता करके उसे विदेशों में भी बेच सकते हैं। किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज और गुणवत्तापूर्ण पौध मिले। इसकी चिंता यूपी सरकार कर रही है। बदायूं में आलू की खेती बहुत होती है। आलू की नई प्रजातियां भी बाजार में आई हैं। उन्होंने कहा कि आलू की खेती सबसे पहले साउथ अफ्रीका के पेरू में शुरू हुई थी। पेरू की ही एक शाखा आगरा में हो रही है। भविष्य में आगरा ताजमहल और पैठे के लिए ही नहीं, आलू के लिए भी पहचाना जाएगा। किसान खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना करें। सरकार 35% सब्सिडी देगी।