बरेली, वाईबीएन संवाददाता
विश्व उच्च रक्तचाप दिवस (वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे) पर शनिवार को एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में निशुल्क जांच कैंप लगाया गया। कैंप में ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, एचबीएवनसी, लिपिड प्रोफाइल, थायराइड, किडनी फंक्शन टेस्ट, यूरिन एल्बुमिन क्रिटेनिन रेशियो, पेरीफेरल न्यूरोपैथी, बीएमडी की निशुल्क जांच की गई। कैंप में 275 लोगों ने जांच की गई।
एसआरएमएस कॉलेज में लगा जांच शिविर, हाई ब्लड प्रेशर के 28 नए मरीज मिले
कैंप में जांच के दौरान 12 मरीज ऐसे मिले जो पछले कई वर्षों से शुगर नियंत्रित करने की दवाई ले रहे हैं। फिर भी उनकी शुगर नियंत्रित नहीं हो रही है। कैंप में कई लोग ऐसे पहुंचे जिनकी शुगर अधिक निकली, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी इससे पहले नहीं थी। कैंप में हाइपरटेंशन के 28 नए मरीज मिले, जिन्हें इससे पहले अपना हाई ब्लड प्रेशर होने की जानकारी नहीं थी।
बीएमडी टेस्ट में 15 फीसद मरीजों की हड्डियां खोखली मिलीं
कैंप के कोआर्डिनेटर और मेडिसिन विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीपक दास ने बताया कि जांच के दौरान 15 फीसदी मरीज ऐसे मिले, जिनके बीएमडी टेस्ट में हड्डियां खोखली पाई गईं हैं, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। 30-40 वर्ष के अधिकांश युवाओं में आस्टियोपोरेसिस पाया गया। यह अनियमित असक्रिय दिनचर्या, असंतुलित खान-पान की वजह से हुआ।
साइलेंट किलर है हाई ब्लड प्रेशर, अधिकांश लोगों को नहीं होती जानकारी
यह “साइलेंट किलर” कहे जाने वाले हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, दिल की परेशानियों के गंभीर खतरे की सबसे बड़ी वजह है। अधिकांश लोग इससे अनजान रहते हैं, जब तक उन्हें कोई दिक्कत न हो। इस गंभीर स्थिति से जागरूक करने के लिए वर्ष 2017 में इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ हाइपरटेंशन की स्थापना की गई। इसका उद्देश्य रक्तचाप की व्यापक जांच के माध्यम से हाइपरटेंशन के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना है।
14 साल में 15 फीसदी बढ़ गई ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या
हर वर्ष 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम मेजर योर बीपी, कंट्रोल इट, लिविंग लांग रखी गई है। डा. दीपक ने कहा कि भारत में उच्च रक्तचाप की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। 1990 में शहरी क्षेत्रों में इसकी व्यापकता 12–15 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 5–7 फीसदी थी। 2024 तक यह दर बढ़कर 29.8 प्रतिशत हो चुकी है।
हाइपरटेंशन के जोखिम में है 30 साल से अधिक उम्र का हर व्यक्ति
शहरी क्षेत्रों में यह 25 प्रतिशत, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 21.4 फीसदी तक पहुंच गई है। सामान्य तौर पर पुरुषों में उच्च रक्तचाप की प्रवृत्ति महिलाओं की अपेक्षा अधिक रहती है, लेकिन रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के बाद महिलाओं में इसकी दर पुरुषों से अधिक हो जाती है। वर्तमान समय में 30 वर्ष से ऊपर के लगभग सभी लोग हाइपरटेंशन के जोखिम में हैं।
बैठे-बैठे काम करने और कम सोने से हो जाती है ब्लड प्रेशर की बीमारी
इसके प्रमुख कारण बैठे-बैठे काम करना, तनावपूर्ण जीवनशैली, व्यायाम की कमी, अत्यधिक नमक और फास्ट फूड का सेवन और नींद की कमी शामिल हैं। ग्रामीण इलाकों में भी हाइपरटेंशन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हाइपरटेंशन की समय रहते पहचान, उपचार और जीवनशैली में बदलाव अत्यंत आवश्यक है, जिससे हृदय रोग और संबंधित दिक्कतों से बचा जा सके।
कैंप में मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. स्मिता गुप्ता, डॉ. एमके मेहरोत्रा, डॉ. श्रुति शर्मा, डॉ. वली मुहम्मद, डॉ. आरके टंडन, डॉ. जहीन इलियास, डॉ. प्रतीक सिंह और अन्य फैकल्टी मौजूद रहे।