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स्वरोजगारी बनने के लिए बैंकों से लोन पाना आसान नहीं है। फरीदपुर तहसील के अरुण कुमार सिंह बकरी पालन करना चाहते हैं। 2023 से लोन के चक्कर में दौड़ रहे हैं। फाइल लखनऊ निदेशालय से ऑनलाइन स्वीकृत हुई। आठ महीने से फाइल बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा कांधरपुर में पड़ी है। आवेदनकर्ता का आरोप है कि मैनेजर ने एक लाख रुपये मांगे हैं, न देने पर आपत्ति लगाकर फाइल निरस्त कर दी है। ये बात उन्होंने डीएम को एक बार फिर शुक्रवार को बताई है। डीएम ने उपायुक्त उद्योग को जांच के निर्देश जारी किए हैं।
सिमरा निवासी अरुण ने बकरी पालन के लिए राष्ट्रीय पशुधन मिशन में 27 जुलाई 2023 को ऑनलाइन आवेदन किया था। बताया, अब बैंक मैनेजर ने लोन देने से इनकार किया है। टिप्पणी में आवेदक का वित्तीय भुगतान रिकॉर्ड असंतोषजनक लिखा है। पशु पालन विभाग की तरफ से टिप्पणी की गई है कि आवेदन करने से पहले आवेदक लोन के संबंध में बैंक से लिखित सहमति पत्र ले। इसके जवाब में अरुण ने डीएम को बताया, तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने प्रस्ताव पर 12 सितंबर 2023 को लिखित सहमति पत्र दिया था। अब जब उनकी फाइल निरस्त कर दी गई तो वह बैंक मैनेजर के पास गए, जहां मैनेजर एक लाख रुपये घूस मांगी। उन्होंने नहीं दिया तो फाइल निरस्त कर दी। फिर जब मैनेजर से फाइल निरस्त करने का कारण पूछा तो उन्होंने कह दिया कि फाइल पास करने में उनका मन नहीं है। अरुण ने बताया कि जब उन्होंने आवेदन जांचा तो उसमें बैंक मैनेजर की तरफ से वित्तीय भुगतान रिकॉर्ड संतोषजनक न होना अंकित मिला। जबकि, उनका सिविल 721 है। उन्होंने बताया, वह एलडीएम के पास गए थे। एलडीएम ने लोन देने में शाखा प्रबंधक का स्वविवेकाधिकार बताया। अब इस मामले में डीएम अविनाश सिंह ने उपायुक्त उद्योग से खुद जांच करने को कहा है।
बैंक के चक्कर काटकर थक चुके, नतीजा सिफर
अरुण ने डीएम को बताया कि वह बकरी पालन करना चाहते हैं। उनका 25 लाख रुपये का प्रोजेक्ट है। इसमें छह लाख रुपये उन्हें लगाने हैं, जबकि 9.60 लाख रुपये सब्सिडी मिलनी थी और 9.40 लाख का लोन होना था। बकरी पालन की तैयारी में उन्होंने लाभार्थी अंश के चार लाख रुपये खर्च कर बाड़ा भी बना लिया है। बताया कि इस फाइल के चक्कर में वह बैंक शाखा के 30-35 बार जा चुके हैं।
आवेदनकर्ता के व्यवहार से संतुष्ट नहीं बैंक
एलडीएम से असंतुष्ट अरुण ने पूर्व में भी डीएम को शिकायत की थी। जिस पर 27 मई 2025 को एलडीएम ने शिकायत का निस्तारण कर डीएम पत्र लिखकर बताया है कि शिकायतकर्ता का अन्य ऋण खाता वर्ष 2021 से संचालित है। जिसे विलंब से नवीनीकरण कराया गया। बैंक शाखा की रिपोर्ट है कि बैंक से अरुण का व्यवहार संतोषजनक न होने से लोन करना बैंक हित में नहीं है। अग्रणी बैंक ऑफ बड़ौदा के एलडीएम वीके अरोरा ने बताया कि यह मामला तीन महीने से चल रहा है। शिकायतकर्ता के केसीसी के तीन खाते हैं, जो एनपीए हैं। चूंकि, ये खाते पुराने हैं इसलिए उसकी सिविल ठीक है। जब इन खातों का बकाया दो-तीन लाख वह अदा नहीं कर पा रहा है तो हम उसे 10-15 लाख का लोन कैसे दें। ये बात हम डीएम से बताएं हैं, उन्होंने संतोष जाहिर किया है।
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