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मंडलीय गोष्ठी के मंच पर 1000 रुपए लेकर चर्चा में आए मत्स्य मंत्री संजय निषाद...

यूपी सरकार के मत्स्य मंत्री संजय कुमार निषाद बरेली के अटल सभागार मंच पर 1000 रुपए लेकर चर्चा में आ गए। वह मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की मंडलीय गोष्ठी में आए थे।

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Sudhakar Shukla
Fisheries Minister Sanjay Nishad
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता। स्थान- एमजेपी रुहेलखंड विश्वविद्यालय का अटल सभागार। दिन-मंगलवार। समय- 03 बजकर 45 मिनट। रुहेलखंड मंडल में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए बरेली में मंडलीय गोष्ठी बुलाई गई थी। उस गोष्ठी में मत्स्य पालक कम, निषाद पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता ज्यादा थे। यूपी सरकार के मत्स्य मंत्री डॉ संजय कुमार निषाद ने पौने चार बजे कार्यक्रम स्थल पर एंट्री की। मंत्री जी को देखते ही निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच उनका स्वागत करने की होड़ लग गई। मंत्री जी भी अपने स्वागत से अभिभूत नजर आए।

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किसी ने मंत्री जी को फूलों की माला पहनाईं तो किसी ने चांदी का मुकुट। भीड़ से निकले एक कार्यकर्ता ने नोटों का हार मंत्री जी के गले में डाल दिया। स्वागत समारोह के बीच मंच पर निषाद पार्टी के एक कार्यकर्ता को स्वागत करने का अजब-गजब तरीका सूझा। उसने पहले फूल माला पहनाई। फिर मंत्री को 500-500 के दो नोट थमा दिए। मंत्री जी ने उससे ये नहीं पूछा कि नोट किस बात के हैं। कुछ क्षण देखने के बाद मंत्री जी ने नोट अपनी जेब में रख लिए। यह वाकया मत्स्य पालक ही नहीं, जो भी मंच के आस-पास था, उन सबके बीच चर्चा का विषय बना। यह फोटो और वीडियो मीडिया के कैमरे में कैद हो गया। मंत्री जी ने मत्स्य पालकों के लिए उनके विभाग की तरफ से चलाई जाने वाली सरकारी योजनाओं के फायदे गिनाए। लंबा चौड़ा भाषण दिया और कार्यक्रम स्थल से रवाना हो गए। 

मंडलीय गोष्ठी के बाद मीडिया से बातचीत में यूपी सरनकार के मत्स्य मंत्री संजय कुमार निषाद ने कहा कि अंग्रेजों के कार्यकाल में निषाद समाज की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। निषाद परिवारों के पास जमीनें नहीं थीं। वह नदियों में मत्स्य पालन करके गुजारा करते थे। मगर, अब योगी सरकार ने निषाद समाज के लिए जमीनों के पट्टे करके तालाबों पर सब्सिडी भी दी है। तबसे निषाद समाज  ने तरक्की तो की है, लेकिन अभी भी समाज की स्थिति कमजोर है। उन्होंने कहा कि निषाद समाज को पिछड़ी जाति से निकालकर एससी समाज में शामिल किया जाना चाहिए। ताकि दलितों के आरक्षण का लाभ निषाद समाज को मिल सके।  

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