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भारत की संस्कृति के लिए सभी धर्मों को मितव्यवता के साथ आगे बढ़ना होगा

भारतीय दर्शन में जैन समाज की भूमिका एवं योगदान विषय पर एक प्रबुद्ध वर्ग की चिंतन बैठक राजेंद्र नगर में आयोजित हुई। जिसमें मुख्य वक्ता जम्मू -कश्मीर रिसर्च सेंटर के निदेशक आशुतोष भटनागर शामिल हुए।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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भारतीय दर्शन में जैन समाज की भूमिका एवं योगदान विषय पर एक प्रबुद्ध वर्ग की चिंतन बैठक राजेंद्र नगर में आयोजित हुई। जिसमें मुख्य वक्ता जम्मू -कश्मीर रिसर्च सेंटर के निदेशक श्री आशुतोष भटनागर शामिल हुए।

आशुतोष भटनागर ने कहा कि भारतीय दर्शन जैन दर्शन के बिना अधूरा सा प्रतीत होगा, अहिंसा, जीव दया और करुणा अन्य भारतीय दर्शन के समान जैन धर्म ने इसे प्रमुखता से स्थान दिया गया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य सुशील जी ने कहा कि भारत की संस्कृति और संस्कारों के जीवंतता के लिए सभी धर्मों को मितव्यवता के साथ आगे बढ़ना होगा।

अहिंसा जैन धर्म की पहचान और विशेषता

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जैन समाज के मीडिया प्रभारी सौरभ जैन ने जैन दर्शन के विषय में विस्तार से बताते हुए कहा कि अनेकांत दर्शन, स्यादवाद, शाकाहार, जीवदया और अहिंसा जैन धर्म की पहचान और विशेषता है।
सतेंद्र कुमार जैन, मुकेश जैन मान्यवर वालों ने भी जैन समाज की उपलब्धियों और वर्तमान की समस्याओं को रेखांकित किया।
गोष्ठी में उपरोक्त के अलावा, भूपेंद्र जैन, के.के. जैन, अजय जैन, सुमन कुमार जैन, मयूर जैन, प्रकाश चंद्र जैन, अतुल जैन, श्रीमती अर्चना जैन, संजय जैन, श्री मति अंकिता जैन, श्री मति तनु जैन, सुनील जैन, हरिओम पांडे आदि ने भी अपने विचार रखे।

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