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विनम्रता के प्रतीक हैं हनुमान : आशीष

मॉडल टाउन स्थित श्रीहरि मंदिर में चल रही श्रीराम कथा में मंगलवार को कथाव्यास आशीष मिश्र ने कहा कि हनुमान जी का जन्म वानर जाति में माता अंजना और केसरी के पुत्र के रूप में हुआ, इसलिए उन्हें पवनपुत्र भी कहा जाता है।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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मॉडल टाउन स्थित श्रीहरि मंदिर में चल रही श्रीराम कथा में मंगलवार को कथाव्यास आशीष मिश्र ने कहा कि हनुमान जी का जन्म वानर जाति में माता अंजना और केसरी के पुत्र के रूप में हुआ, इसलिए उन्हें पवनपुत्र भी कहा जाता है। वह पराक्रम के साथ ही विनम्रता, निस्वार्थ प्रेम और सेवा के प्रतीक हैं।

वायु देव से उन्हें दिव्य शक्तियां प्राप्त हुईं

वायु देव से उन्हें दिव्य शक्तियां प्राप्त हुईं। बचपन से ही उनमें अद्भुत शक्ति, गति और उत्साह था। उनकी भक्ति श्रीराम के प्रति इतनी गहरी थी कि वे हमेशा उनकी सेवा में लीन रहते थे। रामायण में उन्होंने समुद्र पार करके लंका तक छलांग लगाई। अशोक वाटिका में सीता से भेंट की और लंका दहन कर दुश्मनों को चेतावनी दी। हनुमान जी को चिरंजीवी माना जाता है। उनका चरित्र हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति और दृढ़ संकल्प से कोई भी कार्य असंभव नहीं होता। कथा में सुशील अरोरा, रवि छाबड़ा, विपिन पाहवा, गिरीश आनंद, जतिन दुआ आदि मौजूद रहे। 

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