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वैवाहिक जीवन में कलह और शक से कमजोर पड़ रहे रिश्तों को बचाने के लिए प्रदेश का पहला प्री-मैरिटल काउंसलिंग सेंटर 'तेरे मेरे सपने' तीन सौ बेड अस्पताल में शुरू हो गया है। यहां कुंडली के बाद काउंसलर भावी दंपतियों का मन मिलाएंगे।
राष्ट्रीय महिला आयोग की ओर से विवाह पूर्व परामर्श (प्री-मैरिटल काउंसलिंग) केंद्र तीन सौ बेड अस्पताल की ओपीडी की पहली मंजिल पर शुरू हुआ है। इसका उद्देश्य शादी से पहले युवाओं को मानसिक, भावनात्मक, सामाजिक रूप से तैयार करना है, ताकि रिश्तों की अहमियत समझकर सफल वैवाहिक जीवन की नींव रख सकें। काउंसलर अनीता राय के मुताबिक, समाज की अहम इकाई परिवार है। इसमें समस्याएं होंगी तो सामाजिक ताना-बाना बिगड़ेगा। इसलिए विवाह पूर्व काउंसलिंग जरूरी है। सेंटर पहुंचने वाले दंपतियों का रिकॉर्ड गोपनीय रहेगा।
बताया कि अभी प्रचार-प्रसार के अभाव में सेंटर पर पंजीकरण नहीं हुए हैं। इसके लिए जिले में संचालित मैरिज ब्यूरो से संपर्क कर उन्हें सेंटर की जरूरत बताएंगे। साथ ही, भावी दंपतियों को काउंसलिंग के लिए भेजने के लिए कहा जाएगा। विवाह पूर्व तीन बार काउंसलिंग होगी।
महिला आयोग की सदस्य पुष्पा पांडेय के मुताबिक केंद्र की शुरुआत से पूर्व राष्ट्रीय महिला आयोग ने सर्वे किया। पता चला कि 70 फीसदी दंपतियों में कलश की वजह छोटी-छोटी बातें हैं। जो उचित परवरिश का कमी, अधूरे सपने, मनचाहा पार्टनर न मिलना, व्यवहार पसंद न आना आदि कारक रहे। लिहाजा, विवाह पूर्व काउंसलिंग की योजना बनाई गई।
पुष्पा पांडेय के मुताबिक हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल, सिद्धार्थनगर, कानपुर, औरैया, मथुरा, इंदौर, मेरठ आदि जिलों में विवाहेतर संबंध में हिंसक प्रकरण सामने आए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार देश में प्रतिवर्ष औसतन 275 पतियों की हत्या के मामले आ रहे हैं। पांच वर्ष में पांच राज्यों में 785 मामले आ चुके हैं। आंकड़े साल दर साल बढ़ रहे हैं। जिन पर अंकुश लगाने के लिए काउंसलिंग कारगर साबित होगी।
उत्तर प्रदेश समेत सात राज्यों में भी शुरू हुए सेंटर
राजस्थान (बीकानेर, उदयपुर), मध्य प्रदेश (भोपाल), महाराष्ट्र (नासिक, जालना, लातूर, गोरेगांव), हरियाणा (गुरुग्राम), ओडिशा, नई दिल्ली और केरल (तिरुवनंतपुरम) में केंद्र संचालित हैं। जहां शादी के बाद रिश्ते को समझने, परिवार की भूमिका, भावनात्मक जुड़ाव, वैवाहिक जीवन में आने वाली चुनौतियों से निपटने के तरीके बताए जा रहे हैं। जल्द ही कॉलेजों में सेमिनार होंगे। ताकि युवाओं को जागरूक कर सकें।