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यूपी सरकार के पूर्व वित्त मंत्री एवं भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल
वाईबीएन संवाददाता बरेली।
आई लव मोहम्मद के नाम पर बरेली में एक बार फिर से माहौल खराब करने की साजिश रचने वाले मौलाना तौकीर रजा खां प्रकरण में अब भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने योगी सरकार से वर्ष 2010 के दंगों की जांच की मांग कर दी है। उन्होंने कहा कि साल 2010 में बरेली को दंगों की आग में झोंकने की साजिश रची गई थी । कर्फ्यू के दौरान इस्लामियां इंटर कॉलेज और मौलाना आजाद इंटर कॉलेज में धर्म के नाम पर समुदाय विशेष की 40-50 हजार की भीड़ इकट्ठा करके आधी बरेली में आग लगाने की योजना थी। उस समय के प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने फोन बंद कर लिए थे। पूरे शहर में भयावह वातावरण था। तब कालीबाड़ी क्षेत्र में महिलाओं की अपील पर हिंदू समाज के युवाओं ने इकट्ठे होकर उपद्रवियों का मुकाबला किया था। उसके बाद प्रशासन ने आग लगाने पर आमादा उस भीड़ को रोका था। उन्होंने इस पूरे प्रकरण की जांच की मांग करते हुए कहा कि डेढ़ दशक पुराने दंगों की जांच करके दोषियों को जिम्मेदारी तय की जाए।
आला हजरत के बरेलवी मसलक की पूरे विश्व में साख
भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एवं पूर्व वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने कहा कि वर्ष 1982 में बरेली की राजनीति में एक नया अध्याय तब जुड़ा, जब मौलाना तौकीर रजा ने राजनीतिक पटल पर भूमिका निभानी शुरू कर दी। आला हजरत का यह वह परिवार था, जिसे वर्षों तक समाज में एक पवित्र, धार्मिक और सम्मानित परिवार के रूप में जाना जाता रहा है। इनके बाबा की बरेलवी मसलक पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। उनकी प्रतिष्ठा भारत सरकार ने स्वीकार की। उन पर डाक टिकट भी जारी किए। बड़े मियाँ ख़ुद बहुत विद्वान थे। उन्होंने धर्म और चिंतन पर पुस्तके लिखी। स्कॉलर्स ने उन पर पीएचडी भी की। सरकार और समाज में वे विशेष सम्मान का प्रतीक माने जाते थे। राजनीति ने धीरे-धीरे इस परिवार के चरित्र को बदला, कांग्रेस ने इनके वालिद साहब को एमएलसी बनाकर राजनीति में प्रवेश दिया । इसके बाद धर्म की आड़ में मौलाना तौकीर रजा ने धर्म के आधार पर समाज को बांटने की राजनीति की। मौलाना तौकीर रजा स्वयं को मुसलमानों का मसीहा बताकर धर्म के नाम पर भीड़ को भड़काने का कार्य करने लगे।
2010: बरेली को जलाने की साज़िश और समाज की एकजुटता
यूपी सरकार के पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि साल 2010 में बरेली को दंगों की आग में झोंकने की एक सुनियोजित साज़िश की गई। कर्फ्यू के दौरान इस्लामिया इंटर कॉलेज में 20–25 हज़ार और आज़ाद इंटर कॉलेज में 10–12 हज़ार लोगों की भीड़ इकट्ठा की गई थी। योजना थी — “आधी बरेली को रातों-रात फूंक देना।” वह स्थिति भयावह थी — प्रशासनिक अधिकारियों ने टेलीफोन तक बंद कर लिए थे। शहर में भय का वातावरण था। लेकिन समाज की सजगता से परिस्थिति बदली। क्षेत्र के लोधी समाज के युवाओं और महिलाओं ने आह्वान पर एकजुट होकर बिना किसी हथियार के बेलन, चकला और उस समय जो कुछ भी उपलब्ध था, उसको लेकर मोर्चा संभाला था। मात्र आधे घंटे में 35–40 हज़ार लोग, जिनमें 5–7 हज़ार महिलाएं शामिल थीं, सब एकत्रित हो गए। उनकी इस एकजुटता के सामने उपद्रवियों को पीछे हटना पड़ा और तभी प्रशासन भी सक्रिय हुआ।
न्यायिक आदेश के बाद पड़ा राजनीतिक दबाव
भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ने कहा कि इस घटना के बाद उच्च न्यायालय ने 28 जुलाई 2010 को स्पष्ट आदेश जारी किया कि संबंधित पक्ष किसी भी असामाजिक या राष्ट्रविरोधी गतिविधि में शामिल न हों। लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण यह मामला वर्षों तक दबा रहा। बरेली के तत्कालीन तत्कालीन एडीजे ने स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाई। उसके बाद तौकीर के विरुद्ध वाद आरम्भ हुआ। ऐसा होते ही राजनीतिक सक्रियता भी शुरू हो गई। मौलाना के विरुद्ध वाद को दूसरी कोर्ट में स्थानांतरित किया गया। तत्कालीन न्यायाधीश का तबादला चित्रकूट हो गया। राजेश अग्रवाल ने कहा कि मौलाना “तौकीर केवल एक चेहरा थे। उनके पीछे के असली चेहरे कोई और थे। अब वह छुपे चेहरे भी बेनकाब होने चाहिए”। सरकार की अभी तक की कार्यवाही से ज्ञात होता है कि इस कांड के तार उत्तर प्रदेश से तो जुड़े ही थे, बल्कि देश और विदेश से भी जुड़े होने की प्रबल संभावना प्रतीत होती है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार हालांकि इस पूरे प्रकरण की गहनता से जाँच करवा रही है। मगर, इसमें 2010 के दंगों को भी शामिल किया जाए। आवश्यकता पड़ने पर केंद्रीय एजेंसियों का भी सहयोग लिया जाए तो निश्चित रूप से दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा वे चेहरे जो मौलाना तौकीर की साजिश के पीछे अपनी निजी राजनीतिक और व्यतिगत रोटियाँ सेक रहे थे, जनता के सामने उजागर होंगे।
समाज की एकजुटता ही हमारी असली ताकत
भाजपा को राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने कहा कि वर्ष 2010 की घटनाएँ केवल अतीत की कहानी नहीं हैं। वह इस बात का प्रमाण हैं कि जब हिंदू समाज एकजुट होता है तो बड़ी से बड़ी साज़िशें विफल हो जाती हैं। आज आवश्यकता है उस साजिश की सच्चाई को सामने लाने की। न्याय को सुनिश्चित करने की और सामाजिक सौहार्द की रक्षा करने की। मां काली की कृपा और जनता की सजगता ने उस समय बरेली को बड़ी आपदा से बचाया था। आज वही एकजुटता हमारा सबसे बड़ा बल है।