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सिविल लाइंस में अवैध मार्केट सील, आठ दुकानदारों से 36 लाख रुपये की वसूली

रेलवे स्टेशन रोड स्थित नगर निगम की जमीन पर अवैध रूप से निर्मित 8 दुकानों को कोर्ट के आदेश पर सील कर निगम के कब्जे में ले लिया गया। इस कार्रवाई में पुलिस बल के साथ पहुंचे नगर निगम के अधिकारियों ने भूमि को कब्जा मुक्त कराया

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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 रेलवे स्टेशन रोड स्थित नगर निगम की जमीन पर अवैध रूप से निर्मित 8 दुकानों को कोर्ट के आदेश पर सील कर निगम के कब्जे में ले लिया गया। इस कार्रवाई में पुलिस बल के साथ पहुंचे नगर निगम के अधिकारियों ने भूमि को कब्जा मुक्त कराया और अब कब्जा धारकों से ₹36 लाख क्षतिपूर्ति की वसूली के लिए राजस्व वसूली प्रमाणपत्र (आरसी) जारी की गई है।
नगर निगम संपत्ति प्रभारी अधिकारी राजीव कुमार राठी ने बताया कि यह कार्रवाई नगर मजिस्ट्रेट के आदेश पर की गई। सिविल लाइंस क्षेत्र की खसरा संख्या 194 में स्थित भूमि नगर निगम की संपत्ति है, जिस पर अवैध रूप से मार्केट का निर्माण कर लिया गया था। इस मामले में दुकानदारों को पहले 13 दिसंबर 2024 और फिर 20 जनवरी 2025 को नोटिस जारी किए गए थे।

नगर निगम ने पुलिस बल की मौजूदगी में की कार्रवाई

7 जनवरी 2025 को दुकानदारों ने जिला न्यायालय में अपील दायर की, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली। बावजूद इसके, दुकानें खाली नहीं की गईं। इसके बाद नगर निगम ने पुलिस बल की मौजूदगी में कार्रवाई करते हुए सभी दुकानों को सील कर जमीन पर पुनः अधिकार स्थापित कर लिया।
कार्रवाई के दौरान राजस्व निरीक्षक सच्चिदानंद, नीरज गंगवार, जेई वीर प्रताप पटेल, अनुराग कमल, प्रवर्तन दल और बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद रहे। कुछ दुकानदारों ने स्वयं कब्जा हटा लिया था, जबकि शेष को निगम ने हटाया।
राजीव राठी ने बताया कि अदालत ने दुकानदारों पर कुल ₹36 लाख का हर्जाना लगाया है, जिसे नगर निगम के कोष में जमा किया जाना है। जिन दुकानदारों ने रकम नहीं जमा की, उनके खिलाफ तहसील के माध्यम से वसूली प्रक्रिया (आरसी) शुरू कर दी गई है।
इस कार्रवाई से दुकानदारों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि ये दुकानें वे पिछले 50 वर्षों से चला रहे हैं और नगर निगम ने उन्हें न कोई पूर्व सूचना दी और न ही सही मौका। उनका दावा है कि नोटिस उन्हें मिला ही नहीं। दुकानदारों ने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने का ऐलान किया है।
नगरायुक्त संजीव कुमार मौर्य ने स्पष्ट किया कि यह भूमि नगर निगम की है और कोर्ट के निर्देशानुसार यह कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि कुछ दुकानदारों ने खुद ही दुकानें खाली कर दी थीं, जबकि बाकी को विधिसम्मत ढंग से हटाया गया।

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