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जांच में खुलासा...विवि ने सरकारी धन से ''अपनों'' के बीच में खैरात बांटी

रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने सरकारी धन से ''अपनों'' के बीच में जमकर खैरात बांटी है। किसी को निर्धारित से अधिक धनराशि का भुगतान कर दिया तो सरकारी आवास में रहने से इनकार करने वालों को मकान किराया भत्ता बांट दिया।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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 रुहेलखंड विश्वविद्यालय ने सरकारी धन से ''अपनों'' के बीच में जमकर खैरात बांटी है। किसी को निर्धारित से अधिक धनराशि का भुगतान कर दिया तो सरकारी आवास में रहने से इनकार करने वालों को मकान किराया भत्ता बांट दिया। यही नहीं, सरकार से प्राप्त अनुदान को बजट तक में शामिल करने से परहेज किया। ये सभी खुलासे वर्ष 2022-23 में विश्वविद्यालय को हुए आय-व्यय के ऑडिट में हुए हैं। जांच में पुष्ट हुआ है कि कई करोड़ रुपये की वित्तीय क्षति विश्वविद्यालय को पहुंचाई गई है।
वर्ष 2022-23 में आय-व्यय के विवरण को जांचने में ऑडिट टीम को एक साल का समय लगा। इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन स्तर पर हुई बड़ी वित्तीय अनियमितता सामने आई है। कुलपति को भेजी गई रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने अनियमित भुगतान कर करोड़ों रुपये का नुकसान संस्थान को पहुंचाया है। भवन आवंटन पत्रावली की जांच में पाया गया कि टाइप संख्या-एक के 14 आवास और टाइप संख्या-दो के तीन आवास रिक्त थे। जिसके सापेक्ष पांच आवास आवंटित किए गए थे। इस तरह टाइप संख्या-एक के 12 आवास खाली थे।इसके बाद भी कार्मिकों ने उन आवासों में निवास करने से इनकार कर दिया और उन लोगों ने बाहर महानगर में किराए के आवास लेकर निवास किया। नियम है कि यदि कोई सरकारी सेवक सरकारी आवास में निवास करने से इनकार करता है तो उसे मकान का भत्ता नहीं दिया जाएगा। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने किराए के मकानों में निवास करने वाले कई कर्मिकों को भी मकान का भत्ता दिया, जो अनियमित था। इस तरह अनियमित रूप से मकान किराया भत्ता के रूप में कुल 3,16,800 रुपये की आर्थिक क्षति विश्वविद्यालय को पहुंचाई गई।

विश्वविद्यालय परिसर के अंदर सड़क निर्माण कार्य में भी वित्तीय हानि की पुष्टि हुई है। 27 मार्च 2023 को 43.64 लाख रुपये का भुगतान पीडब्ल्यूडी को किया गया। जबकि, इस धनराशि से दो प्रतिशत आयकर, इतना ही जीएसटी और एक प्रतिशत श्रम उपकर की कटौती नहीं की गई। इससे विश्वविद्यालय को आयकर टीडीएस, जीएसटी समेत कुल 2,18,200 रुपये की आर्थिक क्षति हुई है।

बिना परीक्षा के वार्षिक वेतन वृद्धि

डीओईएसीसी (इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग और कंप्यूटर पाठ्यक्रमों का प्रत्यायन) सोसाइटी से जारी सीसीसी प्रमाण पत्र एवं टंकण में 25 शब्द प्रति मिनट की गति अर्जित किए बिना वार्षिक वेतन वृद्धि स्वीकृत कर दी। यही नहीं, 42 हजार रुपये का भुगतान कर दिया गया। यह भुगतान कनिष्ठ सहायक पूजा, आयुष सिंह और पुष्पा पांडेय को हुआ।  वर्ष 2022-23 में राज्य सरकार से कुल 29.39 लाख रुपये अनुदान में मिले थे। यह बात रोकड़बही से स्पष्ट हुई। प्राप्त अनुदान को बजट में शामिल करने से वंचित रखा गया।

- 21 जनवरी 2023 को मैत्रेय हास्टल में ब्यूटी पार्लर पर 28,202 रुपये भुगतान।
- 27 सितंबर 2022 को मीडिया सेल के तपन कुमार को 3,120 रुपये रिक्शा भाड़ा दिया गया।
- एसएन अग्निहोत्री को यात्रा भत्ता के तौर पर 4,570 रुपये का अनियमित भुगतान किया।
- विभिन्न यात्रा देयकों में 11,830 रुपये का अधिक भुगतान किया गया।
- क्रीड़ा निधि से प्राप्त फीस के 1.89 लाख रुपये कहां खर्च हुए, ऑडिट टीम को बताया नहीं।

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