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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
पूर्व राज्यसभा सदस्य और समाजवादी पार्टी में दो दशक से भी ज्यादा समय तक बरेली के जिला अध्यक्ष रहे दिग्गज नेता वीरपाल सिंह यादव किसी न किसी वजह से हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। एक समय था, जब यूपी में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे। तब वीरपाल सिंह यादव को रुहेलखंड मंडल में मिनी मुख्यमंत्री कहा जाता था। समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव का दौर आने के बाद वीरपाल सिंह यादव की राजनीतिक यात्रा 2017 में बिथरी विधानसभा से चुनाव लड़ने तक सीमित रह गई। उनको बीच में सपा के बड़े नेताओं से मतभेद का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। काफी समय बाद जब उनके संबंध पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मधुर हुए तब वह मुख्य धारा में लौटे। अब वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव हैं। हाल ही में समाजवादी पार्टी के आंवला सांसद नीरज मौर्य ने आईएमए के डॉक्टरो को लूटेरा कहा तो इस पर पूर्व राज्यसभा सांसद वीरपाल सिंह यादव ने नाखुशी जाहिर की। उनका कहना है कि किसी भी संगठन को लुटेरा कहना गलत बात है। अगर कोई एक या दो डॉक्टर गड़बड़ करते हैं तो उनकी आलोचना उचित है। मगर, सबको एक श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। यंग भारत न्यूज चैनल के स्थानीय संपादक सुधाकर शुक्ल ने राजनीति समेत अन्य समसामयिक विषयों उनसे विस्तृत बातचीत की। प्रस्तुत हैं वीरपाल सिंह यादव से बातचीत के प्रमुख अंश:
2027 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी में आपकी क्या भूमिका रहेगी? आप खुद चुनाव लड़ेंगे या लड़ाएंगे?
मैं 2017 में bithri विधानसभा से चुनाव लड़ा था दुर्भाग्य से हम वह चुनाव जीत नहीं पाए। हमें समाजवादी पार्टी ने काफी कुछ दिया है। हम चाहते हैं कि अभिभा पीढ़ी आगे बढ़े इसलिए अब हम अपने राजनीतिक जीवन में कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे। मगर हमने राजनीति से संन्यास नहीं लिया है। हम पार्टी के हित में दूसरों को चुनाव लड़ाते रहेंगे।
आपकी पार्टी के सांसद नीरज मौर्य ने आईएमए के डॉक्टरो को लुटेरा बता दिया। इस पर क्या कहना चाहेंगे?
डॉक्टरों के संगठन आईएमए को लूटेरा कहना गलत बात है। हम किसी भी संगठन को लुटेरा क्यों कहें। सब एक जैसे नहीं हैं। अगर एक या दो डॉक्टर किसी मरीज से गलत व्यवहार करते हैं, तब तो उनका नाम लेकर आलोचना की जा सकती है। मगर, सबको ऐसा नहीं बोलना चाहिए। मैंने कई बार शहर के डॉक्टरों से कुछ मरीजों के बिल कम करने को कहा तो डॉक्टरों ने हमेशा मेरा मान सम्मान रखा। मैं किसी की भी इस बात से सहमत नहीं हूं। भले ही वह मेरी पार्टी से सांसद ही क्यों न हो।
वक्फ संशोधन बिल संसद से पास हो गया है। इस पर आपका क्या विचार है?
वक्फ संशोधन बिल पर पहले भाजपा को स्टडी करनी चाहिए थी। मगर, भाजपा ने यह कदम जल्दबाजी में उठाया। वक्फ संपत्ति का दान दो तरह से किया जा सकता है। पहली व्यवस्था में वक्फ संपत्ति का मालिक मुतवल्ली होता है। दूसरी तरफ वक्त की संपत्ति का मालिक परिवार के सदस्य को ही बना दिया जाता है। फिर उस सदस्य को गरीबों को दान करने का अधिकार मिल जाता है। मगर उसका मालिक परिवार का ही रहता है। अब नए कानून में विवादित जमीन का मामला डीएम कोर्ट में जाएगा। डीएम वही करेगा, जो सरकार चाहेगी। केंद्र में अगर सरकार बदली तो बस कानून खत्म हो जाएगा।
सपा पीडीए फॉर्मूले को लेकर आगे बढ़ रही है। क्या 2024 की तर्ज पर इस फार्मूले से आपकी सरकार यूपी में बन पाएगी?
पीडीए का नारा सपा का अब का नहीं है। यह नारा समाजवादी चिंतक डॉक्टर लोहिया का है। उन्होंने तब कहा था, खड़ी रेखा और पड़ी रेखा। खड़ी रेखा का मतलब, ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य और शूद्र हैं। पड़ी रेखा का मतलब है, सब बराबर में खड़े हैं। जिसमें किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं है। यही पीडीए है। 2027 के चुनाव में पीडीए के बल पर उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार निश्चित तौर पर बनेगी।
आरक्षण की राजनीति से कब तक आप देश और समाज को आगे बढ़ा पाएंगे?
समाजवादी चिंतक जनेश्वर मिश्र ने कहा था कि समाजवाद का मतलब यह है कि हम किसी के विरोधी नहीं है। समाज के सभी वर्ग और जातियां मिलकर भाई-भाई हैं। अब, अगर एक भाई कमजोर है और उसे अतिरिक्त पोषाहार की जरूरत है तो हम उनको अतिरिक्त पोषाहार देकर मजबूत बनाना चाहते हैं ताकि वह तीन भाइयों के बराबर में आकर खड़ा हो सके। इसमें कोई गलत बात नहीं है। आरक्षण की जरूरत इसीलिए है। लेकिन, अगर पिछड़ा या दलित वर्ग का कोई व्यक्ति बड़े पदों तक पहुंच गया है तो उसको आरक्षण नहीं मिलना चाहिए। हम इस बात को मानते हैं कि सरकार क्रीमीलेयर फार्मूला सख्ती से लागू करें।
आपकी पार्टी में अक्सर अफवाह फैलती है कि जिला अध्यक्ष आज हट रहे हैं या कल हट रहे हैं। यह क्या मामला है?
जिला अध्यक्ष के बारे में किस तरह की अभाव फैलाना गलत बात है। जो भी नेता आए दिन जिला अध्यक्ष के हटने की यह बात फैलाते हैं। मेरा मानना है कि उनके कार्यों की पार्टी ऊपर के स्तर से जांच करें और ऐसे लोगों पर सख्ती करें।
आपकी पार्टी के कुछ नेताओं का कहना है कि आप जिला अध्यक्ष थे, तो भाजपा के एक बड़े नेता के साथ मिलकर बरेली में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी तय करते थे। अपनी पार्टी के नेताओं को चुनाव हरवा देते थे? क्या यह सच है?
जो लोग इस तरह के आरोप मुझ पर लगाते हैं। पहले वह अपने गिरेबान में झांक कर देखें। मेरे कार्यकाल में समाजवादी पार्टी ने 9 में से सात विधानसभा की सीटें जीती। लोकसभा चुनाव में भी भाजपा प्रत्याशी को हमेशा तगड़ी टक्कर दी। नगर निगम में भी हमारी पार्टी के मेयर बनते थे। जब वह जिला अध्यक्ष बने तो उनके कार्यकाल में पार्टी शून्य में चली गई। ऐसे आरोप लगाने वालों को पहले अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए।
आंवला में आपकी पार्टी के सांसद नीरज मोर्य कैसा काम कर रहे हैं? कुछ टिप्पणी करेंगे?
इस बारे में कुछ न ही पूछो तो ही अच्छा। मैं इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।
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