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किसानों की आय बढ़ाएगी आईवीआरआई में विकसित जय गोपाल केचुए की वर्मी कंपोस्ट तकनीक

आईवीआरआई बरेली के वैज्ञानिकों ने जय गोपाल केंचुए के नाम से वर्मी कंपोस्ट की नई तकनीक विकसित की है। उनका दावा है कि यह नई तकनीक किसानों की आय दो गुनी करने में मदद करेगी।

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Sudhakar Shukla
आईवीआरआई में जय गोपाल केंचुआ तकनीक पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

आईवीआरआई में जय गोपाल केंचुआ तकनीक पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के संयुक्त निदेशालय प्रसार शिक्षा की तरफ से लुधियाना-पंजाब के विषय वस्तु विशेषज्ञ और पशु चिकित्साधिकारियों के लिए ”जय गोपाल केंचुए के माध्यम से वर्मीकामपोस्टिंग“ विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम आईसीएआर-अटारी जोन-प्रथम, पीएयू कैम्पस लुधियाना-पंजाब द्वारा प्रायोजित है। इसमें संस्थान के वैज्ञानिकों ने आईवीआरआई में विकसित जय गोपाल केंचुआ के जरिए वर्मी कंपोस्ट खाद की नई तकनीक की जानकारी साझा की।

देश में रोजाना तीन मीलियन टन गोबर का उत्पादन 

कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए संस्थान की संयुक्त निदेशक डा. रूपसी तिवारी ने कहा कि हमारे देश में रोज 3 मीलियन टन तक गोबर का उत्पादन हो रहा है अगर पंजाब की बात करें तो सिर्फ लुधियाना जिलेे में ही 600 से 650 टन गोबर का उत्पादन हो रहा है। उन्होंने कहा कि आईवीआरआई जय गोपाल वर्मीकल्चर तकनीक एक स्वदेशी केंचुआ प्रजाति (पेरियोनिक्स सीलानेसिस) का उपयोग करके जैविक खाद बनाने की एक विधि है, जो उच्च प्रजनन क्षमता और उच्च तापमान (46°सें.तक) सहन करने की क्षमता रखती है। यह तकनीक पशु अपशिष्ट और कृषि अपशिष्ट से अच्छी गुणवत्ता वाली जैविक खाद बनाती है, जो किसानों की आय बढ़ाने के साथ ही पर्यावरण को भी स्वस्थ रखती है। यह तकनीक 14 से अधिक राज्यों में किसानों और उद्यमियों को हस्तांतरित की गई है। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों से आशा व्यक्त की आप सब इस तकनीक से अवश्य लाभान्वित होंगे।

जेविक कचरा और गोबर से केंचुआ वर्मी कंपोस्टर पूरी तरह स्वदेशी तकनीक

इस अवसर पर संस्थान के विशेषज्ञ डा. ए.के. पाण्डे ने कहा कि हमारे संस्थान द्वारा जैविक कचरा और गोबर से केंचुआ जैविक खाद जय गोपाल वर्मी कल्चर स्वदेशी तकनीक का निमार्ण किया है इसके बारे में विृस्तत जानकारी प्रदान की जायेगी साथ ही साथ प्रेक्टिकल प्रदर्शन भी दिखाया जायेगा। कोर्स निदेशक डा. हरि ओम पाण्डेय ने कहा कि इस दुनिया में कुछ भी बेकार नहीं है उदाहरण के लिए हम साँस छोड़ते हैं, कार्बनडाइआक्साइड, जिसे हम बेकार मानते हैं। लेकिन यह पौधों की जीवन रेखा बन रही है। हम पशुधन पर काम कर रहे हैं, पशुधन को जैव-शोधक माना जाता है।वे वास्तव में कृषि अपशिष्ट और उप उत्पादों को मूल्यवान और मानव उपयोगी उत्पादों में परिवर्तित कर रहे हैं। इस दो दिवसीय प्रशिक्षण में हम वर्मी कम्पोस्ट से सम्बन्धित वैज्ञानिक एवं व्यावहारिक सम्पूर्ण जानकारी प्रशिक्षणार्थियों को दी जाएगी। संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. हरि ओम पाण्डे द्वारा किया गया इस अवसर पर संयुक्त निदेशालय के डा. अजय दास सहित समस्त अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। 

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