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बिशप मण्डल इंटर कॉलेज ग्राउंड में लगी खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी

शहरवासियों के आकर्षण के केन्द्र बना विशप मण्डल इण्टर कालेज ग्राउण्ड जहां 15 दिवसीय मण्डल स्तरीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी ‘‘बरेली खादी महोत्सव-2024-25’’ लगाई गई।

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Sudhakar Shukla
bishop mandal

बरेली,वाईबीएन संवाददाता

बरेली। विशप मण्डल इण्टर कालेज ग्राउण्ड में 15 दिवसीय मण्डल स्तरीय खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी ‘‘बरेली खादी महोत्सव-2024-25’’ लगाई गई। यह शहरवासियों के आकर्षण के केन्द्र बन गई। खादी ग्रामोद्योग प्रदर्शनी के स्टॉलों में निखिल सिंह (प्रबन्धक) जानकी देवी खादी ग्रामोद्योग सेवा संस्थान, सम्पूर्णानगर, लखीमपुर खीरी द्वारा बताया गया कि संस्था पर 153 महिलाए एवं पुरूष के माध्यम से मसलिन, कुर्ता, शर्ट, कटिया मटका, कॉटन लिलेन, कॉटन साड़ी, कॉटन लेडिज कुर्ती, कॉटन पैंट व शर्ट के साथ सदरी (खादी जैकेट), बूलन खादी शर्ट, खद्दर कुर्ता आदि के कपड़ों के साथ कई कलर में कपड़े उपलब्ध हैं। वह भी कलर न जाने की गारंटी के साथ। पिछले 4 दिनों में उनके स्टॉल से लगभग 6.50 लाख की बिक्री हो चुकी है। तौलिया, गद्दा, धोती, दरी के साथ खादी के हर प्रकार के कपड़े स्टॉल पर उपलब्ध हैं।

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तमाम बीमारियों से बचाता है खादी

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संस्था द्वारा बताया गया कि सिल्क व कटिया का कपड़ा गर्मी के दिनों के लिए बहुत ही आरामदायक होता है। इन कपड़ों से कुर्ता, सूट, शर्ट, मसलिन व कटिया कॉटन से भी सूट व शर्ट कुर्ता बनवा सकते हैं। यह भी बताया गया कि खादी के कपड़े जो हम बना रहे हैं l। उसमें किसी भी प्रकार का केमिकल नहीं होता है। यह शरीर को तमाम तरीके की बीमारियों से बचाता है। खादी के कपड़ों में ऐसे बहुत सी खासियत होती है, जिसके कारण यह गर्मी से बचाव करता है।

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बारीकी से बनाया जाता है खादी।

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खादी के माध्यम से शारदा नदी के पार पुरनपुर पीलीभीत तथा लखीमपुर खीरी के पलिया तहसील से जुडे़ लोगों के द्वारा मार्केट के डिमाण्ड के हिसाब से खादी धागों से कपडे़ तैयार कराये जाते हैं,। जिनकी कीमत 89 रू0 से लेकर 450 रू0 तक होती है। चालू वर्ष में 9 माह में उनके द्वारा 1 करोड़ 18 लाख तक का खादी प्रोडक्शन व बिक्री कर चुके हैं। हमारी संस्था में जो लोग कार्य कर रहे है। वह बहुत ही पिछडे़ हुए क्षेत्र से हैं, जहॉ रोजगार का कोई भी साधन नहीं है। खादी में बनने वाला हर कपड़े को बहुत ही बारीकी से बनाया जाता है।
यह जानकारी परिक्षेत्रीय ग्रामोद्योग अधिकारी अजय पाल द्वारा दी गयी।

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