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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली में 300 बेड अस्पताल को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP)मॉडल के तहत निजी संस्था को देने की योजना पर विवाद खड़ा हो गया है। किसान एकता संघ के पदाधिकारियों और कार्यकताओं ने इस निर्णय का विरोध करते हुए इसे आम जनता, मजदूरों और गरीब किसानों के साथ अन्याय बताया है।
किसान एकता संघ ने इस मुद्दे पर जिलाधिकारी बरेली के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ज्ञापन प्रेषित किया है। ज्ञापन में बताया गया है कि संगठन ने इस अस्पताल की मांग को लेकर लगभग 6 महीने तक जनहित में आंदोलन किया था, जिसमें धरना, प्रदर्शन और ज्ञापन शामिल थे। जब सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला तो संगठन ने 26 मार्च 2025 से पदयात्रा का ऐलान किया। मगर 27 मार्च को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बरेली दौरे को देखते हुए प्रशासन के आग्रह पर पदयात्रा स्थगित कर दी गई थी।
इसके बाद किसान एकता संघ के प्रतिनिधिमंडल को बरेली के प्रभारी मंत्री एवं सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर से मिलवाया गया, जिन्होंने आश्वस्त किया कि यह जनहितकारी योजना अवश्य पूरी होगी। इसके पश्चात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं अप्रैल 2025 में बरेली दौरे के दौरान 300 बेड अस्पताल को मेडिकल हब बनाने की घोषणा की, जिससे जनता में हर्ष की लहर दौड़ गई।
हालांकि हाल ही में मीडिया के माध्यम से यह जानकारी सामने आई कि सरकार इस अस्पताल को PPP मॉडल के तहत निजी संस्थाओं को सौंपने पर विचार कर रही है। इससे न केवल किसान एकता संघ, बल्कि आम नागरिकों में भी भारी असंतोष देखा गया है। किसान एकता संघ नेताओं का कहना है कि उनका आंदोलन इसीलिए था ताकि गरीब, मजदूर और किसान वर्ग को मुफ्त और सुलभ चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें। यदि अस्पताल को निजी हाथों में सौंपा गया तो जनहित में किया गया संघर्ष व्यर्थ हो जाएगा।
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस अस्पताल को PPP मॉडल पर संचालित करने का निर्णय लिया तो संगठन इसका तीव्र विरोध करेगा और आंदोलन की राह पर वापस लौटेगा। संगठन ने यह भी स्पष्ट किया है कि आंदोलन की स्थिति उत्पन्न होने पर उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह शासन और प्रशासन की होगी।