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जानिये...रुहेलखंड विश्वविद्यालय में करोड़े के घोटले का खुलासा

नियमों को दरकिनार कर महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय को करोड़ों की क्षति पहुंचाने का मामला सामने आया है। स्ववित्त पोषित पाठयक्रमों से प्राप्त फीस से अधिक 8.47 करोड़ रुपये गेस्ट लेक्चरर के वेतन पर खर्च हो गए।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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नियमों को दरकिनार कर महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड विश्वविद्यालय को करोड़ों की क्षति पहुंचाने का मामला सामने आया है। स्ववित्त पोषित पाठयक्रमों से प्राप्त फीस से अधिक 8.47 करोड़ रुपये गेस्ट लेक्चरर के वेतन पर खर्च हो गए। यही नहीं, 20 प्रतिशत अंश की धनराशि विश्वविद्यालय निधि में जमा न करने से 2.39 करोड़ की क्षति पहुंचाई गई है।
पता चला है कि 2014 से 2022 तक आईएएसई संकाय संचालित हुआ। इसके लिए अन्य संकायों से सात करोड़ रुपये ऋण लेकर विश्वविद्यालय निधि को क्षति पहुंचाई गई है। चैलेंज इवैल्यूएशन से मिली फीस के 4.30 करोड़ रुपये लापता हैं। यह खुलासा स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग ने किया है।
बताया जा रहा है कि लेखा परीक्षा ने विश्वविद्यालय यह गड़बड़ी वर्ष 2022-23 के ऑडिट में पकड़ी है। ऑडिट दो दिसंबर 2023 से शुरू हुआ था, जो 29 जनवरी 2025 तक चला है। पता चला है कि स्ववित्त पाठ्यक्रमों बीटेक/आईईटी, होटल मैनेजमेंट, एमबीए आदि से प्राप्त फीस से 8,47,35,218 रुपये अधिक विश्वविद्यालय ने शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मियों के वेतन एवं मानदेय पर खर्च किया है, जो अयिमित एवं
आपत्तिजनक है। स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों की फीस का 20 प्रतिशत अंश विश्वविद्यालय निधि में जमा न करने से 2,39,53,998 रुपये की
आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है। यह धनराशि विश्वविद्यालय के सामान्य खाते में जमा नहीं की गई। जरूरत से अधिक शिक्षकों की नियमित नियुक्ति करने से यह ऋण लेकर पाठ्यक्रम को संचालित हुए। आईएएसई संकाय को अन्य संकायों से 6.92 करोड़ रुपये का आईटी व होटल मैनेजमेंट से ऋण लेकर संचालन किया गया, जो स्ववित्त पोषित योजना के विपरीत है। इसी तरह चैलेंज इवैल्यूएशन के लिए प्राप्त फीस 4,30,95,400 रुपये बीटेक खाते में स्थानांतरित करना दिखाया गया, लेकिन बीटेक खाते में यह धनराशि प्राप्त नहीं हुई। इस मामले में ऑडिट टीम ने टिप्पणी दी है कि फीस मामले में विश्वविद्यालय स्थिति स्पष्ट करे, अन्यथा संबंधित राशि के गबन की संभावना है।

रद्दी बेचने में किया जमकर खेल

उप्र संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा-2022 से संबंधित रद्दी को कम दर पर बेच कर विश्वविद्यालय को 10.30 लाख रुपये का नुकसान पहुंचाया गया है। जांच में मिला है कि विश्वविद्यालय द्वारा उप्र संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा से संबंधित रद्दी परीक्षा फार्म और ओएमआर 2121 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेची गई थी। जबकि, विश्वविद्यालय की परीक्षा से संबंधित उत्तर पुस्तिकाओं की रद्दी 3232 रुपये, ओएमआर और परीक्षा फार्म की रद्दी 3202 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेची गई। संयुक्त प्रवेश परीक्षा की रद्दी फार्म और ओएमआर की रद्दी से कम दर पर बेचने से 1081 रुपये प्रति क्विंटल की दर से विश्वविद्यालय को कुल 10,30,701 रुपये की आर्थिक क्षति हुई। 

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बताया जा रहा है कि 31 मार्च 2023 को विश्वविद्यालय के सामान्य खाते में 13.60 करोड़ रुपये से अधिक धनराशि थी। इसके बाद भी 3.53 करोड़ 6,337 रुपये के एफडीआर भुनाए गए, जो अनियमित और आपत्तिजनक है। इससे विश्वविद्यालय को ब्याज की क्षति हुई। बिना जरूरत के एफडीआर भुनाने का विश्वविद्यालय ने औचित्य स्पष्ट नहीं किया है। मीडिया प्रभारी डॉ. अमित सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय सरकारी संस्था है, जो सरकार के दायरे में है। ऑडिट रूटीन प्रक्रिया है। इसमें उन्होंने जो आपत्ति लगाई हैं, उसके साक्ष्य प्रस्तुत कर दिए जाएंगे। एक साल तक ऑडिट अवधि में किसी कारणवश साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए जा सके होंगे, लेकिन अब वह जो कमी दिखा रहे हैं उसे पूरा करा दिया जाएगा।

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