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बरेली, वाईबीएन संवाददाता
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में सोमवार को महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के शिक्षा एवं सहबद्ध विज्ञान संकाय सभागार में विरासत से विकास- योग की भूमिका विषय पर परिचर्चा हुई।
परिचर्चा में मुख्य वक्ता के रूप में गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय से आए प्रोफेसर सुरेंद्र कुमार और विशिष्ट अतिथि के तौर पर एमजेपीआरयू के डायरेक्टर रिसर्च प्रो. आलोक श्रीवास्तव ने योग के विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला।
परिचर्चा में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर के पी सिंह ने कहा कि योग न सिर्फ व्यक्ति के शरीर पर प्रभाव डालता है बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी उसका विकास करता है। यही वजह है कि आज पूरी दुनिया योग को अपना रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग का महत्व समझा और उनकी ही देन है कि आज दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा है।
कुलपति प्रो.के पी सिंह ने कहा कि योग भारत का है और पूरी दुनिया में इसकी पहचान भारतीय संदर्भ में ही बने, इसके लिए प्रयास होने चाहिए। हमें योग और इससे मिलने वाले लाभ को वैज्ञानिक और प्रमाणिक साक्ष्यों के साथ भारतीय दर्शन की पृष्ठभूमि में दुनिया तक विभिन्न प्रकाशनों इत्यादि के माध्यम से पहुंचाना चाहिए। इसके लिए उच्च गुणवत्ता का कंटेंट, वीडियो, लिटरेचर आदि तैयार करके दुनिया तक अच्छे और सुलभ संचार माध्यमों के द्वारा पहुंचाया जाना चाहिए।
मुख्य वक्ता प्रो. सुरेंद्र कुमार ने अपने संबोधन में योग के आरंभ से लेकर वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में इसके बढ़ते महत्व, योग ने कैसे मानव जीवन को एक नई दिशा दी और योग की विस्तृत यात्रा पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि योग हमारी प्राचीन विरासत का एक अभिन्न अंग है और यह आज व्यक्तिगत और सामूहिक विकास के एक सशक्त माध्यम के रूप में उभर रहा है।
योग परिचर्चा के इस कार्यक्रम की संयोजक शिक्षा एवं सहबद्ध विज्ञान संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो. सुमित्रा कुकरेती रहीं।
प्रो. आलोक श्रीवास्तव ने योग को वैज्ञानिकता से जोड़ते हुए आसन, प्राणायाम, ध्यान आदि के प्रभाव को बताया। आयोजक संकायाध्यक्ष प्रो. सुमित्रा कुकरेती, योग विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. एके सिंह के निर्देशन में योग विज्ञान में पीजी डिप्लोमा के विद्यार्थियों ने योगाभ्यास किया।