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साइबर थाना पुलिस बरेली और लखनऊ एसटीएफ ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में बैठे साइबर ठगों के हैंडलर गिरोह का पर्दाफाश कर लखनऊ से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इसी गिरोह ने इज्जतनगर स्थित भारतीय पशु चिकित्सा एवं अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के सेवानिवृत्त वैज्ञानिक शुकदेव नंदी को डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 1.29 करोड़ रुपये की ठगी की थी। ठगी की रकम का बड़ा हिस्सा लखनऊ के खाते में भेजा था।
बरेली में एसपी क्राइम मनीष सोनकर ने बताया कि एसटीएफ लखनऊ की मदद से पुलिस ने लखनऊ के लाला बाग निवासी सुधीर कुमार चौरसिया, खदरा निवासी 27 वर्षीय श्याम कुमार वर्मा, गोमतीनगर एक्सटेंशन निवासी महेंद्र प्रताप सिंह व गोंडा के धपिया निवासी रजनीश द्विवेदी को गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से चार चेकबुक, छह डेबिट कार्ड और छह मोबाइल फोन बरामद हुए। पता लगा कि चारों ही अंतरराष्ट्रीय साइबर ठग गिरोह के सदस्य हैं। इन्हीं के साथियों ने 26 जून को सेवानिवृत्त वैज्ञानिक शुकदेव नंदी को डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 1.29 करोड़ रुपये तीन खातों में ट्रांसफर कराए थे।
बाउंसर के खाते में गए थे बारह लाख साथियों संग बैंक जाकर निकाले
साइबर ठगी में पकड़े गए चारों आरोपियों की भूमिका लखनऊ शहर व बैंक में लगे सीसीटीवी कैमरों के जरिये सामने आई। इसके बाद ही लखनऊ एसटीएफ से मिलकर गिरफ्तारी संभव हो सकी। दरअसल, ठगी की रकम जिन तीन खातों में भेजी गई, उनमें से एक लखनऊ की बंद कंपनी का था। साइबर थाना प्रभारी दिनेश शर्मा ने बताया कि इस खाते में आए 1.10 करोड़ रुपये वहां से 125 खातों में उसी दिन भेजे गए और ज्यादातर मामलों में एटीएम के जरिये 24 घंटे के अंदर ही निकाल लिए गए।
इन्हीं में से एक खाता लखनऊ की एक बैंक शाखा में महेंद्र प्रताप सिंह का था, जो निजी कंपनी का बाउंसर है। इस खाते में 12 लाख की रकम आई। महेंद्र व उसके तीनों साथियों ने बैंक शाखा में जाकर चेक के जरिये खाते से यह रकम निकाली।
ऐसा करते हुए वे बैंक के सीसीटीवी में कैद हो गए। उन्होंने यह रकम लखनऊ के ही शख्स से क्रिप्टो करेंसी में बदलवाकर विदेश में बैठे आकाओं को भेज दी। ये खाते कंबोडिया, वियतनाम व थाइलैंड आदि के हो सकते हैं। साइबर टीम इसकी जानकारी जुटा रही है।