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मीरगंज से गुजरने वाली नाहल नदी को बरेली में जिला प्रशासन पुर्नजीवित करेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक जिला, एक नदी अभियान में इस नदी को जिला प्रशासन ने चुना है। सात किमी लंबाई में एक महीने तक महाअभियान डीएम अविनाश सिंह की अगुआई में चलेगा। दो दिन तक सिंचाई विभाग ड्रोन सर्वे करेगा। इसके पूरा होते ही अगले सप्ताह श्रमदान से इस अभियान की शुरुआत हो जाएगी। आंवला में लीलौर झील का पुर्नरुद्धार भी इसी अभियान का हिस्सा रहेगा।
शनिवार को खुद डीएम अविनाश सिंह, सीडीओ देवयानी, एडीएम प्रशासन पूर्णिमा सिंह व अन्य अधिकारियों के साथ मीरगंज में नदी की वर्तमान स्थिति देखने पहुंचे। करीब तीन किमी क्षेत्र में पूरा प्रशासनिक महकमा पैदल चला और नदी में कराए जाने वाले जरूरी कामों को चिंहित कराया। डीएम का कहना है कि अधिकांश हिस्सों में किसानों ने खेती करना शुरु कर दिया है। नदी के मृतप्राय होने की वजह से कुछ जगहों पर जंगली पेड़ भी उग आए हैं। कुछ एक जगह पर पक्के निर्माण भी मिले हैं। सिंचाई विभाग को निर्देश दिया है कि अगले दो दिन में ड्रोन सर्वे कराएं। इस सर्वे से यह पता चल सकेगा कि किस तरह से अभियान में काम किया जाए।
डीएम ने बताया कि इस काम को जनसहभागिता से पूरा किया जाना है। सात किमी की लंबाई में करीब छह ग्राम पंचायतें इसमें शामिल रहेंगीं। यहां प्रधानों व अन्य जनप्रतिनिधियों के सहयोग से श्रमदान कराया जाना है। इसके अलावा सिंचाई व मनरेगा के उपलब्ध फंड का उपयोग भी इस काम किया जाएगा। शनिवार को स्थानीय लोगों से इसके लिए बात भी हुई। श्रमदान में लोगों ने कुदाल-फावडा के अलावा जेसीबी के उपयोग से काम तक कराने का आश्वासन दिया है। विकासखंड में बैठक अधिकारियों को भी इसके लिए रुपरेखा बनाने का निर्देश दिया है। डीएम ने बताया कि नदी के विकास के लिए एक टास्क फोर्स बना दी गई है। मीरगंज एसडीएम इसकी अध्यक्षता करेंगे। उनके अलावा एडीओ पंचायत, तहसीलदार, सिंचाई, मनरेगा के अधिकारियों के साथ-साथ सभी ग्राम प्रधान को भी टास्क फोर्स में रखा गया है।
डीएम ने बताया कि नाहल नदी पहले पीलाखार नदी में जाकर मिलती है। यह नदी आगे रामगंगा नदी में मिल जाती है। नाहल नदी पर काम पूरा होने के बाद यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पीलाखार नदी में भी बहाव सुनिश्चित किया जाए। सर्वे के बाद इस नदी में भी पुर्नरुद्धार का काम किया जाएगा। इससे रामगंगा नदी को भी पानी मिल सकेगा। नदियों में पानी आएगा तो किसानों को सिंचाई के लिए सुविधा होगी। जलीय व वन्यजीवाें के साथ पेड़-पौधों को भी विकास का मौका मिलेगा। यथासंभव नदियों के किनारों का सौंदर्यीकरण भी कराए जाने की योजना है।