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Bareilly News: पावर कारपोरेशन में चेक से बिल जमा कर लाखों का घोटाला, अधिशासी अभियंता ने दर्ज कराई रिपोर्ट

पावर कारपोरेशन में उपभोक्ताओं से नकद रुपये लेने के बाद चेक से बिल जमा करने और फिर चेक को बाउंस कराने का बड़ा घोटाला सामने आया है। इस मामले में अधिशासी अभियंता की ओर से बरेली कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई गई गई।

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Sanjay Shrivastav
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

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यूपी के बरेली में पावर कारपोरेशन में उपभोक्ताओं से नकद रुपये लेने के बाद चेक से बिल जमा करने और फिर चेक को बाउंस कराने का बड़ा घोटाला सामने आया है। पावर कारपोरेश को चूना लगाने के लिए एक पूरा गिरोह काम कर रहा था। इस मामले में अधिशासी अभियंता की ओर से बरेली कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई गई गई। हालांकि एफआईआर में किसी को नामजद नहीं किया गया है। इस मामले में कैशियर राहुल गुप्ता को निलंबित किया जा चुका है।

विद्युत वितरण खंड ग्रामीण द्वितीय के बिलों के चेक नगरीय द्वितीय में जमा किए

विभागीय मिलीभगत से पावर कारपोरेशन में चेक के माध्यम से बिल जमा करके निगम को लाखों का चूना लगाया गया। जिन बिलों में फर्जीवाड़ा किया गया वे विद्युत वितरण खंड ग्रामीण द्वितीय के हैं, लेकिन इन बिलों को जमा विद्युत वितरण खंड नगरीय द्वितीय में किया गया। खास बात यह है कि बैंक से लेटर आने के बाद मामला खुला तो शुरूआत में अफसर इसे दबाने में जुटे रहे। हालांकि 4 अप्रैल 2025 को अधिशासी अभियंता हरीश कुमार की ओर से तहरीर कोतवाली में दे दी गई थी, लेकिन पुलिस ने जांच के नाम पर मामला लटकाए रखा। दो सप्ताह बाद शनिवार 19 अप्रैल को अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है।

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इस तरह किया बिजली बिल जमा करने के नाम पर लाखों का खेल

चेक से बिल जमा करने के नाम पर लाखों का घोटाला करने में एक पूरा गिरोह काम कर रहा था। इस गिरोह के निशाने पर ऐसे उपभोक्ता रहते थे, जिन पर लाखों का बिल बकाया होता था। यह गैंग उपभोक्ताओं से नकद रुपये लेता था, फिर किसी अन्य के खाते का चेक लगाकर बिल जमा कर देता है। इसके बाद यह चेक खाते में पैसा न होने कारण बाउंस हो जाते हैं। ऐसे करीब 36 चेक पकड़ में आए थे, इनमें दो चेक ऐसे थे, जिन पर साइन तक नहीं थे फिर भी कैशियर ने उन्हें स्वीकार कर लिया थी। कैशियर भी एक बड़े जिम्मेदार के साथ इस खेल में शामिल बताया जा रहा है।

मामला खुलने के बाद गर्दन बचाने में जुटे रहे कर्मचारी

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पावर कारपोरेशन में लाखों का घोटाला उजागर होने के बाद इस मामले में लीपापोती शुरू हो गई थी। जांच के नाम पर इस मामले में टालमटोल चलती रही। ग्रामीण खंड द्वितीय के अफसर नगरीय तो नगरीय खंड द्वितीय के अफसर ग्रामीण की ओर से एफआईआर दर्ज कराने की बात कहकर मामले को टालते रहे। बाद में आला अफसरों के दखल पर अधिशासी अभियंता हरीश कुमार की ओर से कोतवाली में तहरीर दी गई।

एक अधिशासी अभियंता करीबी है घपले का आरोपी कर्मचारी

इस खेल में शामिल कर्मचारी एक अधिशासी अभियंता का करीबी बताया जाता है। अधिशासी अभियंता बिजली चोरी के मामलों में राजस्व निर्धारण में भी सुर्खियों में रहे थे। उन्होंने बिना वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के राजस्व निर्धारण का संशोधन कर दिया था। संशोधन किए गए पत्र 15 दिन बाद बाबू ने डिस्पैच किए थे। यह मामला उछला तो बाबू को यह तर्क देकर बचा लिया गया कि डाक टिकट न होने की वजह से रजिस्ट्री नहीं हो पाई थी। ऐसे में अगर इस मामले में निष्पक्ष जांच हुई तो कर्मचारियों के साथ ही कई अफसर भी चपेटे में आ सकते हैं।

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