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भूमि संरक्षण विभाग में 22 करोड़ रुपए के घोटाले की शासन से उच्च स्तरीय जांच शुरू हो चुकी है। पूर्व बीएसए संजय सिंह समेत तमाम बाबू इस घोटाले में फंसे हैं। उनका बांदा ट्रांसफर हो चुका है। लेकिन, वह अपने खास बाबुओं और विभागीय महिला अधिकारी के माध्यम से दोनों योजनाओं के अभिलेख ठीक कराने में जुटे हैं। ताकि वह घपले के बाद भी खुद को ईमानदार साबित कर सके। अगले सप्ताह लखनऊ से टीम आने वाली है। इसको देखते हुए इस काम में भूमि संरक्षण विभाग की एक महिला अफसर उनकी भरपूर मदद करने में जुटी है।
बरेली की आंवला तहसील में भूमि संरक्षण विभाग की तरफ से ब्लॉक आलमपुर जाफराबाद, ब्लॉक रामनगर और ब्लॉक मझगवा के 104 गांव में 22 करोड़ के काम वर्ष 2022 से 2027 तक होने हैं। पूर्व बीएसए संजय सिंह ने अपने विभागीय जेई और अन्य कर्मचारियों को डरा धमकाकर अधिकांश बिल बिना काम कारण फर्जी तरीके से पास करके 15 करोड़ से ज्यादा की रकम ठिकाने लगा दी। फिर प्रधानों और गांव के कुछ अन्य सजातीय लोगों के साथ मिलकर ऊसर जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए फर्जी तरीके से उसका समतलीकरण दर्शाया गया। मेडबंदी, कच्चा नाला निर्माण और पक्के कामों में भारी घपलेबाजी की गई।
मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश के शासन पर चल रही यह जांच सबसे पहले भूमि संरक्षण विभाग की डिप्टी डायरेक्टर नीरजा सिंह ने की थी। उस जांच में उन्होंने पूर्व बीएसए संजय सिंह समेत अधिकांश घोटालेबाजों को क्लीन चिट दे दी थी। इसके बाद मंडल आयुक्त सौम्या अग्रवाल के निर्देश पर जब इस घोटाले की टीएसी जांच कराई गई तो उसमें पूर्व बीएसए ने घपला खुलने के दर से टीएसी टीम को अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए। इसके चलते यह जांच अधूरी रह गई। सूत्रों के मुताबिक अब इस मामले की जांच के लिए शासन स्तर पर एसआईटी गठित की गई है। तबसे भूमि संरक्षण विभाग में हड़कंप है। इन सब घोटालों को देखते हुए पूर्व भी ऐसे संजय सिंह का बंदा ट्रांसफर हो चुका है। उनके खास बाबू शिवकुमार अपना ट्रांसफर बागपत करा ले गए। जिला योजना सलाहकार अमित कुमार संधू समेत कई अन्य बाबुओं के ट्रांसफर भी हुए हैं।
घोटालेबाजों को बचाने में जुटी महिला अफसर
सूत्रों से पता चला है कि भूमि संरक्षण विभाग की एक उच्च महिला अधिकारी अपने पूर्व सजातीय विभागीय अधिकारी समेत कई अन्य बाबुओं को बचाने के लिए अभिलेख दुरुस्त करने में कई दिन से जुटी हैं। चूंकि, पहले ये जांच खुद उन्होंने खुद की थी। उसमें घोटाले बाज पूर्व बीएसए समेत अन्य बाबुओं और कृषि विभाग के अधिकारियों को एकदम से क्लीनचिट दे दी गई थी। अब महिला अफसर को डर है कि अगर अभिलेख ठीक नहीं हुए तो वह घोटालेबाजों को बचाने में खुद भी फंस सकती हैं। इसलिए, वह पूर्व बीएसए व अन्य स्टाफ की मदद से मनरेगा खर्च, ईंट, बजरी, मौरंग खरीदने के फर्जी बिल ठीक करने के लिए दिन रात काम में लगी हुई हैं। जांच टीम आने से पहले आधी रात तक दफ्तर खोल कर सब काम चुस्त दुरुस्त किया जा रहा है। ताकि कागजों में सब काम ठीक दिखे। करोड़ों के घोटाले पर पर्दा डाला जा सके। उनका स्टाफ भी उसमें पूरी मदद कर रहा है। वहीं दूसरी ओर भूमि संरक्षण विभाग के घोटाले से जुड़े अभिलेख कृषि विभाग के उच्च अधिकारी ने तलब कर लिए हैं। इससे घोटालेबाजों में खलबली मची है।