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बिक गई एनएच-74 के लिए चिह्नित जमीन, अधिकारियों को पता नहीं चला

बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे (एनएच-74) के चौड़ीकरण में अधिग्रहण के लिए पहले से चिह्नित कई भूखंडों की बिक्री हो गई और अधिकारियों को खबर तक नहीं लगी।

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Sudhakar Shukla
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे (एनएच-74) के चौड़ीकरण में अधिग्रहण के लिए पहले से चिह्नित कई भूखंडों की बिक्री हो गई और अधिकारियों को खबर तक नहीं लगी। गनीमत रही कि मुआवजा वितरण से पहले भू स्वामियों का सत्यापन कर लिया तो मामला पकड़ में आ गया। फिलहाल, एसडीएम ने ऐसी कई जमीनों को राज्य सरकार में निहित कर लिया।


रिठौरा गांव के रामपाल सिंह ने अपनी सात गाटों की जमीन पर प्लाॅटिंग कर उसे चार लोगों को बेच दिया। 23 फरवरी 2021 को 68.75 वर्गमीटर जमीन का बैनामा सुर्खा के चंद्रशेखर आजाद नगर की रहने वाली मीना देवी को कर दिया। नौ मई 2018 को रिठौरा की जशोदा देवी को 45.15 वर्गमीटर और रमेश वर्मा को 42.10 वर्गमीटर जमीन का बैनामा कर दिया था। 29 दिसंबर 2017 को पीलीभीत जिले की सदर तहसील के गोंछ गांव की दर्शन देवी ने भी रामपाल सिंह की जमीन में 83.61 वर्गमीटर का प्लाॅट खरीद लिया।

रिठौरा के ही बाबूराम ने भी एनएच-74 के लिए चिह्नित अपनी जमीन की प्लाटिंग कर उसे विनीता गुप्ता, तिवरिया गांव की ममता देवी को बेच दिया था। एसडीएम कोर्ट ने इन सभी क्रेताओं के भूखंडों को राज्य सरकार में निहित कर लिया है। पारित आदेश में ये भी उल्लेख है कि क्रेताओं ने बिना अनुमति के अनुसूचित जाति के भू स्वामियों से भूखंड खरीदे। यह संपूर्ण जमीन एनएच-74 के चौड़ीकरण के लिए अधिग्रहण के संबंध में पूर्व से चिह्नित थी। 

एयरपोर्ट विस्तार के लिए चिह्नित जमीन भी बिकी


मुड़िया अहमदनगर में एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए जमीन चिह्नित है। यहां गाटा-1095 और 1096 में से 167.22 वर्गमीटर जमीन छह अगस्त 2012 को बिक गई थी। यह जमीन भगनापुर हाल निवासी भड़रिया के रामभरोसे ने कटरा चांद खां के आजादनगर की गैर अनुसूचित जाति की क्रेता विमला देवी को बेची थी। इसे एसडीएम कोर्ट ने मंगलवार को ही राज्य सरकार में निहित किया है। एसडीएम सदर प्रमोद कुमार ने बताया कि
बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे चौड़ीकरण के लिए चिह्नित जमीन की बिक्री का पता तब चला, जब संबंधित भू-स्वामियों को मुआवजा देने से पहले सत्यापन किया गया। यदि क्रेता उस जमीन का दाखिल खारिज करने के लिए प्रार्थना पत्र देता तो पहले ही पता चल जाता। खैर, मामले की जानकारी होते ही प्रकरण में कार्रवाई कर उसे राज्य सरकार में निहित किया है। अब मूल भू स्वामी को कोई मुआवजा नहीं मिलेगा न ही खरीदार को जमीन मिलेगी। 

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