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अपना लोकसभा क्षेत्र छोड़कर जन्म दिन मनाने जलालाबाद पहुंचे सांसद नीरज मौर्य

सपा के आंवला सांसद नीरज मौर्य ने अपने जन्म दिन को जलालाबाद में जाकर मनाया। आंवला लोकसभा क्षेत्र की जनता में इससे मायूसी दिखी। जलालाबाद से उनके लगाव के अलग मायने निकाले जा रहे हैं।

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Sudhakar Shukla
जलालाबाद में अपना जन्म दिन मनाते हुए आंवला सांसद नीरज मौर्य

जलालाबाद में अपना जन्म दिन मनाते हुए आंवला सांसद नीरज मौर्य

वाईबीएन संवाददाता बरेली।

 आंवला के सपा सांसद नीरज मौर्य का अपने लोकसभा क्षेत्र से मोहभंग हो चुका है। इसलिए, उन्होंने अपना जन्म दिन वर्तमान लोकसभा क्षेत्र छोड़कर पुराने विधानसभा क्षेत्र जलालाबाद में जाकर मनाया। उनके इस कदम से यह राजनीतिक अटकलें तेज हो गई है कि सांसद के लिए अपने लोकसभा क्षेत्र की जनता का कोई महत्व नहीं है। अगर वह चाहते तो अपना जन्म दिन किसी पिछड़े, दलित या अल्पसंख्यक समूह के साथ मिलकर भी मना सकते थे। लेकिन सांसद ने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पीडीए फार्मूले को किनारे रखकर अलग राह पकड़ ली। राजनीतिक पंडितों का आकलन है कि सपा सांसद का अपने जन्म दिन के खास मौके पर आंवला लोकसभा क्षेत्र छोड़कर जाना भविष्य में किसी बड़ी राजनीति के संकेत हैं। वह अपने परिवार के किसी खास सदस्य को जलालाबाद से 2027 का विधानसभा चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुट गए हैं।

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने आंवला लोकसभा सीट से पूर्व विधायक नीरज मौर्य को मैदान में उतारा था। वह भाजपा प्रत्याशी धर्मेंद्र कश्यप को हराकर सांसद भी बन गए।मगर, उसके बाद सपा सांसद से न तो जनता खुश हो पाई। न ही पार्टी के पदाधिकारी और नेता। खैर, ये सब तो चल ही रहा था कि सपा सांसद का जन्म दिन भी आ गया। सपा के संगठन से जुड़े एक बड़े पदाधिकारी ने बताया कि अगर सांसद को जनता से कोई लगाव होता तो वह अपने लोकसभा क्षेत्र में पीडीए के बीच में रहकर जन्म दिन मनाते। उसका फायदा पार्टी को 2027 के विधानसभा चुनाव में मिलता। मगर, सांसद ने अपने क्षेत्र की जनता को छोड़कर सिर्फ परिवार को प्राथमिकता दी। इसका संदेश न तो पार्टी स्तर पर अच्छा गया। न ही जन सामान्य के स्तर पर। सपा के एक पदाधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की गुजारिश पर बताया कि जब माननीय का अपना लोकसभा क्षेत्र मौजूद है तो फिर किसी दूसरे क्षेत्र में जन्म दिन मनाने का क्या मतलब है ?

न कभी एक दल से बंधकर रहे, न क्षेत्र से 

इसका सीधा सा मतलब यह है कि वह प्रत्येक विधानसभा या लोकसभा चुनाव क्षेत्र और पार्टी बदलकर लड़ना चाहते हैं ताकि  जनता को बार बार मूर्ख बनाया जा सके। सपा के एक अन्य पदाधिकारी के अनुसार उनके सांसद को क्षेत्र की जनता से कोई लेना देना नहीं है। वह जिस मकसद से राजनीति में है। उसे पूरा करने में लगे हैं। फिर चाहे वह अपना क्षेत्र बदलकर पूरा हो या फिर पार्टी बदलकर। फिलहाल, तो सांसद के जन्म दिन को जलालाबाद में मनाने की चर्चा चारों तरफ है। राजनीतिक विश्लेषक तमाम तरह के कयास लगाने में जुटे हैं। 

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