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शब्दांगन संस्था का साहित्यिक आयोजन, कवियों ने दी भारत रत्न अटल को श्रद्धांजलि

साहित्यिक संस्था शब्दांगन के तत्वावधान में केंद्रीय कार्यालय बिहारीपुर खत्रियान पर आयोजित एक भव्य समारोह में अटल जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर कवि अनिल शर्मा को 'अटल मन: कवि' की उपाधि से सम्मानित किया गया।

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Shivang Saraswat
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साहित्यिक संस्था शब्दांगन के तत्वावधान में केंद्रीय कार्यालय बिहारीपुर खत्रियान पर आयोजित एक भव्य समारोह में अटल जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर कवि अनिल शर्मा को 'अटल मन: कवि' की उपाधि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर शब्दांगन के महामंत्री इंद्रदेव त्रिवेदी, उपाध्यक्ष रामकुमार अफरोज और संयुक्त सचिव ए.के. सिंह 'तन्हा' ने अनिल शर्मा को पगड़ी, उत्तरीय, स्मृति चिन्ह, मोतियों की माला और शब्दांगन के मेडल से अलंकृत किया। अपने सम्मान पर अनिल शर्मा ने संस्था का आभार व्यक्त किया और अटल बिहारी वाजपेयी पर लिखी अपनी कविता सुनाई:

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"अटल हैं सरल सहज, शुद्ध भावनायें मीत - उज्ज्वल धवल इस देश का अमन है - भारतीय राजनीति का चरित्र और चित्र - जिसने बदल दिया उस अटल को नमन है।"

काव्यपाठ में गूंजे अटल के प्रति सम्मान के स्वर

कार्यक्रम का शुभारंभ कवि रितेश साहनी की वाणी वंदना "ज्ञानदायिनी अमृत स्वर दे" से हुआ। इसके बाद विभिन्न कवियों ने अटल के व्यक्तित्व और कृतित्व को समर्पित अपनी रचनाओं से समां बांध दिया। कवि राम प्रकाश सिंह 'ओज' ने मुक्तक के माध्यम से अपनी भावनाएं प्रकट कीं: "भविष्य की बात थी अचरज भरी आप क्या कहोगे - प्रतिभा किसी की कब तक नकार सकोगे - नेहरू जी को कहना पड़ा था एक दिन अटल - भारत के प्रधानमंत्री तुम बनकर रहोगे।"

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कवि ए.के. सिंह 'तन्हा' ने अटल को इन पंक्तियों के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की: "अटल भी थे वो बिहारी भी थे वो - कविता और कलम के पुजारी भी थे वो - वाकपटु मधुर भाषी प्रखर वक्ता जो - पर दुश्मन के लिए कटार दुधारी थे वो।।" डॉ. अखिलेश कुमार गुप्ता की कविता को भी खूब सराहा गया: "नाम अटल थे काम अटल थे - जन जन के हितकारी - राजनीति नभ पर चमके जो - महापुरुष अवतारी।"

अटल जन्म शताब्दी वर्ष पर शब्दांगन की विशेष पहल

संचालन कर रहे शब्दांगन के महामंत्री इंद्रदेव त्रिवेदी ने जानकारी दी कि यह अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत संस्था द्वारा आयोजित चौथा कार्यक्रम है और ऐसे आयोजन प्रत्येक माह किए जाएंगे। उन्होंने अपनी कविता भी प्रस्तुत की:

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"सहजता सौम्यता के भव्य महल हैं - कवि मन: भारत रत्न के मन सरल हैं - जीवन में पिए जिसने अनेक गरल यहां - कभी सरल कभी सबल ऐसे अटल हैं।"

साहित्यकारों और कवियों की उल्लेखनीय भागीदारी

इस अवसर पर प्रवीण भारद्वाज, विनोद गुप्ता, अरुण शुक्ला, मुकेश पांडे, नरेंद्र पाल सिंह, मोहन चंद्र पांडे 'मनुज', बिंदू सक्सेना, अवनीश मिश्रा, विशाल शर्मा, अलका त्रिवेदी, वंश कक्कड़, अनूप कक्कड़ सहित अनेक साहित्यकारों और कवियों ने अपने वक्तव्य और कविताओं के माध्यम से अटल को श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का सफल संचालन महामंत्री इंद्रदेव त्रिवेदी ने किया और अंत में विनोद गुप्ता ने सभी अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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