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गंगाजल से पवित्र होकर महक ने धर्म बदला, फिर प्रेमी संग सात फेरे लिए

सौतेले पिता और मामा की हरकतों की वजह से महक का मन बदला और उसने हिंदू धर्म अपना लिया। उसके पिता की मौत के बाद मां ने दूसरी शादी की तो सौतेला पिता महक पर गलत नजर रखने लगा।

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Sanjay Shrivastav
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

सौतेले पिता और मामा की हरकतों की वजह से महक का मन बदला और उसने हिंदू धर्म अपना लिया। उसके पिता की मौत के बाद मां ने दूसरी शादी की तो सौतेला पिता महक पर गलत नजर रखने लगा। इस वजह से महक अपनी ननिहाल उत्तराखंड चली गई। वहां मामा उस पर गलत नजर रखता था। तब महक ने अपने धर्म को त्यागने, अपने परिवार से सारे रिश्ते खत्म करने का फैसला लिया। महक ने गंगाजल से पहले खुद को पवित्र किया, फिर धर्म बदला, और प्रेमी के साथ सात फेरे लिए। 

पारिवारिक उत्पीड़न और असुरक्षा के माहौल से तंग आ चुकी थी महक

उत्तराखंड की रहने वाली महक पारिवारिक उत्पीड़न और असुरक्षा के माहौल से तंग आ चुकी थी। अपने ही उस पर भेड़िया की नजर रखते थे। उसने न सिर्फ पुराने लोगों से रिश्ता तोड़ा, बल्कि धर्म बदलकर बरेली के रहने वाले ऋषि राय से विवाह कर लिया। महक का कहना है कि उसने स्वेच्छा से हिंदू धर्म अपनाया है, क्योंकि उसे वहां सम्मान और सुरक्षा की मिली है।

ऋषि को पहले से जानती थी महक, अब जीवन साथी बनाया

महक ने बताया कि उसने अपने परिवार और पुराने रिश्तों से नाता तोड़ने का फैसला किया और बरेली आ गई। वह पहले से ऋषि को जानती थी। दोनों ने मिलकर साथ जीवन बिताने का निर्णय लिया। इसके बाद वे पंडित केके शंखधार के पास पहुंचे, जिन्होंने धार्मिक विधियों से महक का शुद्धिकरण कराया और शादी करवाई।

सात फेरे लिए और जनम-जनम साथ निभाने की कसम खाई

पंडित केके शंखधार ने गोमूत्र और गंगाजल से शुद्धिकरण की प्रक्रिया पूरी की। गायत्री मंत्रों का जाप कराया गया। इसके बाद दोनों का विवाह वैदिक रीति-रिवाज से सम्पन्न हुआ। ऋषि ने महक की मांग में सिंदूर भरा और मंगलसूत्र पहनाया। सात फेरे लेने के साथ ही दोनों ने एक-दूसरे के साथ सात जन्मों तक साथ निभाने की कसमें खाईं।

महक बोली- हमें किसी ने अलग किया तो जान दे देंगे

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महक का कहना है कि वह ऋषि से बहुत प्यार करती है और उसके साथ सुरक्षित महसूस करती है। उसने कहा कि "ऋषि और मैं एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते। अगर किसी ने हमें अलग करने की कोशिश की तो हम दोनों अपनी जान दे देंगे। महक का कहना है कि बहु विवाह, तीन तलाक और हलाला की वजह से वह हमेशा डरती थी। उसने यह कदम किसी दबाव में नहीं, बल्कि अपने आत्म-सम्मान और सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया है।

तीन साल पहले हुई थी महक और ऋषि की मुलाकात 

महक और ऋषि की मुलाकात तीन साल पहले बरेली के बाकरगंज में हुई थी। महक अपने माता-पिता के साथ वहीं रहती थी। धीरे-धीरे दोनों के बीच बातचीत बढ़ी और फिर प्रेम हो गया। महक ने ऋषि को अपनी पूरी स्थिति बताई, जिसके बाद दोनों ने मिलकर नया जीवन शुरू करने का फैसला लिया।

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