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मर्दों ने की दगाबाजी...दो सहेलियों ने मंदिर में रचाई शादी...जीवनभर साथ रहने की खाई कसम

मर्दों की दगाबाजी ने दो युवतियों के जीवन का दिशा बदल दी। झूठ बोलकर रिश्ता जोड़ने वाले पतियों की दोनों ने छुट्टी कर दी। दोनों सहेलियों ने मंदिर में एक-दूसरे को वरमाला पहनाई और पति-पत्नी बनकर जीवन भर साथ निभाने की कसम खाई।

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Sanjay Shrivastav
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता 

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मर्दों की दगाबाजी ने दो युवतियों के जीवन का दिशा बदल दी। झूठ बोलकर रिश्ता जोड़ने वाले पतियों की दोनों ने छुट्टी कर दी। दोनों सहेलियों ने मंदिर में एक-दूसरे को वरमाला पहनाई और पति-पत्नी बनकर जीवन भर साथ निभाने की कसम खाई। युवतियों का कहना है कि अब उन्हें पारिवारिक बंधन भी अलग नहीं कर सकता। घर में ठिकाना नहीं मिला तो दोनों दिल्ली जाकर जिंदगी का नया सफर शुरू करेंगी।

बदायूं की रहने वाली हैं दोनों सहेलियां, मुस्लिम युवकों झूठ बोलकर की थी दोस्ती

दो युवतियों ने कलेक्ट्रेट के पास मंदिर में भगवान को साक्षी मानकर शादी कर ली। एक दूसरे को माला पहनाई। एक युवती ने दूसरी की मांग भरी और साथ जीने-मरने की कसम तक खाई। उन्होंने बताया कि मुस्लिम युवकों ने खुद को हिंदू बताकर दोस्ती की थी। बाद में मुसलमान होने का पता चला तो उन्हें मर्दों से नफरत हो गई है। जिसके चलते उन्होंने आपस में शादी का निर्णय लिया। अब वह अपने परिजनों को बताएंगी। परिजनों के न मानने पर दिल्ली में साथ रहकर जीवनयापन करेंगी।

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एक दिल्ली और दूसरी उत्तराखंड में रहकर करती हैं नौकरी

जनपद बदायूं के अलापुर निवासी एक युवती दिल्ली के बेबी केयर सेंटर में नौकरी करती है। दूसरी युवती बदायूं शहर के कोतवाली क्षेत्र की रहने वाली है, वह उत्तराखंड की एक सिक्योरिटी कंपनी गार्ड है। उनका आरोप है मुस्लिम युवकों ने खुद को हिंदू बताकर उनसे दोस्ती की। धीरे-धीरे दोस्ती प्यार में बदल गई। मगर जब उन्हें युवकों के मुस्लिम होने का पता चला तो उन्होंने संबंध खत्म कर लिए।

बदायूं कलेक्ट्रेट परिसर में हुई थी दोनों की मुलाकात

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युवतियों का कहना है कि इसके बाद उन्हें मर्दों से नफरत हो गई। करीब तीन महीने पहले उन दोनों की बदायूं कलेक्ट्रेट परिसर में मुलाकात हुई। बातचीत के बाद दोनों आपस में सहेलियां बन गईं। विचार मिलने पर दोनों ने जीवन भर एक-दूसरे के साथ रहने का निर्णय कर लिया।

हिंदू मैरिज एक्ट में महिला से महिला के विवाह का नहीं कोई प्रावधान

मंगलवार को दोनों बदायूं कचहरी जाकर एक अधिवक्ता से मिलीं। अधिवक्ता ने उन्हें समझाया कि हिंदू मैरिज एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि एक महिला दूसरी महिला के साथ विवाह कर सके। यह हिंदू विवाह अधिनियम की शर्तों के विपरीत है। कानून में महिला से महिला के विवाह का कहीं कोई वर्णन नहीं है। कानूनी पेंच फंसने पर दोनों में मंदिर में शादी करने का फैसला किया।

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दोनों ने बदायूं के मंदिर में रचाई शादी, दिल्ली में रहने का किया फैसला

अधिवक्ता उन दोनों को मंदिर ले गए। जहां दोनों भगवान को साक्षी मानकर एक-दूसरे को वरमाला पहनाकर शादी कर ली। युवतियों का कहना था कि उनके रिश्ते के बारे में परिजनों को कुछ पता नहीं है। अगर परिवार के लोग रिश्ते को स्वीकार करेंगे तो ठीक है, वरना दिल्ली में पति-पत्नी की तरह साथ रहकर पूरा जीवन बिताएंगी। उन दोनों ने अपने नाम भी बदल लिए हैं। उनमें से एक पति और दूसरी पत्नी बनकर रहेगी। 

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