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बरेली। आठ साल पहले बरेली को सिंगापुर बनाने का दावा करने वाले एक धन नेता ने अच्छे पद पर पहुंचने के बाद पहले दिन से ही बरेली के बाहर से ठेकेदारों को बुलाकर नगर निगम के बजट को लूटने की ठान ली। गाजियाबाद से अपने खास ठेकेदार को स्मार्ट सिटी और Ncap योजना में 50 करोड़ के टेंडर देने का वादा करके उससे पांच करोड़ रुपए एडवांस ले लिए। बाद में नगर निगम में लोकल ठेकेदारो के बीच नगर निगम के टेंडर हथियाने के लिए भारी कंप्टीशन हो गया। गाजियाबाद के ठेकेदार को पांच करोड़ रुपए एडवांस देने के बाद भी टेंडर नहीं मिला। ठेकेदार को अपनी पांच करोड़ की एडवांस रकम वापस पाने के लिए एडी से चोटी तक का जोर लगाना पड़ा।
नगर निगम में वर्ष 2017 में जबसे सत्ता बदली। तबसे शहरवासियों के हक का बजट लूटने की होड मच गई है बसपा से लोकसभा का चुनाव हारने के बाद भाजपा में आकर बरेली को सिंगापुर बनाने का दावा करने वाले एक धन नेता ने नगर निगम को बर्बाद करने में किसी तरह की कोई कसर नही छोड़ी। सपा की सरकार के समय नगर निगम के निर्माण कार्यों के टेंडर लेने के लिए ठेकेदारों को 16% कमीशन देना होता था। वह भी ठेकेदार टेंडर होने के बाद कमीशन की रकम ऊपर से नीचे तक तय परसेंटेज के हिसाब से देते थे। मगर, नई सत्ता में धन नेता ने टेंडर के कमीशन वसूलने के तरीके में बदलाव कर दिया। साहब ने प्रत्येक टेंडर पर ठेकेदारों से 15% कमीशन एडवांस लेना शुरू कर दिया। इसके लिए बाकायदा एक ठेकेदार को कमीशन की रकम वसूलने का दायित्व भी दे दिया गया। हालत यहां तक खराब हो गए कि नगर निगम, स्मार्ट सिटी और Ncap समेत तमाम सरकारी योजनाओं में शहर के विकास के लिए मिलने वाला अरबों रुपए का बजट धन नेता, अफसर और इंजीनियरों की जेब में जाने लगा। जिसने भी इस कमीशन खोरी की व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई। उसकी तुरंत धन नेता के साथ गोपनीय मीटिंग कराकर उस आवाज को शांत कर दिया गया।
ऐसे ठिकाने लग गए नगर निगम के हजारों करोड़ रुपए
नगर निगम में हजारों करोड़ रुपए का बजट किस तरह से ठिकाने लगाया गया। इसको एक उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है। गाजियाबाद के जिस ठेकेदार ने 50 करोड़ से अधिक का टेंडर देने के लिए पांच करोड़ रुपए एडवांस ले दिए थे। बाद में उस ठेकेदार की रकम एडजस्ट करने के लिए पटेल चौक से चौपला चौराहे तक की सड़क चार अलग अलग मद जैसे नगर निगम, स्मार्ट सिटी, Ncap समेत अन्य कई मदो से बनवाई गई। मतलब, एक मद की रकम से सड़क बनी। बाकी चार मद की करोड़ों रुपए बिना सड़क निर्माण कराए कागजी खानापूरी करके ऐसे ही निकाल ली गई। शहरवासियों के हक की करोड़ों रुपए की यह धनराशि धन नेता और उनके चहते ठेकेदारों ने हड़प कर ली। धन नेता खुद तो नगर निगम, स्मार्ट सिटी और Ncap समेत विभिन्न योजनाओं में मिलने वाली सैंकड़ों करोड़ की रकम हड़प करके महंगी जमीनें खरीद ली। फिर शहर में एक व्यापारी की पार्टनरशिप में होटल बनाया। काले धन को अन्य जगहों पर भी निवेश किया गया है। लेकिन शहर की जनता को यह सपने अब भी दिखाए जा रहे हैं कि जल्द ही अपना बरेली सिंगापुर की तरह स्मार्ट सिटी बनेगा।
वर्जन
नगर निगम के घपलों में जब वहां के इंजीनियरों से जानकारी चाही गई तो उन्होंने किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।