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नगर निगम बरेली
वाईबीएन संवाददाता , बरेली । बरेली को सिंगापुर की तर्ज पर स्मार्ट बनाने के नाम पर नगर निगम के टेंडरो में ठेकेदारों से किस कदर 12% एडवांस कमीशन वसूलने के बाद अटैची और लिफाफे का दौर चला। इसकी बानगी शहर की जनता ने हाल ही में देखी। अब शहरवासियों को पर्दे के पीछेचलने वाले उस खेल से रूबरू कराते हैं, जिसकी जानकारी शायद आम नागरिकों को न हो। वैसे तो नगर निगम के प्रत्येक ठेकेदार को टेंडर लेने से पहले ही 12% कमीशन बड़े डाकघर के सामने वाले प्राइवेट ऑफिस में एडवांस देना होता है। लेकिन भाजपा से जुड़े दो ठेकेदारों ने बिना एडवांस रकम दिए नगर निगम के टेंडर ऑनलाइन डाल दिए तो उनको यह महंगा पड़ गया। नगर निगम के पूर्व सभापति ने माननीय के कहने पर उन दोनों ठेकेदारों की फर्मों को टेंडर लेने में फर्जी प्रपत्र लगाने का आरोप लगाते हुए ब्लैक लिस्टेड करने की मांग करके नगर निगम बोर्ड में प्रस्ताव रख दिया। फिलहाल, नगर निगम की एक कमेटी इस मामले की जांच कर रही है।
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वर्ष 2017 से नगर निगम में लिफाफा, अटैची और 12% एडवांस कमीशन वसूलने का चलन शुरू हो गया था। यह बदस्तूर अब भी जारी है। इससे पहले कभी किसी मेयर पर नगर निगम के निर्माण कार्यों, विज्ञापन, लाइट खरीद, सीवर, दुकानों की नीलामी के ठेकों में इस तरह से खुलेआम कमीशन लेने की चर्चाएं सामने नहीं आई। सूत्रों के मुताबिक सीएम ग्रिड योजना में एक माननीय ने अपने दूत के माध्यम से नगर निगम के सभी ठेकेदारों को संदेश भिजवाया कि जिसे ऑनलाइन टेंडर लेना हो, वह 12% एडवांस रकम पहले जमा कर जाए। अधिकांश ठेकेदारों ने बड़े डाकघर के सामने वाले प्राइवेट ऑफिस में जाकर अपना हिसाब सेट कर लिया। भाजपा और आरएसएस से जुड़े दो ठेकेदारों ने माननीय की इच्छा के विरुद्ध बिना 12% एडवांस रकम दिए अपने टेंडर दोनों फर्मों के नाम से डाल दिए। नगर निगम के नियम में फंसकर दोनों के टेंडर हो भी गए। जब साहब को यह बात पता चली कि दो टेंडरो की 12% रकम की ऊपरी कमाई नहीं हुई तो नगर निगम के पूर्व सभापति सर्वेश रस्तोगी ने बोर्ड की बैठक में दोनों फर्मों पर फर्जी प्रपत्र लगाकर टेंडर हासिल करने का आरोप लगाते हुए उनके विरुद्ध नगर निगम बोर्ड में प्रस्ताव रख दिया। सभापति की मांग थी कि दोनों ठेकेदारों की फर्म ब्लैक लिस्टेड की जाए। नगर बोर्ड की तरफ से इस पर एक जांच कमेटी बना दी गई। ये जांच अभी चल रही है।
जिनके स्टांप पेपर पर हस्ताक्षर फर्जी, 12% देते ही हो गया करोड़ों का भुगतान
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सीएम ग्रिड योजना में चार करोड़ से ज्यादा के टेंडर हथियाने वाले ठेकेदार निरंजन लाला ने ऑनलाइन टेंडरो में फर्जी हस्ताक्षर करके टेंडर हासिल कर लिए थे। उनकी शिकायत माननीय से भी की गई थी। तब माननीय ने बड़े जोर शोर से जांच कराकर सख्त कार्रवाई करने की बात कही। मगर, जैसे ही ठेकेदार प्राइवेट ऑफिस में मिलकर हिसाब निपटाकर आ गया। फिर तो ठेकेदार के सौ खून माफ हो गए। उनकी जांच रिपोर्ट भी लग गई। नगर निगम से ठेकेदार का करोड़ों रुपए का भुगतान भी हो गया। छह महीने के अंदर ठेकेदार निरंजन लाला की त्रिमूर्ति चौराहे के आस पास बनी सड़क भी उखड़ने लगी। आधी से ज्यादा सड़क टूटकर बिखर चुकी है। निरंजन लाला की बनाई ये सड़क एक बरसात भी नहीं झेल पाई। इस मामले में जब नगर निगम के निर्माण विभाग से जुड़े इंजीनियरों से बात की तो उन्होंने रटा रटाया जबाव दिया कि अगर ऐसा है तो उसकी जांच कराएंगे।
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