/young-bharat-news/media/media_files/2025/09/01/whatsapp-image-2025-09-01-10-52-44.jpeg)
स्मार्ट सिटी बरेली में बाढ़ की एक झलक
बरेली, वाईबीएन संवाददाता।
आठ साल पहले बरेली को सिंगापुर बनाने का दावा करने वाले एक स्मार्ट माननीय के कार्यकाल में पांच हजार करोड़ से ज्यादा का बजट खर्च होने के बाद भी नाथ नगरी स्मार्ट बनने के बजाय बदहाली के कगार पर पहुंच चुकी है। नगर निगम के निर्माण कार्यों में जितने काम नहीं हैं, उससे ज्यादा की धनराशि कमीशन की भेंट चढ़ चुकी है। इसका नतीजा यह है कि शहर के ज्यादातर मुख्य मार्ग की सड़कें नई बनने के चार-छह महीने बाद ही उखड़ी पड़ी हैं। बीते 24 घंटे की रिमझिम बारिश में मॉडल टाउन, सिविल लाइंस जैसा पाश इलाका तालाब बन गया। गुरु गोविंद सिंह इंटर कॉलेज के सामने सुबह पांच फुट पानी भर गया। शहर के अन्य इलाकों जैसे सुभाषनगर, गणेशनगर, वीर भट्टी का भी बुरा हाल है। सूत्रों के अनुसार सपा और भाजपा के कुछ दिग्गज नेता नगर निगम के निर्माण कार्यों, विज्ञापन एजेंसी, प्रकाश विभाग की लाइट खरीद समेत अन्य तमाम तरह के घोटालों का स्पेशल ऑडिट कराने के लिए जल्द ही लोकायुक्त से मुलाकात करने वाले हैं। आने वाले दिनों में अगर नगर निगम के कामों का निष्पक्षता और ईमानदारी से स्पेशल ऑडिट हो गया तो तमाम अफसर, इंजीनियर, कर्मचारियों पर गाज गिर सकती है।
नगर निगम के माननीय के कार्यकाल में बरेली पूरी तरह से स्मार्ट बन चुका है। शहर की जनता भी यह नहीं समझ पा रही है कि नगर निगम की कमीशन पर खरीदी गईं घटिया गुणवत्ता की लाइटें बुझी होने के बाद भी रात में बरेली कितना चमक रहा है और कितना दमक रहा है। शहर की स्मार्टनेस का आलम यह है कि नगर निगम से करोड़ों रुपए खर्च करके जो सड़क या नाली का निर्माण कराया गया। वह बमुश्किल से दो या तीन महीने ही टिकी। अगर देखा जाए तो बीते कुछ बरसों में शहर के मुख्य मार्गों की मरम्मत और निर्माण कार्यों पर 1000 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। फिर भी शहर की 90 फीसदी सड़कों और गलियों में चलने पर यह नहीं पता चलता है कि गड्ढों में सड़क है या सड़क में गड्ढे। बीते 24 घंटे की बरसात में मॉडल टाउन, सिविल लाइंस, राजेंद्र नगर, डीडीपुरम जैसे पॉश इलाकों की हालत बद से बदतर हो चुकी है। गुरु गोविंद सिंह इंटर कॉलेज के बाहर पांच फुट पानी भरा है। ऐसे में सुभाषनगर , वीर भट्टी, गणेशनगर, रेलवे कॉलोनी जैसे इलाकों का क्या हाल होगा? इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। शहर की जनता त्राहि-त्राहि कर उठी है। मगर, न तो नगर निगम में किसी तरह की सुनवाई है, न ही वार्ड के पार्षद जनता की बात सुनना चाहते हैं। इक्का-दुक्का पार्षद अगर अपने वार्ड की बात करते भी हैं तो उनको शाम को शहर के एक खास ऑफिस में बुलाकर थोड़ी देर गोपनीय मीटिंग चलती है। उसके बाद किसी पार्षद की जनता के हित में वह आवाज दोबारा नहीं निकलती। गोपनीय मीटिंग के बाद वह पार्षद या पूर्व पार्षद आलीशान ऑफिस से इतना खुश होकर निकलता है कि मानों बरेली को स्मार्ट बनाकर ही निकला हो।
ठिकाने लगा N CAP में मिला 14 करोड़ का बजट
केंद्र सरकार की योजना N CAP में वर्ष 2024 में 14 करोड़ से ज्यादा का बजट मिला था। इस बजट में किन ठेकेदारों को कौन सा काम मिलेगा, इस पर जद्दोजहद चलती रही। सूत्रों के अनुसार एक माननीय अपने कुछ खास ठेकेदारों को काम देने पर अड़े थे। मगर, कुछ बाहर के ठेकेदारों ने उसमें अड़ंगा लगाया। उसकी वजह यह थी कि खास ठेकेदारों से कमीशन ज्यादा मिलना था। वहीं बाहर के ठेकेदार कम कमीशन देकर काम चलाना चाहते थे। ये टेंडर तीन बार कैंसिल करने पड़े। मगर, इसी बीच ठेकेदारों ने भी लामबंदी की। फिर आखिर में ठेकेदारों और साहब के बीच कुल लागत का 15 फीसदी एडवांस कमीशन देकर काम लेने पर सहमति बन गई। ठेकेदारों ने इस बजट से मूर्ति नर्सिंग होम, मॉडल टाउन रोड के इलाके समेत कुछ मार्गों पर दोयम दर्जे की टाइल्स लगाने की खानापूरी करके पूरा बजट ठिकाने लगा दिया। अब इतना बजट खर्च होने के बाद भी बरसात में उन मार्गों की हालत बद से बदतर है, जहां टाइल्स की सड़कें बनाई गई हैं। कुल मिलाकर नगर निगम के निर्माण कार्यों की ठेकेदारी में नीचे से ऊपर तक सिर्फ कमीशन के बंदरबांट का खेल रहा है। उसी खेल में बरेली स्मार्ट हो रहा है। बरेली चमक रहा है। बरेली दमक रहा है।
इन मार्गों की हालत बद से बदतर ... फिर भी बरेली बन चुका है सिंगापुर
शहर की चौपुला से किला रोड, किला से सीबीगंज, मॉडल टाउन रोड, केके अस्पताल रोड, कुतुबखाना पुल के नीचे की सड़क, श्यामगंज फ्लाईओवर के नीचे की रोड, मॉडल टाउन, यूपी सरकार के वन मंत्री डॉ अरुण कुमार के अस्पताल के सामने वाली रोड, पूर्व सांसद प्रवीण सिंह ऐरन के घर को जाने वाली सड़क, प्रेमनगर धर्मकांटा, श्यामगंज में मिर्ची वाली गली, श्यामगंज मार्केट वाली रोड, साहू गोपीनाथ डिग्री कॉलेज मार्ग, सराफा बाजार में शिवाजी मार्केट, कुतुबखाना से बड़ा बाजार का रास्ता किला पुल तक, हार्टमेन कॉलेज के आस-पास की सड़कें, पुराने शहर की 90 फीसदी सड़कें और गलियां, गंगानगर में मुख्य मार्ग समेत 95 फीसदी गलियां, केके अस्पताल रोड, बांके बिहारी मार्ग के अलावा नगर निगम के समस्त 80 वार्डों की मुख्य सड़कों के अलावा 95 फीसदी गलियों में कहीं छोटे तो कहीं भारी भरकम गड्ढे हो चुके हैं। मगर, इन सबका कोई पुरसा हाल नहीं है। इन सबके बावजूद यह नारा आम शहरवासियों को जरुर चिढ़ा रहा है कि बरेली चमक रहा है, बरेली दमक रहा है। साहब का अब भी कहना है कि बरेली को सिंगापुर बनने से कोई नहीं रोक सकता क्योंकि वह शहर को लगातार स्मार्ट बनाने में लगे हैं।