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29 को नाग पंचमी, महामृत्युंजय मंत्र से सभी मनाेरथ होंगे पूर्ण

भगवान भोलेनाथ के प्रिय मास में नागपंचमी इस वर्ष 29 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा कर भक्त अपने समस्त कष्टों से मुक्ति पाते हैं। मान्यता है कि जिन जातकों के कुंडली में कालसर्प दोष है।

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Sudhakar Shukla
naag pan
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बरेली, वाईबीएन संवाददाता

भगवान भोलेनाथ के प्रिय मास में नागपंचमी इस वर्ष 29 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा कर भक्त अपने समस्त कष्टों से मुक्ति पाते हैं। मान्यता है कि जिन जातकों के कुंडली में कालसर्प दोष है। वे शुक्ल पक्ष के पंचमी के दिन नाग देवता की विधि विधान से पूजा करते हैं, तो उनके जन्म कुंडली से काल सर्प दोष समाप्त हो जाता है।

ज्योतिषाचार्य डा. विपिन शर्मा के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 28 जुलाई को देर रात 11.24 बजे शुरू होगी। जो 30 जुलाई को रात 12.46 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इससे 29 जुलाई को नाग पंचमी मनाई जाएगी। मान्यताओं के अनुसार पंचमी के दिन शिव परिवार के साथ नागों की पूजा करने से जीवन के संकटों का नाश होता है। साथ ही साधकों को मनवांछित फल प्राप्त होता है।

नाग देवता की पूजा से दूर होगा कालसर्प दोष

मान्यता है कि अगर इस दिन किसी व्यक्ति को अचानक ही साक्षात नाग देवता के दर्शन होते हैं, तो उसे शुभ माना जाता है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार कुंडली के अनुसार राहु और केतु के कारण ही काल सर्प दोष होता है। राहु नीच का होकर बैठा हो तो भी काल सर्प दोष होता है।

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मूलत: सूर्य, चंद्र और गुरु के साथ राहु के होने को कालसर्प दोष माना जाता है। राहु का अधिदेवता 'काल' है और केतु का अधिदेवता 'सर्प' है। इन दोनों ग्रहों के बीच कुंडली में एक तरफ सभी ग्रह हों तो 'कालसर्प' दोष कहते हैं। राहू-केतु हमेशा वक्री चलते हैं और सूर्य चंद्रमार्गी। 12 तरह के काल सर्प दोष कहे गए हैं। 'ओम रां राहवे नम' और 'ओम कें केतवे नम:' का जाप बराबर संख्या में करें। इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करने से काल सर्पदोष खत्म हो जाता है। इस दिन श्रीमद्भागवत पुराण और श्री हरिवंश पुराण के पाठ, दुर्गा पाठ से मंगल होता है। नाग पंचमी के दिन भैरव उपासना करें। बाबा पर कच्चा दूध चढ़ाएं। यथाशक्ति श्री महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें या करवाएं। घर में फिटकरी, समुद्री नमक तथा देशी गाय का गौमूत्र मिलाकर पोंछा लगाएं और गुग्गल की धूप दें।

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