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नौ साल बाद भी दिल्ली के जेएनयू से 15 अक्तूबर 2016 को लापता हुए बदायूं के छात्र नजीब का कोई सुराग नहीं लग सका है। इस मामले में सीबीआई की चली जांच पड़ताल के नौ साल के बाद दिल्ली की कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार तो कर लिया है, लेकिन इसमें अब नौ अंक का इत्तफाक हैरान कर रहा है। मां फतीमा नफीस ने बताया कि उनके बेटे का अपहरण नौ लोगों ने किया था। उनके नौ मोबाइल सीबीआई के पास है, लेकिन उन नौ में से एक भी मोबाइल का लॉक पैटर्न सीबीआई तुड़वाने में कामयाब नहीं हो सकीं।
बदायूं के मुहल्ला वेदो टोला निवासी छात्र नजीब के दिल्ली के जेएनयू से लापता होने की गुत्थी नौ साल भी अनसुलझी है।
इसे न दिल्ली पुलिस सुलझा सकी और न ही सीबीआई। नौ साल का लंबा वक्त गुजरने वाला है, लेकिन नजीब की मां फातिमा नफीस का बस यहीं दर्द है कि उसके बेटे का कथित तौर पर अपहरण हुआ था। अपहरण करने के नौ नामजद आरोपी थे, जबकि 150 से अधिक लोगों की भीड़ थी। शुरूआती जांच में पुलिस ने उन नौ आरोपियों के मोबइल जब्त भी किए थे, लेकिन उन आरोपियों को कोर्ट के सामने नहीं लगा सकी। मां का कहना है कि दिल्ली के बसंतकुंज पुलिस ने उन आरोपियों के नौ मोबाइल जब्त कर लिए थे। जब जांच सीबीआई को मिली तो वह मोबाइल सीबीआई को दिल्ली पुलिस ने सौंप दिए थे। बावजूद सीबीआई उन सभी मोबाइलों के लॉक पैटर्न खोलने में सफल नहीं हो सकी। अगर सीबीआई ऐसा करती तो उनके बेटे का सुराग जरूर लगता। मां का दावा है कि सीबीआई ने जब कोर्ट में इस मामले से जुड़े तथ्यों को पेश किया था। तब सीबीआई ने अपने हलफनामा में इस का जिक्र किया था कि उन सभी नौ मोबाइलों के लॉक पैटर्न नहीं खुले। वहीं, नजीब का मोबाइल भी सीबीआई के पास है। इसके डेटा का भी अब तक जिक्र नहीं किया गया है।
दिल्ली कोर्ट ने सीबीआई को क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार की
नजीब अहमद 15 अक्टूबर 2016 को जेएनयू के माही-मांडवी छात्रावास से लापता हो गए थे। मां का दावा है कि इससे एक रात पहले छात्र की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े कुछ छात्रों के साथ विवाद हुआ था। नजीब के लापता होने के मामले में जब सीबीआई को कोई सुराग नहीं मिला तो अक्तूबर 2018 में सीबीआइ ने जांच बंद कर दी। इसके बाद मां कोर्ट में फिर से तलाश की याचिका लगाई। इसके चलते फिर से जांच शुरू की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अब दिल्ली की कोर्ट ने सीबीआई को क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार कर लिया है।