/young-bharat-news/media/media_files/2025/02/13/2Vo0jSEzDJbQbfB92HH6.jpg)
00:00
/ 00:00
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
बरेली, वाईबीएन संवाददाता
बरेली। बरेली के रामपुर रोड स्थित निजी अस्पताल के डाक्टरों की लापरवाही से हंसते-खेलते परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ बन कर टूट पड़ा। हाथ की सर्जरी करने के लिए डॉक्टर ने एनेस्थीसिया की ओवरडोज दे दी, जिससे मरीज की हालत बिगड़ गई। हालत में सुधार न होने पर परिवारवाले उन्हें लेकर भोजीपुरा स्थित मेडिकल कॉलेज पहुंचे। वहां से दिल्ली रेफर कर दिया गया। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उनकी मौत हो गई।
बरेली के सुभाषनगर थाना क्षेत्र के करगैना में रहने वाले 54 वर्षीय संजय शुक्ला एमआर (मेडिकल रिप्रजेंटेटिव) थे। 25 जनवरी को वह घर से ऑफिस के काम से शाहजहांपुर जाने के लिए निकले थे। बरेली जंक्शन पर सीढ़ियों पर चढ़ते समय पैर फिसलने से गिर गए थे, इससे उनके हाथ में चोट आई थी। हालांकि उस समय वह ट्रेन पकड़कर शाहजहांपुर चले गए।
शाहजहांपुर पहुंचने पर जब हाथ में ज्यादा दर्द महसूस हुआ तो उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तब उन्हें फ्रेक्चर होने बात पता चली। इस पर उन्होंने शाहजहांपुर में ही हाथ पर प्लास्टर करवा लिया और अपनी ड्यूटी करते रहे। कई दिन बाद भी दर्द से आराम नहीं मिला तो वह तीन फरवरी को रामपुर रोड स्थित एक निजी अस्पताल में दिखाने पहुंचे।
परिजन के मुताबिक सात फरवरी को संजय को रामपुरा रोड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। नौ फरवरी को डॉक्टर ने उनके हाथ की सर्जरी दी। सर्जरी से पहले डॉक्टर ने संजय को एनेस्थीसिया की डोज दी थी। सर्जरी के बाद डॉक्टर ने कहा था कि कुछ ही देर में इन्हें होश आ जाएगा लेकिन दवा की ओवरडोज देने की वजह से उन्हें होश नहीं आया, बल्कि हालत और बिगड़ती चली गई। हालत में सुधार न होने पर 10 फरवरी को उन्हें भोजीपुरा स्थित मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। जहां से दिल्ली रेफर कर दिया गया।
परिजन गंभीर हालत में संजय को लेकर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल पहुंचे। जहां इलाज के दौरान बुधवार रात 9:50 बजे उनकी मृत्यु हो गई। परिजन का आरोप है कि डॉक्टर की लापरवाही की वजह से अच्छे खासे स्वस्थ व्यक्ति की मौत हो गई।
संजय अपने परिवार के अकेले कमाने वाले थे। बूढ़ी मां, पत्नी और तीन बच्चाें का भरण-पोषण की जिम्मेदारी उनके ही ऊपर थी। एक बेटी जिसकी शादी करनी थी, एक बेटा जिसका न्यूरो संबंधी बीमारी का लंबे समय से इलाज चल रहा है। सबसे बड़ा बेटा गिग वर्कर का काम करके पिता का हाथ बंटाता था। अब संजय की मृत्यु से परिवार संकटों के बीच घिर गया है।